पुलिस व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने के बाद ज्ञापन देने के लिए उपखंड अधिकारी व तहसीलदार नहीं मिलने पर मिनी सचिवालय के मुख्य द्वार के सामने धरना देकर बैठ गए। करीब आधा घण्टाइन्तजार के बाद भी अधिकारी नहीं आए तो सैकड़ों युवा सचिवालय के सामने मेगा हाइवे पर धरने पर बैठ गए। इससे कुछ देर के लिए हाइवे पर आवागमन बन्द हो गया। इसी दौरान मौके पर उपखंड अधिकारी श्यामसुंदर चेतीवाल, पुलिस उप अधीक्षक राकेश शर्मा ने पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर सड़क से जाम हटाकर सचिवालय में बात करने को कहा।
यह है मामला नरोत्तम नागर की 2 सितम्बर को सारोलाखुर्द में सड़क पर घायल होने की सूचना मिली थी। परिजनों द्वारा उसे कोटा ले जाकर निजी अस्पताल में उपचार कराया गया जिसकी 9 सितम्बर को उपचार के दौरान मौत हो गई। उपचार के दौरान चिकित्सकों ने घायल की मेडिकल जांचे व घावों को देखकर बताया था कि यह दुर्घटना नहीं होकर उसके साथ गंभीर मारपीट की गई है। साथ ही सारोला पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। इस संबंध में चिकित्सकों द्वारा पुलिस को अवगत कराने व मृतक के चाचा चन्द्रकिरण नागर द्वारा प्राणघातक हमले की आशंका को लेकर सारोला थाने में मामला दर्ज कराया गया था, लेकिन अब तक पुलिस द्वारा मामले में कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से युवाओ व धाकड समाज में भारी रोष व्याप्त है।
निष्पक्ष जांच का आश्वासन
- उपखंड अधिकारी व पुलिस उप अधीक्षक ने युवाओं से समझाइश कर निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। अधिकारियों ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट व मेडिकल जांच के आधार पर पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी। नरोत्तम के साथ किसी से रंजिश व आपस में कोई विवाद हुआ हो तो परिजनों द्वारा उनके नाम पुलिस को बताए जाएं। पुलिस द्वारा इसकी जांच करवा ली जाएगी। इसके बाद ज्ञापन देकर युवाओं ने आन्दोलन समाप्त कर दिया।