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झालावाड़

डेंग का डंक, झालावाड़ की चिकित्सा व्यवस्थाएं पस्त

– मेडिसीन विभाग में 75-75 बेड, जरुरत 100-100 की- जमीन पर ही किया जा रहा भर्ती

झालावाड़Sep 17, 2021 / 07:48 pm

harisingh gurjar

Dang's sting, Jhalawar's medical systems battered

डेंग का डंक, झालावाड़ की चिकित्सा व्यवस्थाएं पस्त

हरिसिंह गुर्जर

झालावाड़.जिले में कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों के बीच डेंगू ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। इन दिनों वायरल फीवर सहित अन्य मौसमी बीमारियों से जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की लम्बी कतारें लग रही हैं। गांव से लेकर शहर और कस्बों तक मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। जिले में मौसमी बीमारियों से पीडि़त मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। अस्पतालों में एक पखवाड़े में ओपीडी की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। आलम यह है कि अस्पतालों में बेड से अधिक संख्या मरीजों की आ रही है। जिला अस्पताल में कुल 650 बेड हैं, ऐसे में भर्ती मरीजों को पलंब भी नसीब नहीं हो पा रहे हैं। ओपीडी भी करीब 2500 तक पहुंच रही है। भर्ती मरीजों में सबसे ज्यादा मरीज डेंगू के आ रहे हैं। ऐसे में चिकित्सक भी डेंगू मान कर ही मरीजों को भर्ती कर रहे हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी व लचर व्यवस्था के चलते एसआरजी चिकित्सालय की व्यवस्थाएं इन दिनों वेंटिलेटर पर है। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। चिकित्सालय में सभी विभागों के लिए 650 ही पलंब है। जबकि इन दिनों मेडिसीन विभाग में मेल व फिमेल वार्ड में करीब 200 मरीज भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में कई मरीजों को पलंब नहीं मिल पा रहा है। जिले में डेंगू के पैर पसारने से शहर के लोग सहम गए हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू से बचाव के लिए मुकम्मल तैयारियां नहीं की जा रही हैं।
मरीज बैंच व जमीन पर-
केस एक-
गांधी सागर से आए दीपक कुमार ने बताया कि जांच में डेंगू बताया गया है। कल से भर्ती है, लेकिन पलंग नहीं मिलने से बैंच पर ही भर्ती कर रखा है। और पलंग की सुविधा हो तो मरीजों को परेशानी नहीं आए।
केस दो-
ठंगूनी निवासी मरीज राजेश ने बताया कि मैं तीन दिन पहले भर्ती हुआ था, लेकिन जब से ही बैंच पर हूं। डॉक्टर साहब ने डेंगू बुखार बताया है। पलंग की पूछा तो बताया कि पलंग नहीं है।
केस तीन-
मरीज निर्मला ने बताया कि बुखार आ रहा था, मेडिसीन विभाग में बताया तो भर्ती कर दिया। मंै कल से भर्ती हूं, लेकिन अभी तक पलंग नहीं मिला है। अस्पताल वालों को और पलंग खरीदना चाहिए।
केसचार-
मध्यप्रदेश के बरखेडी निवासी प्रकाश बाई ने बताया कि बुखार व मौसमी बीमारी से शरीर पर सुजन होने से डॉक्टरों ने भर्ती किया था। लेकिन पलंग नहीं मिलने से बैंच पर ही भर्ती कर दिया। तब से इसी पर भर्ती हूं।

जमीन पर भी कर रहे भर्ती-
एसआरजी चिकित्सालय में इन दिनों मरीजों के अधिक आने से पलंग कम पड़ रहे हैं। ऐसे में मरीजों को जमीन पर ही भर्ती किया जा रहा है। मरीज मानसिंह व अन्य मरीज जमीन भी भर्ती नजर आए।

बदहाल फॉल सिलिंग की ओर नहीं ध्यान-
एसआरजी चिकित्सालय के कई वार्ड में फॉल सिलिंग पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है। दूसरे, तीसरे व चौथे फ्लोर सहित स्वयं अधीक्षक कक्ष के सामने भी फॉल सिलिंग कई दिनों से टूट रही है। लेकिन जिम्मेदारों को इन परेशानियों की ओर ध्यान नहीं है।
अधीक्षक डॉ. संजय पोरवाल से: सवाल जवाब

सवाल:इन दिनों एसआरजी में मौसमी बीमारियों के काफी मरीज आ रहे क्या तैयारी की।
जवाब: सही है ओपीडी व आईपीडी में मरीजों की संख्या बढी है, इसके लिए हमने 5-6 चिकित्सकों की ड्यूटी अतिरिक्त लगाई है।
सवाल: मेडिसीन विभाग में 75-75 ही पलंग है, जबकि जरुरत 100-100की है।
जवाब: कुछ बैंच लगी हुई है। इमरजेंसी में भी व्यवस्था की है, पलंग की डिमांट सरकार को भेजी गई है। जिन विभागों में पलंग काम नहीं आ रहे हैं,वहां से भी काम में ले रहे हैं।
सवाल: जगह-जगह दीवारे खराब है, फॉल सीलिंग टूटी हुई है, इसके लिए क्या कर रहे
जवाब: ये सरकार के स्तर का काम है, हमने पीडब्ल्यूडी के माध्यम से तकमीना बनाकर सरकार को भेज दिया।

सवाल:वार्ड के टायलेट व कौने बूरी तरह से गंधे हो रहे हंै, ये कैसी मॉनिटिरंग है
जवाब: तीनबार केमिकल से सफाई के निर्देश दे चुके हैं, कोटपा के चालान काटने के लिए बोला है। फिर भी सुधार नहीं होगा तो इंचाज के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
सवाल: 5-6 डॉक्टर बढ़ाने के बाद भी मरीजों को घंटो लाइन में लगना पड़ रहा है
जवाब: मरीजों के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए, इसको दिखवाकर परेशानी को दूर किया जाएगा।

सवाल: जांच पर्ची के लिए 11बजे ही मना किया जा रहा है, ऐसे में कैसे जांच होगी
जवाब: अब जांच का समय 12.30 तक बढ़ा दिया गया है,फिर भी पर्ची काटने के लिए मना किया जा रहा है तो कार्रवाई करेंगे।
सवाल: डेंगू में प्लेटलेट्स व रक्त की बहुत कमी हो रही है, क्या तैयारी है
जवाब: हमारे पास एसडीपी व आरडीपी की व्यवस्था है, लेकिन अभी नेक टू नेक काम में आ रही है। रक्तदान शिविर इसी महीने लगाया जा रहा है।
सवाल: ग्रामीण मरीज परेशान हो रहे हेल्प डेस्क कहां है
जवाब: भामाशाह काउंटर पर काम कर रहा है,फिर से एक लड़का बिठा देंगे।
पत्रिका व्यू:
जिले सहित मध्यप्रदेश के अन्य जिलों से आने मौसमी वायरल सहित डेंगू के बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं। जो करीब एक माह तक आने की संभावना चिकित्सक जता रहे हैं। डेंगू आदि के मरीज को सही होने में करीब एक सप्ताह तक का समय लग रहा है। ऐसे में एसआरजी चिकित्सालय की चिकित्सा व्यवस्था सुधारने की जरुरत है। चिकित्सालय में सर्जिकल, ईनएटी, नेत्र विभाग सहित कई विभागों के साथ समन्वय कर खाली पलंगों को काम में लिया जा सकता है। ताकि बुखार आदि से परेशान मरीज और दु:खी नहीं हो। सरकार के साथ-साथ जिले के भामाशाहों से भी पलंग आदि के लिए मदद ली जा सकती है। इसके लिए जिले के भामाशाहों व दानदाताओं को भी आगे आना चाहिए।
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