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तीर्थेंद्र नगर शहर की पहली ऐसी कॉलोनी बनेगी जहां हर घर में लगा होगा रुफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

locationझाबुआPublished: Aug 18, 2019 08:53:29 pm

भूजल रिचार्ज की सबसे बड़ी मुहिम: यदि आज सतर्क नहीं हुए तो कल पीने के पानी के लिए करना होगी मशक्कत

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तीर्थेंद्र नगर शहर की पहली ऐसी कॉलोनी बनेगी जहां हर घर में लगा होगा रुफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

झाबुआ. शहर की पुरानी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के पीछे स्थित तीर्थेद्र नगर शहर की पहली ऐसी कॉलोनी बनने जा रही है। जहां हर घर में रुफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा होगा। यह शहरी क्षेत्र में भू जल रिचार्ज की लिए शुरू की गई सबसे बड़ी मुहिम होगी। इसके लिए रोटरी क्लब आजाद ने काम शुरू कर दिया है।
रुफ वॉटर हार्वेस्टिंग तकनीक के जरिए कॉलोनी के सभी 33 घरों की छतों का पानी सीधे जमीन में उतारा जाएगा। जिससे भूजलस्तर में वृद्धि होगी और भीषण गर्मी के दिनों में भी बोरिंग बंद नहीं होंगे। आप सभी को याद होगा कि इस बार की गर्मीमें शहर जमकर तपा। मई महीने में तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया। इसका असर भूजलस्तर पर पड़ा। शहर की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, लक्ष्मीनगर, एलआईसी कॉलोनी, मौजीपाड़ा क्षेत्र सहित कई इलाकों में बोरिंग ने दम तोड़ दिया। वहीं जीवनदायिनी अनास नदी में भी पानी खत्म होने की कगार पर पहुंच गया था। ऐसे में अब ये बेहद जरूरी हो जाता है कि भूजलस्तर में सुधार के लिए एक आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस दिशा में रोटरी क्लब आजाद ने पहल की है। रुफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए सबसे पहले शहर के बाहरी इलाके में स्थित तीर्थेद्र नगर का चयन किया गया है। क्योंकि कॉलोनी पूरी खुली है और यहां घरों की छत से बरसात के पानी को जमीन में उतारने के लिए पर्याप्त स्थान है।
यह है शहर की स्थिति
नगरपालिका के रिकॉर्डके अनुसार शहर में 46 00 मकान बने हैं। इनमें से 90 प्रतिशत में पानी रिचार्ज के लिए किसी तरह का सिस्टम नहीं लगा है। इसके अलावा 30 फीसदी इलाकों में सीमेंटेंड सड़के बनी हुई हैं। इसके कारण बरसात का पानी जमीन में नहीं उतर पाता। केवल 5 प्रतिशत बारिश का पानी कुओं व तालाबों से जमीन को मिल पा रहा है।
पानी को जमीन में उतारना क्यों जरूरी
विश्व में 2.5 प्रतिशत शुद्ध पानी है। देश में 35 प्रतिशत लोगों को ही पीने लायक पानी उपलब्ध है। 6 5 प्रतिशत लोग अशुद्ध पानी पीते हैं। गंदे पानी से लोगों को 35 तरह की बीमारी होने का खतरा रहता है। ऐसे में शुद्ध पानी के लिए वाटर हार्वेस्टिंग ही एक मात्र उपाय हो सकता है। इसलिए बारिश का पानी जमीन में उतारना बेहद जरूरी है।
एक वर्षाकाल में 1 खरब लीटर पानी व्यर्थ हो जाता है
शहर की औसत वर्षा 30.94 इंच है। इस बार शहर में बारिश का आंकड़ा अभी ही औसत से ऊपर निकल गया है। अब तक कुल 33.46 इंच बारिश हो चुकी है। खासबात ये हैं कि आसमान से गिरा यह लाखों लीटर पानी जमीन में पहुंचने की बजाय व्यर्थ बह गया। यदि हम शहर में स्थित 4600 मकानों की बात करें और एक मकान की छत का एरिया औसत 600 वर्गफीट माना जाए तो कुल छत का एरिया 27 लाख 6 0 हजार वर्ग फीट होता है। विशेषज्ञों के अनुसार 600 वर्गफीट की छत से एक वर्षाकाल में करीब 48 हजार लीटर पानी व्यर्थबह जाता है। इस लिहाज से एक वर्षाकाल में कुल 27 लाख 6 0 हजार वर्ग फीट छत से हर साल 1 खरब 32 अरब 48 करोड़ लीटर बारिश का पानी व्यर्थबह जाता है।
वॉटर हार्वेस्टिंग के नियम
मप्र भूमि विकास नियम 198 4 की धारा-78 (4) के अनुसार 140 वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंड पर भवन निर्माण में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रबंध अनिवार्य है। सरकार ने इसमें संशोधन करते हुए मप्र भूमि विकास नियम 2012 की धारा 8 1 (4) मे लिखा है कि भवन अनुज्ञा के दौरान रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए धरोहर राशि जमा करने के बाद भवन अनुज्ञा जारी होगी।
10 हजार रुपए में लगवा सकते हैं सिस्टम
&जिन्हें अपने घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना है वे नगरपालिका कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए 10 हजार रुपए शुल्क जमा करवाना होगा। रोटरी क्लब आजाद द्वारा रुफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की जो शुरुआत की गई है वह सराहनीय है। -एलएस डोडिया, सीएमओ, झाबुआ
तीर्थेद्र नगर में काम शुरू कर दिया है
&तीर्थेद्र नगर को रुफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का मॉडल बनाया जाएगा। इसके लिए काम शुरू कर दिया है। विशेषज्ञ संजय कांठी अपनी तकनीकी टीम के प्रमुख रौनक घोड़ावत के साथ इसके लिए लगे हैं।
अजय शर्मा, अध्यक्ष, रोटरी क्लब आजाद, झाबुआ
ऐसे करें वॉटर हार्वेस्टिंग
इंजीनियर एवं वाटर हार्वेस्टिंग के जानकार संजय कांठी के अनुसार रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए सबसे पहले जमीन में 3 से 5 फीट चौड़ा और 6 से 10 फीट गहरा गड्ढ़ा खोदना होगा। खुदाई के बाद इसमें सबसे नीचे मोटे पत्थर (कंकड़), बीच में मध्यम आकार के पत्थर (रोड़ी) और सबसे ऊपर बारीक रेत या बजरी डाल दी जाती है। यह सिस्टम फिल्टर का काम करता है। छत से पानी एक पाइप के जरिए गड्ढ़े में उतार दिया जाता है। गड्ढ़े से पानी धीरे-धीरे छनकर जमीन के भीतर चला जाता है। इसी तरह फिल्टर के जरिए पानी को टैंक में एकत्रित किया जा सकता है।
फायदा
एक हजार वर्ग फीट की छत से एक साल में 8 0 हजार लीटर पानी छत के आउटलेट को पीवीसी पाइप से जोड़कर जमीन में उतारा जा सकता है।
पाइप को फिल्टर के साथ जोड़ा जाता है जो पानी को साफ करता है। शुरुआती पानी को बहाने के लिए वाल्व भी बनाया जाता है।
फिल्टर से साफ पानी को बोरिंग, हैंडपंप या कुएं में उतारा जा सकता है। इसके अलावा सोख्ता गड्ढ़ा बनाकर भी पानी को सीधे जमीन में उतारा जा सकता है।
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