रविवार को अधिकतम तापमान 27.8 डिग्री व न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस रहा। विशेषज्ञों के अनुसार शीत ऋतु को हेल्दी सीजन माना जाता है। अक्टूबर से फरवरी तक ऑपचाने की क्रिया बढ़ जाती है और थोड़ी-थोड़ी देर में भूख लगने लगती है। शारीरिक रूप से फीट रहने के लिए ड्रायफ्रूट, सब्जियां, गर्म भोजन, दूध जलेबी, फल, पिंड खजूर समय पर संतुलित मात्रा में खाना चाहिए। त्वचा को मुलायम बनाए रखने के लिए एक दिन में कम से कम 5 लीटर पानी जरूर पीएं।
हृदय और दमा रोगी खास ध्यान
-सूर्याेदय के बाद ही टहलने निकले।
-तेलीय पदार्थों के सेवन से बचें।
-शुगर, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगी नियमित जांच कराएं।
-मादक पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें।
-अधिक समय तक भूखे न रहें और गुनगुना पानी पिएं।
-सूर्याेदय के बाद ही टहलने निकले।
-तेलीय पदार्थों के सेवन से बचें।
-शुगर, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगी नियमित जांच कराएं।
-मादक पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें।
-अधिक समय तक भूखे न रहें और गुनगुना पानी पिएं।
बदलते मौसम में ऐसे करें खुद की सुरक्षा
-साबुन का इस्तेमाल कम से कम करें और चेहरा व हाथ-पैर बार-बार न धोएं।
-साधारण कॉस्मेटिक्स का उपयोग न करें।
-नहाने में मॉइश्चराइजरयुक्त साबुन या लिक्विड साबुन का इस्तेमाल करें।
-नहाने के पानी में ऑलिव आइल की कुछ बूंदें मिलाएं।
-सिर पर सूती या सिल्क का स्कार्फ बांधकर ऊपर से वूलन कैप पहनें।
-धूप में सनस्क्रीम लगाएं और शरीर के खुले भागों को कपड़े से ढंके।
-खुजली होने पर मॉइश्चराइजर क्रीम एवं स्ट्राइड क्रीम लगाएं।
-पैरों को गुनगुने पानी में डुबोकर 10 मिनट बैठें।
-साबुन का इस्तेमाल कम से कम करें और चेहरा व हाथ-पैर बार-बार न धोएं।
-साधारण कॉस्मेटिक्स का उपयोग न करें।
-नहाने में मॉइश्चराइजरयुक्त साबुन या लिक्विड साबुन का इस्तेमाल करें।
-नहाने के पानी में ऑलिव आइल की कुछ बूंदें मिलाएं।
-सिर पर सूती या सिल्क का स्कार्फ बांधकर ऊपर से वूलन कैप पहनें।
-धूप में सनस्क्रीम लगाएं और शरीर के खुले भागों को कपड़े से ढंके।
-खुजली होने पर मॉइश्चराइजर क्रीम एवं स्ट्राइड क्रीम लगाएं।
-पैरों को गुनगुने पानी में डुबोकर 10 मिनट बैठें।
सर्द मौसम में त्वचा का रखें ख्याल
सर्दी के मौसम में त्वचा में रूखापन आता है। कई बार क्रीम का इस्तेमाल करने के बाद भी यह रूखापन नहीं जाता है। होंठ, एढिय़ा फटने की समस्या आम रहती है। छोटे बच्चों में रूखी त्वचा या लाल चकते हो जाते हैंै। इन दिनों में खुजली जैसे रोग भी होते हैं। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक-दूसरे के संपर्क में आने से भी हो सकती है। बच्चों में एटापिक डर्मेटाइटिस होने पर नहाने के बाद मॉइस्चराइजर, सूती कपड़े पर ऊनी कपड़े पहनाएं। मुंहासे होने पर एलोवीरा लगाएं। बुजुर्गों में सूखा एग्जिमा होने पर ग्लिसरीन या लिक्विड साबुन लगाकर नहाएं एवं नहाने के बाद हल्की गीली त्वचा पर वैसलीन लगाएं। पैर के तलवों में सूखापन एवं चीरे होने पर पैरों को हल्के गुनगुने पानी में डूबा कर 10 मिनट तक रखें।
सर्दी के मौसम में त्वचा में रूखापन आता है। कई बार क्रीम का इस्तेमाल करने के बाद भी यह रूखापन नहीं जाता है। होंठ, एढिय़ा फटने की समस्या आम रहती है। छोटे बच्चों में रूखी त्वचा या लाल चकते हो जाते हैंै। इन दिनों में खुजली जैसे रोग भी होते हैं। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक-दूसरे के संपर्क में आने से भी हो सकती है। बच्चों में एटापिक डर्मेटाइटिस होने पर नहाने के बाद मॉइस्चराइजर, सूती कपड़े पर ऊनी कपड़े पहनाएं। मुंहासे होने पर एलोवीरा लगाएं। बुजुर्गों में सूखा एग्जिमा होने पर ग्लिसरीन या लिक्विड साबुन लगाकर नहाएं एवं नहाने के बाद हल्की गीली त्वचा पर वैसलीन लगाएं। पैर के तलवों में सूखापन एवं चीरे होने पर पैरों को हल्के गुनगुने पानी में डूबा कर 10 मिनट तक रखें।