भील सेवा संघ की ओर से संचालित इंदिरा गांधी आदिवासी बालक-बालिका आश्रम में रहने वाले लगभग अस्सी बच्चे प्रतिदिन इसी तरह अपने दिन की शुरुआत करते हैं। हैरानी है कि पांच से दस साल उम्र के इन मासूमों द्वारा सुबह कड़कड़ाती ठंड में पानी भरने की यह घटना ग्रामीण अंचल की नहीं। जबकि नगरपालिका के तहत आने वाले वार्ड १३ की है। इन बच्चों के आवासीय परिसर से महज 100 मीटर दूर ही पूरे नगर को जल सप्लाय करने के लिए फिल्टर प्लांट बनाया गया। पीएचई कार्यालय से निकलते ही बच्चों का परिसर शुरू हो जाता है। दोनों के बीच बस एक सड़क का फासला है। अगर जिम्मेदार सही कदम उठाएं तो एक दिन में ही बच्चों को हैंडपंप से पानी भरने की समस्या से मुक्ति मिल सकती है।
भील सेवा संघ सचिव हरबन सिंह डामोर ने बतायाकि पानी की पूर्ति के लिए एक पाइपलाइन है, लेकिन उसमें सुबह पानी नहीं आता। हैंडपंप में सुबह गर्म पानी की आव होती है। इसलिए बच्चे वहां से पानी भरते हैं। गर्म पानी एवं अन्य सुविधाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं मिलता।