आखातीज पर पचास साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग बनेगा, ऐसे पूजा करेंगे तो लक्ष्मी घर आएंगी
तीन मई को मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं
झालावाड़
Published: April 22, 2022 11:54:03 am
झालावाड़. सुनेल. ज्योतिषाचार्य के अनुसार साल 2022 में अक्षय तृतीया मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में आगामी 3 मई को मनाई जाएगी। इसके साथ ही तैतिल कारण और स्थित राशि अर्थात वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है। इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण होने जा रहा है। शोभन योग इस दिन विशेष है, क्योंकि इसे सबसे अधिक शुभ बना रहा है। साथ ही पांच दशक बाद ग्रहों का विशेष योग भी बन रहा है, जो अत्यन्त शुभ माना गया है। शुभ योग में अक्षय तृतीया मनाने का ये संयोग 50 साल बाद बना है।
अक्षय तृतीया पर दान करने से सर्वाधिक पुण्य की प्राप्ति होगी
विद्वानों के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया पर करीब 50 साल बाद दो ग्रह उच्च राशि में विद्यमान रहेंगे, जबकि दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में विराजमान होंगे। गुरू मीन राशि में होने से हंस राजयोग, अपनी उच्च राशि में शुक्र के रहने से मालव्य राजयोग, शनि के अपने घर में रहने से शश नामक राजयोग के साथ सूर्यचंद्र अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेंगे। जिससे शुभ संयोग और ग्रहों की विशेष स्थिति में अक्षय तृतीया पर दान करने से सर्वाधिक पुण्य की प्राप्ति होगी। इस दिन जल से पूर्ण कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते है, जिसके लिए मुहुर्त देखने की आवश्यकता नहीं है।
संपत्ति में बढ़ोत्तरी
ज्योतिषाचार्य पंडित बालकृष्ण दुबे ने बताया कि चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अपने आप में बहुत ही विशेष है। अक्षय तृतीया पर बन रहे इस शुभ संयोग में मंगल कार्य करना बहुत ही शुभ और फलदायी होगा। पैराणिक मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मीनारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिए। माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन दान करने से सुख संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। आखातीज पर दो कलश का दान महत्वपूर्ण होता है। इसमें एक कलश पितरों का और दूसरा कलश भगवान विष्णु का माना गया है। पितरों वाले कलश को जल से भरकर काले तिल, चंदन और सफेद फूल डालें। वहीं भगवान विष्णु वाले कलश में जल भरकर सफेद जौ, पीला फूल, चंदन और पंचामृत डालकर उस पर फल रखें। इससे पितृ और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही परिवार में सुख-समृद्वि भी बनी रहती है।

आखातीज पर पचास साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग बनेगा, ऐसे पूजा करेंगे तो लक्ष्मी घर आएंगी
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