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गंगा की गोद में अपनों के अस्थि विसर्जन की हसरत!

locationझालावाड़Published: Jun 05, 2020 10:13:46 pm

Submitted by:

arun tripathi

-मोक्ष कलश स्पेशल नि:शुल्क बस की रवानगी का इंतजार

गंगा की गोद में अपनों के अस्थि विसर्जन की हसरत!

-मोक्ष कलश स्पेशल नि:शुल्क बस की रवानगी का इंतजार

अरुण त्रिपाठी
झालावाड़. कोरोना महामारी से निपटने के लिए पूरे देशभर में 22 मार्च से लॉकडाउन है। इसके चलते कई लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर और सरकारी साधनों के नहीं चलने से अपने मृत परिजनों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित नहीं कर पाए, उन्हें 25 मई को राजस्थान में मोक्ष कलश स्पेशल नि:शुल्क बस सेवा शुरू होने की सूचना से राहत तो मिली, लेकिन बस कब जाएगी इसका अभी इंतजार कर रहे हैं।
झालरापाटन के गोपीनाथ कुंड निवासी सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि उनकी माता चंद्रकला देवी की लॉकडाउन के दौरान मृत्यु हो गई, लेकिन साधन नहीं होने से अस्थि कलश घर पर सुरक्षित रखे हैं। अब बस शुरू होने से हरिद्वार जाकर अस्थी विसर्जन करेंगे। वहीं सुभाष नगर कॉलोनी कृष्णमूर्ति शर्मा ने बताया कि उनकी मां लक्ष्मी देवी का पिछले दिनों निधन हो गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण की डर व रोडवेज नहीं चलने से अस्थि कलश घर पर ही सुरक्षित रख दिया था। इसी तरह सुनेल निवासी कमलेश सेन भी अपने पिता गोपाल सेन की अस्थियां गंगा में विसर्जन करने को लेकर व्यथीत हैं।
पिड़ावा निवासी देवीलाल माली ने बताया कि काका प्रेमचंद माली का देहांत 13 मई हो हुआ। लॉकडाउन के चलते अस्थियों का विसर्जन कस्बे की चंवली नदी में किया। अब बस शुरू होने से गंगा में अन्य कर्म काण्ड करने जाएंगे।
खानपुर निवासी पूर्व मंडी चेयरमैन मोतीलाल नागर ने बताया कि भाई दुर्गालाल का 7 मई को निधन हुआ। लॉकडाउन के कारण हरिद्वार नहीं जाने के कारण अस्थियों को घर पर ही सुरक्षित रखा है। अब जल्द ही बस से हरिद्वार जाकर अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा। वहीं खानपुर क्षेत्र के देदिया निवासी बालमुकंद नागर ने बताया कि भाई शिक्षक जगदीश नागर का 15 मई को निधन हुआ था। तभी से उनकी अस्थियां सुरक्षित रखी हंै। अब बस से हरिद्वार जाकर अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा।
चौमहला निवासी हेमप्रकाश टेलर ने बताया कि 14 मई को उनके बड़े भाई शिवनारायण टेलर का स्वर्गवास हो गया। अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार या सौरमजी जाते हैं, लेकिन लॉक डाउन के चलते कुछ अस्थियां सुरक्षित रख ली हैं, अब जल्द ही गंगा जी में प्रवाहित करेंगे। चौमहला निवासी अमित सोनी ने बताया कि 16 अप्रेल को उनकी दादी सीता बाई का देहावसान हो गया था। लॉक डाउन के चलते समाज के प्रबुद्ध जनों की राय से यहां पर अस्थियां विसर्जित की। लॉकडाउन खुलने के बाद हरिद्वार जाकर तर्पण और अन्य कर्म काण्ड करेंगे।
हरिगढ़ निवासी रेखाचन्द बैरवा ने बताया कि पिता जी का देहांत 4 मार्च को हो गया था। जब तक कार्यक्रम पूरे हुए तब तक लॉकडाउन लगने की वजह से अस्थि वर्जन करने नहीं जा पाए। इस वजह से अस्थियों का कलश घर पर रखा है। अब जल्द अस्थि विसर्जन करने की तैयारी कर रहे हैं। हरिगढ़ निवासी ललित कुमार ने बताया कि पिताजी मूलचंद का देहांत 7 अप्रेल को हो गया था। लॉकडाउन की वजह से अस्थि विसर्जन नहीं होने की वजह से अब पुराने रीति रिवाज के हिसाब से पेड़ पर अस्थियों को रख रखा है। परिजनों से विचार विमर्श कर जल्द ही बस से हरिद्वार जाकर अस्थियों का विसर्जन करेंगे।
सारोलाकलां क्षेत्र के चितावा निवासी सियाराम धाकड़ ने बताया कि परिजन मांगीलाल धाकड़ (80) का 9 मई को निधन हुआ। लॉकडाउन की वजह से अस्थि कलश हरिद्वार गंगा जी में प्रवाहित नहीं कर पाए। अस्थि कलश घर में रखे हैं, इसका परिजनों को गहरा दुख है, लॉकडाउन खुलते ही वहां जाएंगे और अंतिम क्रिया पूरी करेंगे। वहीं चितावा निवासी बलराम नागर ने बताया कि मेरी धर्म पत्नी भूली बाई (95) का निधन 10 अप्रैल को हो गया। उनके अस्थि कलश घर में रखे हैं जब भी लॉकडाउन खुलेगा, वहां जाएंगे और अंतिम क्रिया पूरी करेंगे।
भालता के हाट चौक कुम्हार मोहल्ला निवासी हेमराज और युवराज माली ने बताया कि 27 मार्च को उनकी दादी मथरी बाई का निधन हो गया था। हरिद्वार जाने की अनुमति नहीं मिलने से दादी की अस्थियां खेत पर पेड़ के सहारे टांक रखी हैं। भालता के मुख्य बाजार, सेंट्रल बैंक के समीप निवासी पूरीलाल राठौर ने बताया कि 22 अप्रैल को पिताजी का देहांत हो गया। कुछ अस्थियां व राख तो चंद्रभागा नदी झालरापाटन में प्रवाहित कर दी। मुख्य अस्थियों को लॉकडाउन के कारण हरिद्वार गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए ले जाना संभव नहीं हुआ। अस्थि कलश घर पर ही रखा है। बस शुरू होने से जल्द ही हरिद्वार जाएंगे। वहीं भालता निवासी हेमराज पारेता ने बताया कि मां गुलाब बाई का देहावसान 9 मई को हुआ। माताजी की अस्थियां घर में ही रखी हैं। लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं। बस से जल्द ही अस्थियां पिंडदान के लिए हरिद्वार ले जाएंगे।
-अजीब स्थिति उत्पन्न
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शरीर का अंतिम संस्कार करने और अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा सदीयों पुरानी है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लोगों के सामने अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई है। अंतिम संस्कार के तीसरे दिन परिजन मुक्तिधाम से अस्थियों का कलश लेकर गंगा में प्रवाहित करने जाते हैं, लेकिन वर्तमान हालात में परिजन ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। उधर जिले में भले ही अब तक एक भी मौत कोरोना से नहीं हुई हो, लेकिन दूसरी बीमारियों और अन्य कारणों से मौतों का क्रम जारी है।
– राजस्थान में 25 मई से हरिद्वार के लिए मोक्ष कलश स्पेशल नि:शुल्क बस सेवा शुरू की गई। यात्री को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसके बाद यात्रियों की संख्या के आधार पर बस की रवानगी की तारीख, कहां से बस मिलेगी, कब पहुंचेगी इसकी सूचना मुख्यालय की ओर से दी जाती है। पिछले दिनों बारां से एक बस दोपहर 12 बजे रवाना हुई है। इसमें 16 कलश लेकर 32 यात्री सवार रहे। बूंदी और कोटा से भी पहले बसें रवाना हो चुकी हैं। झालावाड़ से बस रवाना करने के आदेश नहीं आए हैं। 25 मई से 4 जून तक 34 कलश के साथ 66 लोगों ने हरिद्वार के लिए रजिस्टे्रशन कराया है।
अतुल यादव, चीफ मैनेजर, रोडवेज, झालावाड़

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