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मंत्री ने पूछा कितने गांव ओडीएफ तो कलेक्टर ने कहा सभी, इस पर मंत्री बोले- पीने का पानी नहीं तो ओडीएफ कैसे हो गए

locationझाबुआPublished: Sep 07, 2019 10:54:09 pm

हितग्राही सम्मेलन : चार घंटे तक इंतजार में बैठे रहे विद्यार्थी, मंत्री ने आते ही मांगी माफी

मंत्री ने पूछा कितने गांव ओडीएफ तो कलेक्टर ने कहा सभी, इस पर मंत्री बोले- पीने का पानी नहीं तो ओडीएफ कैसे हो गए

मंत्री ने पूछा कितने गांव ओडीएफ तो कलेक्टर ने कहा सभी, इस पर मंत्री बोले- पीने का पानी नहीं तो ओडीएफ कैसे हो गए

झाबुआ. प्रदेश सरकार के आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकारसिंह मरकार ने जिले की ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित किए जाने पर सवाल खड़े किए। शनिवार को मदद योजनांतर्गत उत्कृष्ट विद्यालय पर आयोजित हितग्राही सम्मेलन में मंत्री ने कलेक्टर प्रबल सिपाहा से सवाल किया कि झाबुआ जिले में कितने गांव ओडीएफ है। इस पर कलेक्टर ने कहा-सभी। तत्काल मंत्री ने कह दिया कि जब गांवों में पीने का पानी नहीं है तो फिर ओडीएफ कैसे हो गए। इसकी तो जांच होनी चाहिए।
निर्धारित समय से करीब चार घंटे देरी से आए मंत्री मरकाम ने आते ही इसके लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा मुझे पता है कि आप सभी लोग काफी देर से यहां बैठे हैं। मैं आप सभी के बीच 11 बजे ही आना चाहता था, लेकिन भोपाल से यहां तक आने में टै्रफिक व कार्यकर्ताओं से मिलने के कारण देरी हो गई। उन्होंने ग्रामीण आदिवासियों को आधार कार्ड बनवाने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए अब मप्र के 89 आदिवासी ब्लॉक में अब आदिवासी विकास विभाग के माध्यम से काम करने की घोषणा की। इसके लिए 1 हजार मशीनें लगाइ जाएगी। संबंधित गांव की हायर सेकंडरी स्कूल में केंद्र बनाकर वहां से आधार कार्ड बनाए जाएंगे।
मंत्री मरकाम ने अपने बचपन का किस्सा सुनाते हुए कहा गांव में जब कोई कार्यक्रम होता था तो सभी लोगों का खाना बनाने के लिए बर्तन मुश्किल से मिल पाते थे। इस दर्द को मैंने महसूस किया है और इसलिए आज यहां गांवों में होने वाले आयोजनों के लिए ग्रामीणों को मदद योजनांतर्गत बर्तन का सेट प्रदान करने आया हूं। राजनीति के क्षेत्र में आने को लेकर उन्होंने कहा 9वीं क्लास में मुझे गांव से 5 किमी पैदल स्कूल जाना पड़ता था। रास्ते में नदी आती थी। बरसात में कई बार एक-एक दिन नदी पार नहीं कर पाते और भूखे रहना पड़ता था। कई बार पैदल जाते समय पैरों में कांटा लग जाता था। ऐसे में जब मैंने पिताजी से पूछा कि आधी जगह सड़क और आधी जगह कच्चा रास्ता क्यों है? ये सड़क कौन बनाता है। उन्होंने जवाब दिया-विधायक और मंत्री। तभी से सोच लिया था कि मैं मंत्री बनूंगा। 2008 में जब मैं विधायक बना उसके अगले साल ही मैंने गांव में सड़क बनवा दी।
चार बार बंद हुआ माइक
कार्यक्रम के दौरान जब चलते-चलते माइक बंद हो गया। दो बार जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमचंद डामोर द्वारा कुर्राटी मारने के दौरान बंद हो गया। इसके बाद जब छात्रावास की बच्चियां मंच पर डांस करने आई तो हुआ। ऐसे में मंच पर मौजूद जनप्रतिनिधियों ने आंखे तरेरी तो अधिकारी हरकत में आए। कार्यक्रम में पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा, जोबटविधायक कलावती भूरिया, पेटलावद विधायक वालसिंह मेड़ा, वरिष्ठ नेता प्रकाश रांका, युवा नेता आशीष भूरिया, शहर कांग्रेस अध्यक्ष गौरव सक्सेना आदि मौजूद थे।
देश की अर्थव्यवस्था चौपट मंत्री मरकाम ने कहा आज देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। विकास की दौड़ में आगे बढ़ रहा हमारा भारत अचानक आथर््िाक संकट की स्थिति में आ गया। इसकी वजह नोटबंदी है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने भी कहा था कि नोटबंदी का असर 2-3 साल बाद नजर आएगा। नोटबंदी के बहाने हमारे आदिवासियों की जेब काटी गई। जिनके पास 1 हजार का नोट था उनसे 700 रुपए में वह नोट लिया, वहीं जिनके पास 500 का नोट था उससे 300 में ये नोटलिया।
डॉ.विक्रांत भूरिया ने भाजपा से 3 सवाल किए
1. 15 साल में आपकी सरकार ने कितने गांवों में बर्तन दिए?
2. 15 सालों में कितने किसानों का कर्जमाफकिया वह बताएं?
3. सोसायटियों पर अंगूठे की अनिवार्यता क्यों की गई? जबकि आधार कार्ड दिखाकर भी अनाज दिया जा सकता था।
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