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झालावाड़-बारां लोकसभा सीट : 35 सालों से नहीं जीती कांग्रेस, इस बार के समीकरण क्या हैं; जानें

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट : 35 सालों से नहीं जीती कांग्रेस, इस बार के समीकरण क्या हैं; जानें

झालावाड़Apr 22, 2024 / 07:41 pm

Suman Saurabh

झालावाड़-बारां। राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का पिछले 35 सालों से झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक दबदबा हैं और इस बार भी प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को इस क्षेत्र में होने वाले चुनाव में दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने एवं अपना दबदबा बरकरार रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी के रुप में चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। जहां उनका मुख्य मुकाबला पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी एवं कांग्रेस उम्मीदवार उर्मिला जैन भाया से माना जा रहा है।

35 सालों के संसदीय क्षेत्र में राजे परिवार का दबदबा

इस क्षेत्र में इन दोनों प्रमुख दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चन्द्र सिंह किराड़ एवं निर्दलीयों सहित सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं। देश के पहले लोकसभा चुनाव 1952 से लेकर 2004 तक के चुनाव तक झालावाड़ संसदीय क्षेत्र एवं इसके पश्चात परिसीमन के बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से यह क्षेत्र झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र कहलाता है और इसमें आजादी के बाद से अब तक हुए सत्रह चुनावों में सर्वाधिक नौ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधितव मां-बेटे ने ही किया हैं।

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने वर्ष 1989 के नौवीं लोकसभा के चुनाव में झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़कर चुनाव जीता और इस क्षेत्र में पार्टी का खाता खोला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह इसके अगले चार चुनाव वर्ष 1991, 1996, 1998 एवं 1999 लगातार जीतकर पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

2004 में पहली बार सांसद बने दुष्यंत सिंह

इसके बाद वर्ष 2004 का चुनाव दुष्यंत सिंह ने लड़ा और वह पहली बार सांसद बनकर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद झालावाड़ के साथ बारां को भी जोड़ देने से झालावाड़-बारां से दुष्यंत सिंह ने वर्ष 2009, 2014 एवं 2019 के लगातार चुनाव जीतकर इस क्षेत्र से चार बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया और पांचवीं बार जीतने के लिए चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

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जानें वर्तमान स्थिति क्या हैं

यह तीसरी बार है जब जैन परिवार- राजे परिवार आमने-सामने होंगे। इससे पहले 2009 में उर्मिला और 2014 में उनके पति प्रमोद जैन चुनावी मैदान में थे। दोनों बार बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। जहां तक वर्तमान स्थिति की बात करें दोनों उम्मीदवार दमखम के साथ चुनावी अभियान में जुटे हैं। प्रचार के मामले में भाजपा काफी आगे दिख रही है। भाजपा के झंडे, होर्डिंग्स झालावाड़ व बारां के दूर-दराज इलाकों में दिख रहे हैं। अधिकांश जगह राम मंदिर की छवि वाले भगवा झंडे भी लगे हुए हैं। वहीं कांग्रेस के होर्डिंग्स शहरों तक सीमित है। कुछ गांवों में झंडे जरूर दिख रहे हैं।

बीजेपी का पलड़ा भारी

स्थानीय लोगों का मानना है यही दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। झालावाड़ और बारां जिले में चार-चार विधानसभाएं हैं। बारां में चारों विधानसभा सीटें बीजेपी के पास हैं, जबकि झालावाड़ में खानपुर को छोड़कर बाकी तीनों विधानसभाएं बीजेपी के पास हैं। आपको बता दें कि झालावाड़-बारां सीट के 80 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता ग्रामीण इलाके से हैं। क्षेत्र में लगभग 21 लाख से अधिक मतदाता हैं। जिनमें SC-ST मतदाताओं की संख्या करीब 8 लाख हैं। मुस्लिम आबादी भी करीब 2 लाख के आस-पास हैं। ब्राहम्ण, राजपूत और ओबीसी मतदाताओं की संख्या भी निर्णायक भूमिका में है।

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