यदि बीते पांच सालों के परीक्षा परिणाम पर नजर डालें तो 10वीं के नतीजों में साल दर साल उतार-चढ़ाव आता गया। 2014 में जहां परिणाम 49.09 प्रतिशत रहा था तो 2015 में घटकर 45.8 6 फीसदी पर आ गया। इसी तरह 2016 में 6 5.30 फीसदी विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। वहीं 2017 में फिर परिणाम में गिरावट आई। इस साल का परिणाम 48.20 प्रतिशत रहा। 2018 में एक दम से 14 प्रतिशत के सुधार के साथ परिणाम 62.11 प्रतिशत पर आ गया। इस साल फिर इसमें गिरावट आई है।
12वीं का परिणाम 74.54त्न, पिछले साल 68.87त्न विद्याथर््िायों को मिली थी सफलता
झाबुआ. वाणिज्य संकाय की छात्राओं की बदौलत इस बार 12वीं के परीक्षा परिणाम में 5.65 प्रतिशत का सुधार हुआ। कुल परीक्षा परिणाम 74.54 फीसदी रहा।
जबकि पिछले साल 68.86 फीसदी विद्यार्थी सफल हुए थे। दरअसल इस बार कॉमर्स संकाय में सर्वाधिक 88.09 प्रतिशत विद्यार्थी उत्त्तीर्ण हुए। इसमें भी छात्राओं की सफलता का आंकड़ा 94.63 प्रतिशत आया। इसकी बदौलत 12वीं का औसत परिणाम पिछले साल की तुलना में बेहतर रहा। इस साल परीक्षा में कुल 4 हजार 845 विद्यार्थी शामिल हुए थे। इनमें से 3 हजार 590 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। 682 विद्यार्थी फेल हो गए तो 545 को पूरक आई।
विज्ञान संकाय में सबसे अधिक 405 विद्यार्थी फेल हो गए। कुल 4 हजार 845 में से 2242 विद्यार्थी विज्ञान संकाय के थे। यानी 46 .27 प्रतिशत। इनमें से 16 22 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। तो वहीं 198 को पूरक आई। यदि विज्ञान संकाय का परिणाम कमजोर नहीं रहता तो सफलता का आंकड़ा और बढ़ जाता।
कारण जिसकी वजह से हुआ परिणाम में सुधार
विद्याथर््िायों की शैक्षणिक समस्याओं के समाधान के लिए विकासखंडवार समाधान ऑन द स्पॉटदल बनाए। हर दल में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान विषय के विशेषज्ञ शिक्षकों को शामिल किया। वहीं जिलास्तरीय समाधान ऑन कॉल दल भी गठित किए। इसके अलावा पिछले साल जिन स्कूलों का परीक्षा परिणाम 35 प्रतिशत या उससे कम रहा था उन्हें गोद दिया गया। जिससे परिणाम में सुधार हुआ।