जिला लोक अभियोजक अधिकारी मानसिंह भूरिया ने कानूनी पहलुओं के बारे में बताते हुए उदाहरणों के साथ स्पष्ट किया कि जांच के दौरान किस तरह की सावधानी रखी जाना चाहिए। नहीं तो कई बार सबूत के अभाव में आरोपी रिहा हो जाते हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुषमा भदौरिया ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे प्रकरणों में किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए।
उन्होंने वन स्टेप सेंटर का जिक्र करते हुए बताया कि यदि कोई पीडि़ता थाने पर आती है और उसका कोई पता-ठिकाना नहीं है तो उसे एक सप्ताह तक वन स्टेप सेंटर में रखा जा सकता है। उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों को वन स्टेप सेंटर का नंबर नोट कराया। इस अवसर पर एएसपी विजय डावर, एसडीओपी एमएस गवली, बबीता बामनिया, पूजा शर्मा, टीआई सुरेंद्रसिंह, केएल त्रिपाठी, रक्षित निरीक्षक चेतनसिंह बघेल सहित पुलिस अधिकारी-कर्मचारी एवं इसमें सभी थाना और चौकी प्रभारी के साथ पुलिसकर्मी उपस्थित थेे।