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बिना नीलामी बिक रही फसल, मंडी में अनाज की जगह बिक रहे कपड़े-कटलरी

locationझाबुआPublished: Nov 17, 2019 06:09:54 pm

Submitted by:

kashiram jatav

-हजारों लोग आते हैं पर गाडिय़ों के लिए कोई पार्किंग की व्यवस्था नहीं, पीने का पानी व शौचालय की व्यवस्था नहीं

बिना नीलामी बिक रही फसल, मंडी में अनाज की जगह बिक रहे कपड़े-कटलरी

बिना नीलामी बिक रही फसल, मंडी में अनाज की जगह बिक रहे कपड़े-कटलरी

झाबुआ. मंडी प्रशासन की लापरवाही से किसान से लेकर व्यापारी सभी हलाकान है। कृषि उपज मंडी में 1 साल से किसानों से बिना बोली लगाए माल खरीदा जा रहा है। मंडी पहुंच रही गाडिय़ों के लिए कोई पार्किंग व्यवस्था नहीं होने से अनाज व्यापारियों की दुकानों के सामने वाहन पार्किंग कर लोग सब्जियां खरीदने निकल पड़ते हैं। मना करने पर विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है।
व्यापारियों की दुकानों के सामने नुक्कड़ नाटक होते हैं। मंडी के एक बड़े भाग पर नगरपालिका हाट बाजार लगाती है। यहां पहुंचने वाले हजारों लोगों के लिए पीने का पानी एवं शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं। पल्ली व्यापार करने वाले खुले आसमान में अनाज खरीदने को मजबूर हैं। अनाज व्यापारियों के स्थान पर ठेला गाडिय़ां लगाकर ज्वेलरी, कटलरी, कपड़े की दुकानें सजी है। मंडी के दोनों गेट से वाहनों का आवागमन किया जाता है। मंडी की ओर से कोई कर्मचारी व्यवस्था बनाने में मदद नहीं करता। तमाम अव्यवस्थाओं के कारण यहां पहुंचने वाले परेशान हैं। व्यापारियों ने कई बार मंडी प्रशासन से सुविधाओं के लिए मांग की, लेकिन मंडी की ओर से इन व्यापारियों को अब तक राहत ना मिल सकी।
व्यापार करने के लिए स्थान नहीं बचता –
व्यापारियों संजय शाह, राजेंद्र नीमा , मुर्तजा बोहरा ने बताया कि मंडी में हाट बाजार लगने के कारण व्यापार करने के लिए स्थान नहीं बचता। माल लेकर आ रहे भारी वाहन को आने जाने में समस्या होती है। कम जगह होने के बावजूद यहां हर रविवार नुक्कड़़ नाटक और हाट बाजार की दुकानें खेला गाडिय़ां पार्किंग आदि लगाए जाते हैं। मंडी प्रशासन को आने को आवेदन देकर बताया कि यहां पर व्यापार करने के लिए 30 से 40 व्यापारी आ रहे हैं। जबकि दुकानें सिर्फ 10 हैं। वह भी छोटी पड़ती हैं।
फसल की आधी कीमत मिल रही है-
बामन सेमलिया रहने वाले कालू भाबोर, खेमचंद पिता सकरिया नरवरिया, कसया पिता दीता परमार, भूरा पिता मढिय़ा भाबोर, झकेला के हकरु पिता हुमला हटीला ने बताया कि बारिश की वजह से सभी फसलें चौपट हो गई। कपास सोयाबीन मक्का, उड़द, गेहूं, मूंगफली उगाने वाले छोटे से लेकर बड़े सभी किसानों को नुकसान हुआ है। इस बारिश में किसानों को अनुमानित दो हजार से लेकर पचास हजार रुपए तक का नुकसान हुआ है। किसानों को फसल की आधी कीमत मिल रही है। मवेशियों के खाने के लिए घास तक नहीं बची। अभी तक पानी नहीं रुकने के कारण चावल की जो फसल थी वह तत्क्षण चुकी है। पानी गिरने का डर अब तक किसानों को सता रहा है। किसान नया खेत तैयार करने के लिए अपनी बारिश से बर्बाद हुई फसल उखाड़ कर फेंक रहे हैं। मक्का की फसल तो लगभग पूरी तरह बर्बाद हुई।
शहर के आसपास स्थान देख रहे
हाट बाजार के लिए शहर के आसपास स्थान देख रहे है। फि़लहाल हमारे पास मंडी के अतिरिक्त कोई दूसरा स्थान नहीं है।
-एलएम डोडिया, मुख्य नगर पालिका अधिकारी।

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