इन्होंने नहीं भेजा प्रस्ताव, उन्होंने भी कहा नहीं…
झालावाड़Published: Feb 21, 2020 12:55:07 pm
वाकपीठ आयोजन के लिए जिला मुख्यालय पर बने राधाकृष्णन भवन का नहीं किया उपयोग….
He did not send the proposal, he also did not say …
झालावाड़. जिले में इन दिनों संस्था प्रधानों की दो दिवसीय वाकपीठ ब्लॉक स्तर पर आयोजित की जा रही है। झालरापाटन में भी एक निजी भवन में इसका आयोजन चल रहा है। जबकि उक्त वाकपीठ का आयोजन जिला मुख्यालय पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रधानाचार्य के सहयोग से निर्मित राधाकृष्ण भवन में हो सकता था। ऐसा क्यों नहीं हुआ इसके पीछे क्या कारण है ये तो जिम्मेदार ही बता सकते हैं।
जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारियों की प्रेरणा से जिला मुख्यालय पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में राधाकृष्ण सभागार का निर्माण करवाया गया है। जिसमें जिले के संस्था प्रधानों की वाकपीठ के अलावा अन्य कार्यक्रम का आयोजन कराया जाना प्रमुख उद्देश्य था। इसके निर्माण के लिए जिले की राजकीय स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने सहयोग राशि प्रदान की थी। लेकिन जब तक हाल बनकर तैयार हुआ। इससे पहले ही राज्य सरकार ने संस्था प्रधानों की वाकपीठ ब्लॉक स्तर पर ही आयोजित कराने के आदेश जारी कर दिए। इसके चलते यहां एक भी आयोजन नहीं हो पाया है।
झालरापाटन नहीं है ज्यादा दूर
हालांकि अन्य ब्लॉक जिनकी दूरी जिला मुख्यालय अधिक होने के कारण संस्था प्रधानों की वाकपीठ का आयोजन अपने यहां ही कराने की मजबूरी थी। लेकिन झालरापाटन जो कि मात्र आठ किलोमीटर दूर है। वहां के संस्था प्रधानों की वाकपीठ का आयोजन तो जिला मुख्यालय स्थित सभागार में कराया जा सकता था।
बचाई जा सकती थी राशि
झालरापाटन ब्लॉक के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संस्था प्रधानों की वाकपीठ का आयोजन एक निजी सिनेमा हॉल में किया गया। जहां आयोजन के लिए प्रधानाचार्यों को अपने निजी स्तर पर ही व्यवस्था करनी पड़ी। ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। जबकि झालावाड़ स्थित जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बने सभागार में इसका आयोजन किया जा सकता था।
कइयों ने इच्छा नहीं होने पर दी थी राशि
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में वाकपीठ सहित अन्य कार्यक्रम के आयोजन को लेकर सभागार के निर्माण में सहयोग के लिए मुख्यालय पर बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रधानाचार्यों से इच्छा नहीं होने के बावजूद राशि ली गई थी। यहां तक की राशि नहीं देने पर उन्हें 17सीसी के नोटिस देने तक को कहा गया था।
निर्माण पर लाखों रुपए हुए थे खर्च
उक्त भवन के निर्माण पर करीब ४६ लाख रुपए खर्च हुए थे। जिसमें से १५ लाख रुपए विधायक कोष तथा शेष राशि संस्था प्रधानों व शिक्षकों से एकत्रित की गई थी। इसका शिलान्यास २ नवम्बर 2017 में हुआ था। इसके निर्माण के करीब एक साल बाद तक उद्घाटन के लिए भवन तरसता रहा। इसके बाद भी इसका उपयोग किसी प्रकार के आयोजन में शायद ही कभी हुआ है। ऐसे में संस्था प्रधान व शिक्षक जिन्होंने इसके निर्माण में सहयोग राशि दी थी वे अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि भवन अन्य आयोजन तो दूर वाकपीठ तक के लिए काम में नहीं आ पा रहा है।