झाबुआ

नहर से पानी देने के लिए बनाए कुएं उपयोग से पहले टूटे

नहरों के विस्तारीकरण में लगभग 150 करोड़ खर्च किए

झाबुआDec 12, 2018 / 10:10 pm

अर्जुन रिछारिया

नहर से पानी देने के लिए बनाए कुएं उपयोग से पहले टूटे

पेटलावद. नहर से पानी देने के लिए बनाए कुएं उपयोग के पहले ही टूट रहे हैं। किसानों की खेती खराब हो रही है। जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे और ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। इससे किसानों में आक्रोश है। किसानों का कहना है कि जो भी निर्माण हो गुणवत्तायुक्त हो अन्यथा हमारे किसी काम का नहीं रहेगा। सरकार द्वारा करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी लाभ नहीं मिल पाएगा।
माही की नहरों का विस्तार रायपुरिया बेत्र में हो रहा है। यहां पर लगभग 9 हजार 9सौ 99 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।नहरों के विस्तारीकरण में लगभग 150 करोड़ खर्च किए गए हैं। माही नहरों के इस विस्तार में जामली बेत्र को भी लाभ मिल रहा है। किंतु ठेकेदार द्वारा किए जा रहे घटिया निर्माण कार्य से किसान नाराज हैं। ठेकेदार द्वारा नहरों के निर्माण के साथ ग्रामीणों को सिंचाई के लिए पानी देने के लिए कुओं का निर्माण भी किया जा रहा है। लगभग 30 फीट से अधिक गहरे कुएं कांक्रीट की दिवार के बनाए जा रहे हैं, किंतु यह कुएं निर्माण के साथ ही टूटते जा रहे हैं। इससे किसानों को लाभ मिलने के पहले ही कुएं टूट चुके हैं। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि यह तो ठेकेदार की जवाबदारी है यदि कुएं टूट रहे हैं तो फिर से बनाएगा और 2 वर्ष तक उसे इनका संधारण भी करना है। किंतु किसानों का कहना है कि निर्माण ही गुणवक्ता युक्त कराया जाए। ताकि कुएं टूटे नहीं तो उन्हें पुन: निर्माण करने का सवाल ही नहीं उठता। दो वर्ष बाद ठेकेदार चला गया और फिर टूट फूट हुई तो जवाबदार कौन होगा। कुएं निर्माण का उद्ेश्य एक कुएं से बेत्र से लगभग 30 से 40 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पांच हार्सपॉवर की मोटर से पानी सप्लाय किया जाएगा। बेत्र में लगभग 500 से अधिक इस प्रकार के कुओं का निर्माण हो रहा है। इसमें ईंट व कांक्रीट सभी प्रकार के कुएं हैं। इसके लिए माही परियोजना द्वारा अधिगृहित भूमि के आसपास ही कुओं का निर्माण किया जा रहा है।
किसानों का कहना है कि कुएं निर्माण के चक्कर हमारी जमीन भी बर्बाद कर दी। कुएं खोदने के बाद मटेरियल भी हमारी जमीन में ही पड़ा ह।. लगभग 3 वर्ष से आधे अधूरे काम के चलते हम खेती भी नहीं कर पा रहे हैं और हमारी जमीन बिगड़ती जा रही है। वहीं निर्माण कार्य भी घटिया क्वालिटी का किया जा रहा है। इस ओर प्रशासन को भी ध्यान देना चाहिए।
ग्रामीणों का कहना है कि आखिर ऐसा निर्माण क्यों किया जा रहा है जो की उपयोग के पहले ही टूटता जा रहा है। इसका लाभ किसानों को क्या मिलेगा। किसान इस प्रकार के निर्माण का लाभ नहीं ले पाएंगे। 150 करोड़ रुपए खर्च कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए योजना बनाई गई है, किंतु इस प्रकार का निर्माण इस पूरे काम पर पानी फेर रहा है।
&जो भी कुएं टूटे हैं। उसकी रिपेयरिंग ठेकेदार से कराई जाएगी। अभी हम रायपुरिया बेत्र में पानी देना चाहते हैं इसलिए नहर का कार्य चल रहा है।
पीसी सांकला, माही परियोजना
के ईई
माही नहरों के निर्माण में हमेशा रही शिकायत
माही परियोजना के तहत नहरों के निर्माण कार्य को लेकर हमेशा शिकायत रही है। निर्माण कार्य घटिया किया जाने के कारण ग्रामीणों को इसका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है। रूणजी और कई बेत्र ऐसे हैं। जहां की गुणवत्ताहीन नहर निर्माण से पांच साल बाद भी पानी नहीं पहुंच पाया है और पानी देने के दरम्यान कई बार नहरे क्षतिग्रस्त भी हो जाती हैं।
15 तक देंगे रायपुरिया बेत्र में पानी
अधिकारियों का कहना है कि रायपुरिया बेत्र में माही नहरों से पानी देेने का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। संभवत: 15 दिसंबर तक रायपुरिया बेत्र में माही नहरों से पानी दिया जा सकता है। इसके लिए ठेकेदार द्वारा कार्य किया जा रहा ह।. ठेकेदार को अभी नहर के कार्य में लगाया गया है। कुएं की टूट फूट के लिए नहर का कार्य पूर्ण होने के बाद कार्य कराया जाएगा।
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