सूत्रों ने बताया कि आरएमएल राजस्थान निर्मित शराब को जबरन थाने जाने के भी ठेकेदार खिलाफ है। शराब ठेकेदार 60 फीसदी घाटा खाकर भी आरएमएल शराब बेचने को तैयार है। यानी 3 हजार की पेटी को 1200 में बेचने को तैयार है। लेकिन फिर भी नहीं बिक पा रही है। अनुज्ञाधारी पिछले वर्ष की तरह करना चाहते हैं, इससे दूसरी शराब जिसकी मांग है वह भी बिक सकती है। इन दिनों झालावाड़ में ठेकेदारों के गोदाम आरएमएल (राजस्थान निर्मित शराब) के माल से भरे पड़े हैं। हालात यह है कि वे घाटा उठाकर इसे बेचने को मजबूर है। उनका आरोप है कि आरएमएल का माल बिक ही नहीं रहा। कम बिक्री के चलते गत दिनों झालावाड़ के करीब 30 दुकानदारों ने दुकानें सरेंडर करने के लिए आवेदन दिए थे।
सूत्रों ने बताया कि झालावाड़ में पिछली रिजर्व प्राइस से इस बार 20 प्रतिशत ज्यादा बढ़ा दिया है। इससे इसबार 63.71 प्रतिशत मात्रा बढ़ गई है। जबकि इतनी ब्रिकी नहीं हो पा रही है। ग्राहकों की तुलना में शराब ज्यादा मात्रा में आ रही है। जबकि हर वर्ष 5 फीसदी ही ग्राहक बढ़ते हैं। जबकि माल की ग्रोथ 63 फीसदी बढ़ गई है। ऐसे में शराब नहीं बिक पा रही है।
झालावाड़ जिले के पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश में आबकारी कानून लागू होने से भी झालावाड़ के व्यापारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जिले के तीनों तरफ मध्यप्रदेश की सीमा लगी होने से काफी मात्रा में पहले शराब मध्यप्रदेश के कस्बों में जाती थी। लेकिन अब जिले से शराब जाते ही संबंधित ठेकेदार को अभियुक्त बनाकर आजीवन करावास की सजा दी जाती है। इसके चलते कोई ठेकेदार से कोई व्यक्ति शराब नहीं ले जाता है। सूत्रों ने बताया कि जिले के ठेकेदारों से एमपी पुलिस आबकारी कानून की आड में बेजा फायदा उठा रही है।
ठेकेदार ये कर रहे मांग-
आरएमएल की गारंटी को कम करने के साथ ये बेसिक लाइसेंस फीस को समाप्त कर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने, निर्धारित गारंटी की गणना त्रैमासिक आधार पर करने, राइडर हटाने, राजकोष में जमा सात प्रतिशत राशि रिफंड करने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इन पर ध्यान नहीं दे रही। ऐसे में कई दुकाने सरेंडर के लिए तैयार है। इसके लिए मुख्यमंत्री व आबकारी आयुक्त को भी लिखित में भेज चुके हैं।
शराब के ठेकेदारों को नई आबकारी नीति के तहत देसी व आरएमएल शराब बराबर मात्रा में खरीदनी पड़ती है। अब देसी मदिरा तो बिक जाती है पर आरएमएल शराब नहीं बिक रही है। हर महीने ठेकेदारों को इसकी तय मात्रा उठानी पड़ रही है। ऐसे में उनके गोदाम आरएमएल के माल से भरे पड़़े है। ग्राहकों को कम दाम पर बेचने के बाद भी वे माल ठिकाने नहीं लगा पा रहे हैं।
झालावाड़- 305 करोड़
बून्दी- 190 करोड़
बारां- 260 करोड़
कोटा-465 करोड़
फैक्ट फाइल-
-जिले में दुकाने- 160
– संचालन हो रहा 141का
– जिले में 15 दुकानों का फिर से बंदोबस्त हो चुका है
– चार दुकानों के लिए फिर से 18 आवेदन मांगे गए है
ये बात सही है कि कोरोना की वजह से शराब अनुज्ञाधारियों को को नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई अप्रेल,मई व जून में 30 फीसदी गारंटी में छूट देकर सरकार द्वारा की गई है। झालावाड़ जिला उन जिलो में शामिल है जहां सबसे पहले दुकानों कोबंदोबस्त होकर दुकानें चालू हुई है। निर्धारित राशि से काफी अधिक राशि पर जिले में ठेके उठी है। ्करीब 30 लोगों ने आवेदन दिया था, सहानुभूति पूवर्क विचार किया जा रहा है, लेकिन लेकिन किसी का स्वीकार नहीं किया गया है। नियमानुसार नहीं चलाने पर 19 दुकाने रद्द कर फिर से बंदोबस्त किया गया है, 4 दुकानों की ई-नीलामी शनिवार को की जाएगी।