कभी मालवा से गेहूं लाकर खाते थे, अब रिकॉर्ड 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी
झाबुआPublished: Feb 11, 2023 01:06:17 am
साल दर साल गेहूं के रकबे में हो रही बढ़ोत्तरी


कभी मालवा से गेहूं लाकर खाते थे, अब रिकॉर्ड 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी
झाबुआ. पश्चिमी मप्र के आदिवासी जिले झाबुआ में कभी मालवा से गेहूं आता है। अब यहीं पर ही बंपर पैदावार हो रही है। इस साल रिकॉर्ड 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बोवनी हुई है। मौसमी परिस्थितियों को देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारी 32 लाख 55 हजार ङ्क्षक्वटल गेहूं का उत्पादन होने का दावा कर रहे हैं। अंचल में साल दर साल गेहूं का रकबा बढ़ रहा है। उसी अनुपात में उत्पादन में भी वृद्धि हो रही है। यह मैदानी हकीकत है और कृषि विभाग के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
वजह ङ्क्षसचाई सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होना है। कुछ साल पहले जहां 19 फीसदी ङ्क्षसचित क्षेत्र था, वहीं वर्तमान में यह आंकड़ा 55 प्रतिशत से अधिक पर आ गया है। इसी अनुपात में रबी के रकबे और उत्पादन में भी इजाफा हुआ। उप संचालक कृषि एनएस रावत कहते हैं कुछ साल पहले की ही बात है, झाबुआ का किसान केवल खरीफ की फसल लिया करता था। इसकी मुख्य वजह ङ्क्षसचाई के लिए साधन की अनुपलब्धता थी। लिहाजा किसानों को बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ता था। अब स्थितियां पूरी तरह बदल गई है। कई छोटी-बड़ी ङ्क्षसचाई परियोजनाएं आकार ले चुकी है। सरकारी योजनाओं में तालाब और कुएं खोदे जाने से बारिश पर निर्भरता खत्म हो चुकी है। आप देख सकते हैं कि जो खेत कभी बंजर नजर आते थे, अब उनमें गेहूं की फसल खड़ी नजर आती है।
पंजीयन की स्थिति
गेहूं और चने का पंजीयन 6 फरवरी से शुरू हो गया है। पंजीयन की आखरी तारीख 28 फरवरी तय की गई है। प्रभारी जिला आपूर्ति अधिकारी एलएन गर्ग ने बताया कि जिले भर में 18 पंजीयन केंद्र बनाए गए हैं। इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 एवं चने का समर्थन मूल्य ?5335 तय किया गया है । अबतक गेहूं के लिए 153 किसानों ने पंजीयन किया है, जबकि चने के लिए 23 किसानों ने पंजीयन किया है। जिले में पिछली बार 19034 किसानों ने पंजीयन कराया था इस बार उससे अधिक किसानों के पंजीयन कराने की उम्मीद है। पिछले वर्ष 11 हजार मैट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ था, इस बार किसानों के पंजीयन के अनुसार उपार्जन की स्थिति क्लियर होगी।