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सस्ती दवाएं मिलने वाला मेडिकल स्टोर क्यों हुआ बंद?

locationझाबुआPublished: Oct 13, 2018 10:00:22 pm

जिला अस्पताल : रेडक्रास की दुकान पर दवा में 15 फीसदी मिलती थी छूट, किसी दल ने नहीं उठाई आवाज

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सस्ती दवाएं मिलने वाला मेडिकल स्टोर क्यों हुआ बंद?

झाबुआ. जैसे-जैसे चुनाव पास में आ रहे हैं सभी राजनीतिक दलों में हलचल है। वही जनता भी अपने उन मुद्दों को लेकर चौपाल पर पर चर्चा कर रही है। वही मुद्दे जिन्हें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने प्रमुखता से पूरा करने के जनता से वादे किए थे। पत्रिका ने जनता की आवाज बन मेरा शहर मेरा मुद्दा शीर्षक से शहर के आम जनता की बात जिम्मेदारों तक पहुंचाने की पहल की है। आज का मुद्दा है रेडक्रॉस सोसायटी से संचालित मेडिकल स्टोर बंद होने के बाद गरीब रोगियों और उनके परिजनों को आ रही समस्याओं के बारे में।
सस्ती और 24 घंटे गरीबों को मिलने वाली दवा की दुकान बंद करा दी गई। पर कोई जिम्मेदार नहीं बोला। रेडक्रॉस सोसायटी शुरू होने के बाद से ही स्थान परिवर्तन एवं फार्मासिस्ट ना मिल पाना जैसे मामलों के कारण बंद होता रहा। जिला चिकित्सालय में संचालित रेडक्रॉस सोसाइटी से संचालित मेडिकल स्टोर पिछले 3 वर्षों से अधिक समय से बंद है। यहां गरीबों को सस्ती दवाएं 24 घंटे उपलब्ध रहती थी। जिले के भौगोलिक एवं आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर बी चंद्रशेखर के प्रयासों से राज्य शासन द्वारा मेडिकल स्टोर के बंद किए जाने के आदेश के बाद भी झाबुआ में रेडक्रॉस मेडिकल स्टोर संचालित किए जाने की अनुमति दी गई थी। बी चंद्रशेखर ने जिले की जरूरत के लिए इसकी अनुमति राज्य शासन से ली थी। उनके तबादले के बाद यह फिर से बंद हो गई। जिला प्रशासन की एवं अस्पताल प्रशासन की तानाशाही के चलते बाहरी दुकानदारों को लाभ देने के उद्देश्य से यह स्टोर बंद कर दिया गया।
रेडक्रॉस संबंधित विशेषाधिकार कलेक्टर को होते थे
रेडक्रास के इस मेडीकल पर 15 प्रतिशत की छूट दवा पर मिलती थी। तत्कालीन उपाध्यक्ष विजय नायर ने बी चंद्रशेखर से कहकर इसे चालू करवाया था। इसके लिए ड्रेसर को भी रेडक्रास मेडिकल का भार दिया गया। कम वेतन में कोई फॉर्मासिस्ट काम के लिए राजी नहीं हुआ और पिछले 3 सालों में यह योजना बिल्कुल बंद हो गई। जनवरी 2017 में रेड क्रॉस को ठेके पर देने का निर्णय किया। जून 2017 में रेडक्रॉस बजट से खवासा एवं झकनावाडा को एंबुलेंस सुविधा दी गई। प्रतिवर्ष जिला प्रशासन एक निश्चित राशि सोसाइटी की आजीवन सदस्यता का अंशदान प्राप्त करने के बाद राज्य शासन को भेजता रहा है। इस राशि से स्कूलों में फस्र्ट एड किट बांटी जाती है। वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा रेड क्रॉस बाइलॉज में परिवर्तन कर रेडक्रास को स्वतंत्र एनजीओ बनाकर समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय संचालन के अधिकार प्रदान किए गए। पहले रेडक्रॉस संबंधित विशेषाधिकार कलेक्टर को होते थे। कलेक्टर रेडक्रॉस सोसायटी का अध्यक्ष होता था, लेकिन रेडक्रॉस नियमों में परिवर्तन के बाद इसमें 10 सदस्य प्रबंध समिति गठित की गई। इसके बाद इसमें कलेक्टर का हस्तक्षेप नहीं रह गया। इस समय तक रेडक्रॉस सोसायटी के खातों में लाखों रुपए जमा रहते थे। एनजीओ के पास पहुंचते ही एवं कलेक्टर को अधिकार से दूर रखते ही रेडक्रॉस सोसायटी अचानक घाटे में
चली गई।
पीडि़तों की सहायता पर बल देता है
रेडक्रास अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। जो वर्ष 1863 में युद्ध भूमि पर जख्मी और पीडि़तों को सहायता प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था। रेडक्रास मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, स्वयं प्रेरित सेवा, एकता एवं सार्वभौमिकता के सिद्धान्तों को आत्मसात कर संचालित किया जा रहा है। भारतीय रेडक्रास सोसायटी अधिनियम 1920 में पारित किया गया है जो शारीरिक स्वास्थ्य की उन्नति, रोगों का प्रतिबन्ध और पीडि़तों की सहायता पर बल देता है। भारतीय रेडक्रास सोसायटी की 700 से अधिक राज्यों में शाखाए हैं। भारतीय रेडक्रास सोसायटी जिला शाखा उन्हीं में से एक है जो वर्ष 1990 से संचालित है।
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