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Surya Mandir Jhalrapatna..पर्यटन स्थलों के रखरखाव को तरसता झालरापाटन

locationझालावाड़Published: Dec 03, 2021 12:16:13 pm

सिर्फ बातें हो रही, पर्यटकों के लिहाज से विकास की टीस नहीं हुई दूर

Surya Mandir Jhalrapatna..पर्यटन स्थलों के रखरखाव को तरसता झालरापाटन

Surya Mandir Jhalrapatna..पर्यटन स्थलों के रखरखाव को तरसता झालरापाटन

झालरापाटन. राजस्थान का झालरापाटन नगर अपने प्राचीन और ऐतिहासिक स्थापत्य और मूर्तिकला के लिए देश ही नहीं विदेशों तक प्रसिद्ध है। यदि यहां के पर्यटन स्थलों का रखरखाव हो तो यह प्रदेश का सबसे सुंदर नगर हो सकता है।
भौगोलिक दृष्टि से नगर के तीन और जलाशय होने से यहां का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को लुभाता है। कोविड काल से पहले तक तो पर्यटकों की यहां लगातार आवाजाही हो रही थी। कोटा-बूंदी के साथ ही कई विदेशी पर्यटक झालरापाटन भ्रमण के लिए आते हैं। पर्यटन स्थल की बहुतायत होने से विदेशों तक पर्यटन के क्षेत्र में झालरापाटन अपनी अलग पहचान रखता है, लेकिन स्थानीय पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रहा है। अब फिर से पर्यटन कारोबार शुरू हो गया है , लेकिन कस्बे में पर्यटकों के लिहाज से विकास की टीस दूर नहीं हुई है। परकोटे के अंदर और बाहर की सड़कें ठीक नहीं हैं और गलियों से गंदगी हट नहीं रही है। पर्यटन स्थलों को सवारे जाने के लिए धरातल पर ठोस काम नहीं हो रहे हैं। हालांकि क्षेत्रीय विधायक वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्री काल में पर्यटन सर्किट में झालरापाटन को भी शामिल किया था। यदि जल्द ही सरकार इसे मंजूरी देकर काम शुरू करें तो पर्यटन को और अधिक इजाफा होने की उम्मीद बंधेगी और पर्यटन से यहां कारोबार भी बढऩे की पूरी संभावनाएं हैं। अब तो झालावाड़ जिले में पर्यटकों के ठहरने के लिए पर्याप्त होटलें और साधन उपलब्ध। कस्बे का ऐतिहासिक व प्राचीन सूर्य मंदिर, मोक्षदायिनी चंद्रभागा नदी और उसके तट पर स्थित प्राचीन मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर, शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, आनंद धाम मंदिर, दिगंबर जैन जुनी नसिया, गोमती सागर तालाब का नौकायन के साथ ही कस्बे के 108 छोटे-बड़े मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं। आठवीं सदी की प्रतिहार कालीन देवकुली की मूर्ति, पद्म नाभ मंदिर में मालवा के प्रमाण नरेश द्वारा 10 वीं सदी में बनाया मंदिर, यह कच्छ घात शैली का उदाहरण है, पीठिका पर ललिता सन में विराजमान देवी, चंद्रमौलेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार पर जलदेवी और देवों की आठवीं सदी की गुप्तकालीन मूर्तियां, चंद्रभागा नदी के बाईं तट पर हाल ही में बनी राजस्थानी शैली की छतरियां, चंद्रमौलेश्वर मंदिर में आठवीं सदी की मूर्तियां, शिवपुत्र कार्तिकेय कुमार की पत्नी कुमारी की मूर्तियां, आनंदधाम मंदिर में पारद से बना शिवलिंग और पशुपतिनाथ मंदिर में नेपाल के मंदिर की तर्ज पर बनी मूर्ति। पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि सबसे पहले सड़कें ठीक हो और सफाई की बेहतर व्यवस्था बने। तालाब-नदी की सफाई के साथ नौकायन शुरू हो। इससे देसी और विदेशी लोगों की आवाजाही बढ़ेगी। गोमती सागर तालाब व मुंड़लियाखेड़ी तालाब को मिलाकर झील बनाई जाए। इससे पर्यटकों ंकी नियमित आवाजाही रहने से यहां का कारोबार कई गुना बढ़ जाएगा और कई बेरोजगार युवकों को नया रोजगार मिलेगा, अब आवश्यकता है इच्छाशक्ति मजबूत करने की।

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