इन दिनों किसानों के खेतों में फसले कटाई के बाद खलियानों में या खेतों में फेल रही है तो कुछ को की अभी काटना बाकी है। ऐसे में गुरुवार रात को आई जोरदार बारिश से पूरी फसले खराब हो गई है। किसान रमेश चन्द ने बताया कि शनिवार को गेहूं के पुलों को अलग.अलग कर धूप लगा रहे हैं। इससे धूप व हवा लगने से जल्दी सूख जाएंगेए अभी मौसम रोज खराब हो रहा हैए कोई भरोसा नहीं कब फिर से बारिश आ जाए। किसान से पूछा की सर्वे के लिए कोई नहीं आया क्या तो किसान बोलाए कांई करां साहब सोयाबीन पहलां ही खराब होग्यीए अब रबी की फसलां मेें भी गडा पढ़ ग्याए सरकार कांई मदद करें तो कसांणा का भलो नी तो कसांण तो म्यार्याई ज्यार्या है। बीमा कंपनीया भी कांई भलो कोणी करें।
पॉलीहाउस में पहुंचा नुकसान.
जिले में कई किसानों ने पॉलीहाउस लगा रखे हैंए इनमें से कई को अंधड़ से नुकसान हुआ है। किसान ओमप्रकाश पाटीदार ने बताया कि उनके काला खांखरा गांव में 2 पॉलीहाउस व 2 नेट शेड है जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए है। डेयरी के टीन शेड भी उड़ गए है। कोरोना की वजह से साधन भी कहीं नहीं भेज पा रहे हैंए ऐसे में खीरा ककड़ी भी खराब हो रहे हैं।ऐसे में प्रकृति ने संरक्षित खेती को ऐसा नुकसान पहुंचाया है कि किसान खून के आंसू रो रहा है।
कृषि विशेषज्ञ दीपक कुमार गुर्जर का कहना है कि फसल बीमा के नाम पर बीमा कंपनियां विशेष तौर पर निजी क्षेत्र बीमा कंपनियां किसानों का शोषण करती है। किसानों के खाते से केसीसी के समय ही राशि काट ली जाती है। ऐसे में यहां लेकिन सवाल ये है कि फल बीमा योजना सफल होए इसके लिए एक अच्छा विकल्प यह है कि सरकार की आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर ट्रस्ट मॉडल के आधार पर फसल बीमा किया जाए।वैसे भी केन्द्र व राज्य सरकार अपने बजट में फसल बीमा के लिए प्रावधान करती हैए जिससे किसान के नुकसान की भरपाई हो सके।यदि दोनों सरकारें इसतरह के प्रावधान करें तो बीमा कंपनियों द्वारा किसानों का शोषण भी रूकेगा। बीमा कंपनियों द्वारा किसानों के नुकसान की उचित भरपाई होगी तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की लोकप्रियता भी बढ़ेगी।
जिले में अतिवृष्टि से हुए खराबे के लिए राजस्व व कृषि विभाग को सर्वे के निर्देश दिए गए है। मकानों में हुए नुकसान का आंकलन करवाया जाएगा।
सिद्धार्थ सिहाग, जिला कलक्टर झालावाड़।