Jhalawar News. बैशाख में प्यासे को जल पिलाने से 100 गंगा स्नान का पुण्य और रुद्राभिषेक का फल मिलता
वैशाख मास में 19 अप्रैल को चतुर्थी व्रत 24 को शीतला अष्टमी. 26 को वरुथिनी एकादशी.ए 28 को प्रदोष व्रत.ए 30 को अमावस्या, 3 मई परशुराम जयंती व अक्षय तृतीए, 8 को गंगा सप्तमीए 10 को सीता नवमी, 12 को मोहिनी एकादशीए13 को बुद्ध पूर्णिमा रहेगी
झालावाड़
Published: April 17, 2022 06:28:51 pm
झालरापाटन चैत्र मास की विदाई के साथ ही रविवार से वैशाख मास का आगाज हुआ। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार वैशाख को दूसरा महीना माना जाता है, जबकि चैत्र मास से भारतीय नव वर्ष की शुरुआत होती है। 18 मार्च से चैत्र शुरू हुआ था और 16 अप्रैल को पूर्णिमा के साथ ही इसकी विदाई हो गई।
आचार्य प्रेम शंकर शर्मा के अनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि को भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं को अमृत पान कराया थाए चतुर्दशी को देव विरोधी देत्यों का संहार किया था। पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हुआ था। वैशाख मास में 19 अप्रैल को चतुर्थी व्रत 24 को शीतला अष्टमी, 26 को वरुथिनी एकादशीए 28 को प्रदोष व्रत, 30 को अमावस्या, 3 मई परशुराम जयंती व अक्षय तृतीयाए 8 को गंगा सप्तमीए 10 को सीता नवमी, 12 को मोहिनी एकादशीए13 को बुद्ध पूर्णिमा रहेगी।
वैशाख मास का भी खासा महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास का भी खासा महत्व है। हिंदू धर्म विक्रम संवत में वैशाख का महीना दूसरा महीना होता है। जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में अप्रैल व मई में आता है। हिंदू धर्म महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते हैं। महीने का बदलना चंद्र चक्र पर निर्भर करता है। चंद्रमा जिस नक्षत्र पर होता हैए इस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। बेशाख मास की पूर्णिमा को चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में रहता हैए इसीलिए इस मास को वैशाख मास कहा जाता है।
पितरों के तर्पण के लिएअमावस्या का दिन शुभ
आचार्य प्रेम शंकर शर्मा के अनुसार वैष्णव कैलेंडर में इस महीने मधुसूदन शासन करता है। इस माह गीता का पाठए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठए श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। पितरों के तर्पण के लिए वैशाख अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी निर्धन व्यक्ति को दान दक्षिणा दें। इस दिन नदीए जलाशयए कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अघ्र्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। इस माह गर्मी अधिक होने से लगातार शिवलिंग का अभिषेक मंदिरों में किया जाता है। वहीं धर्म अध्यात्म के आयोजन भी इसी माह में अधिक होते हैं। प्यासे को पानी पिलाने के लिए इस माह जगह जगह प्याऊ लगाई जाती है। यह बड़ा पुण्य का कार्य माना जाता है।

Jhalawar News. बैशाख में प्यासे को जल पिलाने से 100 गंगा स्नान का पुण्य और रुद्राभिषेक का फल मिलता
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