यूं समझें गणित दोनों जिलों में कुल 60 स्थानों पर मेले लगेंगे। यहां जुटने वाली भीड़ का आंकलन किया जाए तो औसतन हर मेले में 10 हजार लोग शामिल होते हैं। प्रति व्यक्ति न्यूनतम 500 रुपए खर्च करता है। इस लिहाज से 10 हजार लोग एक दिन में ही 50 लाख रुपए खर्च कर देते हैं। यदि 60 मेलों से इसकी तुलना की जाए तो कुल रकम हो जाती है 30 करोड़ रुपए।
कहां से आता है पैसा झाबुआ-आलीराजपुर जिले से हर साल करीब दो लाख से ज्यादा ग्रामीण रोजगार के लिए सीमावर्ती गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र जाते हैं। वहां प्रति व्यक्ति मजदूरी की दर काम के आधार पर 300 से 500 रुपए प्रतिदिन है। यदि पांच सदस्यीय एक परिवार के हिसाब से देखें तो प्रति व्यक्ति 300 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी के मान से आंकड़ा होता है 1500 रुपए। त्योहार पर जब वे आते हैं तो जमकर खरीदारी करते हैं।
झाबुआ-आलीराजपुर जिले में कब, कहां लगेंगे भगोरिया मेला 15 मार्च: भगोर, बेकल्दा, मांडली, कालीदेवी, कट्ठीवाड़ा, वालपुर, उदयगढ़ 16 मार्च: मेघनगर, राणापुर, बामनिया, झकनावदा, बलेड़ी, नानपुर, उमराली 17 मार्च: झाबुआ, ढोलियावाड़, रायपुरिया, काकनवानी, छकतला, सोरवा, आमखूंट, झीरण, कनवाड़ा, कुलवट
18 मार्च: पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बेड़ावा, आलीराजपुर, चंद्रशेखर आजादनगर, बड़ागुड़ा 19 मार्च: पिटोल, खरड़ूबड़ी, थांदला, तारखेड़ी, बरवेट, बखतगढ़, आंबुआ, अंधारवड़, 20 मार्च: उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोड़ायता, कल्याणपुरा, मदरानी, ढेकल, चांदपुर, बरझर, बोरी, खट्टाली
आथर््िाक समृद्धि सामाजिक बदलाव भी लेकर आती है। व्यक्ति के रहन-सहन का स्तर ऊंचा हो जाता है। आप इसे यूं समझ सकते हैं कि व्यक्ति की पहली जरूरत होती है अच्छा खान-पान, रहने को घर और कपड़े। जब ये चीजे उपलब्ध हो जाती है तो फिर वह अपनी लाइफ स्टाइल पर पैसा खर्च करता है।
-डॉ. गीता दुबे, प्राध्यापक अर्थशास्त्री एवं पीजी कॉलेज की वरिष्ठ
-डॉ. गीता दुबे, प्राध्यापक अर्थशास्त्री एवं पीजी कॉलेज की वरिष्ठ