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झालावाड़

करोड़ों के खेल संकुल में खेलों की सुध नही….

-सिर्फ शोपीस बनी है भव्य इमारत-प्रतियोगिता के लिए नही मिला स्वीमिंग पुल, खेल मैदान नही है तैयार, कोच भी नहीं

झालावाड़Sep 03, 2018 / 05:22 pm

jitendra jakiy

Games do not improve sports in crores of sports packages ...

करोड़ों के खेल संकुल में खेलों की सुध नही….

करोड़ों के खेल संकुल में खेलों की सुध नही….
-सिर्फ शोपीस बनी है भव्य इमारत
-प्रतियोगिता के लिए नही मिला स्वीमिंग पुल, खेल मैदान नही है तैयार, कोच भी नहीं
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. मुख्यमंत्री के गृह जिला मुख्यालय पर खेलों के प्रोत्साहन के लिए बनाए राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े करीब 95 बीघा क्षेत्र में फैले व करीब आठ करोड़ की लागत से 2005 में निर्मित खेल संकुल स्टेडियम में 13 साल बाद भी इसकी उपयोगिता के सार्थक परिणाम नही मिल पा रहे है। खेल संकुल में अभी तक कई खेलों के मैदान पूरी तरह से तैयार नही हो पाए है। वही दूसरी ओर सरकार ने खेल संकुल की आय बढ़ाने के लिए तरणताल को ठेके पर तो दे दिया लेकिन अब यहां खेल गतिविधियों के लिए इसका उपयोग बंद हो गया। वही कबडड़ी के लिए मैट भी उपलब्ध नही है।
-निजी संस्था के रहमोकरम पर सरकारी विभाग
इन दिनो शिक्षा विभाग की ओर से चल रही विभिन्न खेल प्रतियोगिता में विभाग को तैराकी के लिए निजी स्कूल के रहमोकरम पर रहना पड़ रहा है वहीं साफ्टबॉल के लिए सरकारी स्कूल के मैदान का सहारा लेना पड़ा। विभाग की ओर से 63 वीं जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताएं चल रही है। इसमें तैराकी प्रतियोगिता के लिए सेंट जोसेफ स्कूल के स्वीमिंग पुल का सहारा लेना पड़ रहा है। वही साफ्टबॉल प्रतियोगिता के लिए न्यू ब्लॉक स्कूल मैदान में मैच कराने पड़ रहे है क्योकि खेल संकुल में सॉफ्ट बॉल के लिए पूरी तरह से तैयार मैदान नही है।
-स्वीमिंग पुल में पानी नही मिला
इस सम्बंध में जिला शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र सिंह गौड़ का कहना है कि तैराकी प्रतियोगिता के लिए खिलाड़ी स्वीमिंग पुल गए थे लेकिन वहां पानी नही होने से इसको सेंट जोसेफ स्कूल में कराना पड़ रहा है। सॉफ्ट बॉल के लिए भी न्यू ब्लॉक स्कूल का मैदान ठीक है। इसलिए यहां प्रतियोगिता करवा रहे है।
-तरणताल ठेके पर है, मैदान का बजट नही है
इस सम्बंध में जिला खेल अधिकारी महीपाल गे्रवाल का कहना है कि स्वीमिंग पुल को ठेके पर दे रखा है इसलिए हम उससे कुछ नही कर सकते है। खेल मैदान के लिए बजट नही है। शिक्षा विभाग तो बड़ा है उसके पास प्रतियेागिता के लिए बड़ी संख्या में बजट आता है, वह मैदान को तैयार करवा सकते थे।
कबड्डी के मैट का अभाव
-कोच नही होने से नही हो रहा उपलब्ध
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. खेल संकुल स्टेडियम में विशुद्व भारतीय खेल कबड्डी का मैट अभी तक उपलब्ध नही हो पाया है। इसका कारण विभाग की ओर से यह भी बताया गया कि यहां कबड्डी के खिलाड़ी तो बहुत अच्छे है लेकिन प्रशिक्षण के अभाव में कबड्डी के साधन उपलब्ध नही हो पा रहे है। जबकि राज्य के अधिकांश जिलों में कबड्डी का मैट उपलब्ध है। एशियाई खेलों मे कबड्डी को शामिल करने के यह खेल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। एशियाई खेलों 9 बार भारत की टीम ने स्वर्णपदक जीतकर विजेता होने का गौरव प्राप्त किया है। विदेशों में कबडड़ी मैट पर खेली जाने के बाद अब भारत में भी कई राज्यों के अलावा राजस्थान के अधिकांश जिलों में कबड्डी मैट पर खेली जा रही है। इससे खिलाडिय़ों के ज्यादा चोटिल होने का खतरा नही रहता है।
-फिलहाल मिट्टी में खेलते है खिलाड़ी
खेल संकुल में कहने को तो कबडड़ी का मैदान है लेकिन उसकी स्थिति बहुत बुरी है। जबकि नियम यह है कि मैदान में सबसे पहले डेढ़ से दो फिट जमीन खोदी जाती है। इसके बाद पत्थर के बोल्डर डाले जाते है, इसके बाद ईंटे बिछाई जाकर चूरी व मिट्टी भरी जाती है। इससे मैदान सोफ्ट हो जाता है। लेकिन यहां मैदान में इन समय कटिंली झांडिय़ा नजर आती है।
-मैट पर अन्य खेल भी खेल सकेगें
कबड्डी का मैट उपलब्ध हो जाने के बाद उस मैट पर खो-खो, जिमनास्टिक व अन्य खेल भी खेले जा सकेंगे।
-भविष्य में मैट होना जरुरी
इस सम्बंध में जिला कबड्डी संघ के अध्यक्ष दिनेश सक्सेना ने बताया कि वर्तमान में कबड्डी में विदेशी टीमों से मुकाबला हो रहा है। भविष्य में कबड्डी मात्र मैट पर ही खेली जाएगी। इसके लिए कबड्डी शूज भी जरुरी होता है। जिले में भी कबड्डी की अच्छी टीम है इसलिए महिला व पुरुष खिलाडिय़ों के लिए अलग अलग मैट व अन्य साधन उपलब्ध होना चाहिए। संघ की ओर से भी सरकार का इस ओर ध्यान दिलाने के लिए प्रयास किया जाएगा।
-कोच के अभाव में नही हो पा रहा उपलब्ध
इस सम्बंध में जिला खेल अधिकारी महीपाल ग्रेवाल ने बताया कि जिला मुख्यालय पर अभी कबड्डी का कोच उपलब्ध नही है इसलिए इस खेल के साधन भी उपलब्ध नही हो पा रहे है। खेल संकुल में कबड्डी कोच के लिए सरकार को लिखा है, जैसे ही कोच मिलेगा मेट आदि साधन भी मंगवा लिए जाएगें।
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