लगाई जाएगी घांस-
मुकन्दरा टाइगर रिजर्व में चीतल व काले हिरण के लिए ग्रासलैंड तैयार की जा रही है। ताकि शाकाहारी वन्यजीव इस चाव से खा। ग्रास लगाने के बाद इसे बढऩे तक इसकी सुरक्षा की जाएगी, ताकि शाकाहारी वन्यजीव व मवेशियों द्वारा इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सके।
चार बाघ है मुकन्दरा रिजर्व में-
मुकुन्दरा हिल्स एवं टाइगर रिजर्व को जल्द पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। आगामी जनवरी माह में टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। विभाग इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है। गौरतलब है कि मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व को अप्रेल 2013 में टाइगर रिजर्व घोषित किया था। इसमें गत वर्ष अप्रेल में रामगढ़ से बाघ को रेस्क्यू कर लाकर छोड़ा गया था। अभी टाइगर रिजर्व में बाघों के दो जोड़े हैं। बाघ एमटी 1 व बाघिन एमटी2 दरा क्षेत्र में 82 वर्गकिलोमीटर में विचरण कर रहे हैं, वहीं एमटी 3 व बाघिन एमटी 4 खुले जंगल में विचरण कर रहे हैं। हाड़ौती के वन्यजीव प्रेमी लंबे समय से टाइगर रिजर्व को पर्यटकों के लिए खुलने का इंतजार कर रहे हैं। अधिकारियों की माने तो नए साल में पर्यावरण प्रेमियों को पर्यटन की सौगात मिल सकती है।
भारत में वैश्विक बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा है। बाघ संरक्षण के लिए भारत सरकार ने पशु संरक्षण के उद्देश्य से 1972 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया। इस परियोजना के हिस्से के रूप में बाघों की आबादी को बनाए रखने के लिए कोर एरियाए बफ र क्षेत्रों को अधिसूचित किया गया था। बाघ संरक्षण के लिए देश में मुकन्दरा सहित करीब 48 बाघ अभयारण्य है।
बाघ पारिस्थितिक तंत्र,जैव विविधता के लिए जरूरी होने के साथ ही पर्यटन व रोजगार का भी बड़ा साधन बनेगा, मुकन्दरा सहित अन्य टाइगर रिजर्व में बाघ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। जिस टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, पर्यटकों की संख्या भी वहां अधिक रहेगी।ऐसे में बाघ के हष्ट-पुष्ट होने के लिए सांभर, चीतल व काले हिरण का होना बहुत जरूरी है। पर्यटकों की संख्या बढने से जिले के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन भी मुहैया हो सकेंगे।
पारिस्थितिक तंत्र के लिए बाघ जरूरी-
मानव जीवन में पारिस्थितिक तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है और पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में बाघों का बड़ा रोल है। कारण है कि जंगल नहीं होगा तो नदी का उद्गम नहीं हो सकेगा और नदी नहीं होंगी तो पानी का संकट खड़ा हो जाएगा। इतना ही नहीं बाघ नहीं होंगे तो पहाड़ों में अवैध खनन बढ़ेगा, व जंगल नष्ट हो जाएंगे, जिससे पहाड़ों का सफाया हो जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो जिले में पर्यावरण संतुलन गड़बड़ा जाएगा। इसलिए जंगल को बचाने के लिए बाघों का संरक्षण भी जरूरी है।
डॉ. पीएस चौहान,वन जैविकी जैव वृक्ष सुधार प्रभाग, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय,झालावाड़
दिल्ली से कितने पकड़ में आते है उसके बाद ही पता चल पाएगा, अभी हमारे पास छोटे एनक्लोजर में करीब 25 चीतल व 7-8 हिरण छोट रखे है, इनकी ब्रिडिंग होने के बाद इन्हे भी छोड़ा जाएगा। जानवरों के लिए ग्रास लैंड तैयार की जा रही है। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।
डॉ. टी मोहन राज,डीएफओ, मुकंदरा टाइगर रिजर्व।