मुझको तो ज्ञात हुआ पृथ्वी वीरों से खाली
झालावाड़Published: Oct 18, 2019 11:11:37 am
देवली में रामलीला का मंचन
रावण जैसे योद्धा भी नहीं उठा पाए शिव धनुष
अकलेरा. देवली में आदर्श नवयुवक मंडल की ओर से चल रही रामलीला में दूसरे दिन धनुष यज्ञ हुआ। इसमें बाणासुर रावण जैसे योद्धाओं ने पराक्रम दिखाने की कोशिश की, लेकिन कोई धनुष को नहीं उठा पाया। तब राजा जनक ने क्रोधित भरे स्वर में धरती को हाथ से मारते हुए कहा कि देश के राजाओं में किसे कहूं बलशाली मुझको तो ज्ञात हुआ पृथ्वी वीरों से खाली। ये बात सुनकर लक्ष्मण क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा जनक को कहा की अभी पृथ्वी वीरों से खाली नहीं हुई।
इसके बाद राजा रामचंद्र उठे और उन्होंने धनुष को उठाकर तोड़ दिया और राजा जनक की प्रतिज्ञा की लाज रखी। इस पर परशुराम पधारे जो शिव धनुष को टूटा देख बड़े क्रोधित हुए। उन्होंने राजा जनक के सामने कड़े स्वर में नाराजगी जताया। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच नोकझोंक हुई और अच्छा संवाद देखने को मिला। दर्शक भी आनंदित हो उठे। फिर रामचंद्र ने परशुराम को शांत कराया। फिर राजा जनक ने अपने अपने मंत्रियों द्वारा राजा दशरथ को पत्रिका लग्न भेजी और राजा दशरथ बड़े धूमधाम से ारात लेकर जनकपुरी पहुंचे। जनक ने चारों पुत्रियों का विवाह राजा दशरथ के पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न से कर दिया और पूरे विधि विधान से विवाह हुआ। राजा जनक ने बारात को विदाई दी। परशुराम की भूमिका में रोशन सिंह किराड़, रावण की भूमिका में ईश्वर सिंह किराड़, बाणासुर की भूमिका में भगवान सिंह किराड़ तथा माता सीता की भूमिका में मंगल सिंह किराड़, भरत की भूमिका में विष्णु बैरागी, शत्रुघ्न की भूमिका में मुकेश किराड और गुरु वशिष्ठ की भूमिका में सुरेश शर्मा आदि ने मंचन किया।