scriptदिल्ली से आएगा मुकुंदरा रिजर्व के बाघों का भोजन | Food of tigers of Mukundara Reserve will come from Delhi | Patrika News

दिल्ली से आएगा मुकुंदरा रिजर्व के बाघों का भोजन

locationझालावाड़Published: Dec 12, 2019 11:39:44 am

Submitted by:

harisingh gurjar

-मुकुन्दरा में फुड चेन की तैयारी, दिल्ली से लाएंगे चीतल व काले हिरण
-अगले माह खुल सकते हैं पर्यटकों के लिए गेट

Food of tigers of Mukundara Reserve will come from Delhi

दिल्ली से आएगा मुकुंदरा रिजर्व के बाघों का भोजन,दिल्ली से आएगा मुकुंदरा रिजर्व के बाघों का भोजन,दिल्ली से आएगा मुकुंदरा रिजर्व के बाघों का भोजन

झालावाड़.मुकुन्दरा नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की घोषणा के बाद अब यहां बाघों के भोजन के लिए चीतलों को लाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए गत दिनों राज्य वन्यजीव बोर्ड ने अपनी बैठक में अनुमति दे दी है। मुकन्दरा के अधिकारी चीतल व काला हिरण लेने के लिए दिल्ली गए हुए है। दिल्ली में जितने चीतल व काले हिरण कैप्चर होंगे उसके अनुसार ही उन्हें मुकन्दरा में लाया जाएगा। चीतलों के लाने के बाद यहां अन्य टाइगर रिजर्व पार्क से बाघों का आना-जाना बढ़ेगा।
फिलहाल मुकन्दरा टाइगर रिजर्व में चार टाइगर भ्रमण कर रहे हैं। मुकन्दरा को टाइगर रिजर्व बनाए जाने के बाद अब इसके लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए सबसे पहले यहां आने वाले टाइगरों को रोकने और उनके विचरण के लिए माहौल तैयार करने के लिए दिल्ली वन्य जीव अभयारण्य से चीतलों को यहां लाया जाएगा।
एक्सपर्ट का कहना है कि बाघ उतने ही चीतलों का शिकार करते हैं जितने में उनका आहार चक्र प्रभावित न हो। बाघ सभी चीतलों को पूरी तरह नहीं खाते हैं। वहीं इसके कारण चीतल हर छह से आठ माह में प्रजनन करते हैं। इससे उनकी संख्या में कमी नहीं आती है।

लगाई जाएगी घांस-
मुकन्दरा टाइगर रिजर्व में चीतल व काले हिरण के लिए ग्रासलैंड तैयार की जा रही है। ताकि शाकाहारी वन्यजीव इस चाव से खा। ग्रास लगाने के बाद इसे बढऩे तक इसकी सुरक्षा की जाएगी, ताकि शाकाहारी वन्यजीव व मवेशियों द्वारा इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सके।

चार बाघ है मुकन्दरा रिजर्व में-
मुकुन्दरा हिल्स एवं टाइगर रिजर्व को जल्द पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। आगामी जनवरी माह में टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। विभाग इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है। गौरतलब है कि मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व को अप्रेल 2013 में टाइगर रिजर्व घोषित किया था। इसमें गत वर्ष अप्रेल में रामगढ़ से बाघ को रेस्क्यू कर लाकर छोड़ा गया था। अभी टाइगर रिजर्व में बाघों के दो जोड़े हैं। बाघ एमटी 1 व बाघिन एमटी2 दरा क्षेत्र में 82 वर्गकिलोमीटर में विचरण कर रहे हैं, वहीं एमटी 3 व बाघिन एमटी 4 खुले जंगल में विचरण कर रहे हैं। हाड़ौती के वन्यजीव प्रेमी लंबे समय से टाइगर रिजर्व को पर्यटकों के लिए खुलने का इंतजार कर रहे हैं। अधिकारियों की माने तो नए साल में पर्यावरण प्रेमियों को पर्यटन की सौगात मिल सकती है।
बाघ को बचाने के लिए बनाए टाइगर प्रोजेक्ट
भारत में वैश्विक बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा है। बाघ संरक्षण के लिए भारत सरकार ने पशु संरक्षण के उद्देश्य से 1972 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया। इस परियोजना के हिस्से के रूप में बाघों की आबादी को बनाए रखने के लिए कोर एरियाए बफ र क्षेत्रों को अधिसूचित किया गया था। बाघ संरक्षण के लिए देश में मुकन्दरा सहित करीब 48 बाघ अभयारण्य है।
पर्यटन व रोजगार का है बड़ा साधन
बाघ पारिस्थितिक तंत्र,जैव विविधता के लिए जरूरी होने के साथ ही पर्यटन व रोजगार का भी बड़ा साधन बनेगा, मुकन्दरा सहित अन्य टाइगर रिजर्व में बाघ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। जिस टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, पर्यटकों की संख्या भी वहां अधिक रहेगी।ऐसे में बाघ के हष्ट-पुष्ट होने के लिए सांभर, चीतल व काले हिरण का होना बहुत जरूरी है। पर्यटकों की संख्या बढने से जिले के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन भी मुहैया हो सकेंगे।

पारिस्थितिक तंत्र के लिए बाघ जरूरी-
मानव जीवन में पारिस्थितिक तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है और पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में बाघों का बड़ा रोल है। कारण है कि जंगल नहीं होगा तो नदी का उद्गम नहीं हो सकेगा और नदी नहीं होंगी तो पानी का संकट खड़ा हो जाएगा। इतना ही नहीं बाघ नहीं होंगे तो पहाड़ों में अवैध खनन बढ़ेगा, व जंगल नष्ट हो जाएंगे, जिससे पहाड़ों का सफाया हो जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो जिले में पर्यावरण संतुलन गड़बड़ा जाएगा। इसलिए जंगल को बचाने के लिए बाघों का संरक्षण भी जरूरी है।
संाभर भी होना जरूरी है-

टाइगर रिजर्व में सांभर का होना भी बहुत जरूरी है। खाद्य श्रंखला में बाघ टॉप पर होता है। उसे हेल्दी फुड मिलेगा तो, हेल्दी केब होंगे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमा ज्यादा होगी। टाइगर का कुनबा ज्यादा बढ़ेगा। पालतू जानवरों के खाने से टाइगर में संक्रमण का खतरा बढऩे का खतरा रहता है।
डॉ. पीएस चौहान,वन जैविकी जैव वृक्ष सुधार प्रभाग, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय,झालावाड़
ग्रास लैंड तैयार की जा रही है-
दिल्ली से कितने पकड़ में आते है उसके बाद ही पता चल पाएगा, अभी हमारे पास छोटे एनक्लोजर में करीब 25 चीतल व 7-8 हिरण छोट रखे है, इनकी ब्रिडिंग होने के बाद इन्हे भी छोड़ा जाएगा। जानवरों के लिए ग्रास लैंड तैयार की जा रही है। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।
डॉ. टी मोहन राज,डीएफओ, मुकंदरा टाइगर रिजर्व।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो