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फिर चमकेगी पत्थर से किस्मत

locationझालावाड़Published: May 25, 2020 08:11:07 pm

Submitted by:

harisingh gurjar

– 25 हजार लोगों को मिल रहा था रोजगार
-4.4 प्रतिशत योगदान राज्य की जीडीपी में खनन विभाग का- दो माह से बंद पड़ा है खानों में काम

 Luck with stone again

फिर चमकेगी पत्थर से किस्मत

हरिसिंह गुर्जर

झालावाड़.करीब दो माह से लॉकडाउन में कोटा स्टोन की खानों में सन्नाटा नजर आ रहा था, लेकिन अब खदानों में फिर से खनन शुरू होन से मजदूर काम करते हुए नजर आ रहे हैं। पूरे हाड़ौती में करीब 200 खाने होंगी जिसमें से झालावाड़ जिले में करीब चार दर्जन खदानें शामिल है। हालांकि अभी ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के डर के चलते श्रमिक कम संख्या में आ रहे हैं। इसके चलते कोटा स्टोन व्यापारियों को कटाई व झड़ाई में खासी परेशानी आ रही है। लेकिन दो माह से बेकार बैठे हजारों श्रमिकों को फिर से रोजगार मिला है। इसके साथ ही कोटा स्टोन आधारित फैक्ट्रियों में भी धीरे-धीरे काम शुरू हो रहा है। राजस्थान में कोटा स्टोन व्यवसाय के कारण झालावाड़ का नाम देश-विदेशों में जाना जाता है।
लॉकडाउन-0.4 में मिली छूट के बाद खनन शुरू हो गया है। श्रमिकों के आने-जाने की छूट मिलने के बाद खानों में काम शुरू हो गया है, लेकिन यह लंबा नहीं चलेगा। कुछ ही दिनों में जून माह में बारिश शुरू होने के बाद खदानों में पानी भरने से काम फिर से बंद हो जाएगा।
जिले में इतनी खाने है-
झालावाड़ जिले में रूणजी, बीरियाखेड़ी, पीपलिया, भवानीमंडी आदि में करीब 50 कोटा स्टोन की खाने है, इसके साथ ही जिले से रामगंजमंडी, सुकेत, जुल्मी आदि क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कोटा स्टोन की माइंस है। जिनसे निकलने वाला माल यूरोप, बेल्जीयम सहित कई देशों तथा राजस्थान के बाहर महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, पंजाब, मध्यप्रदेश आदि में माल जाता था। लेकिन अभी कोरोना लॉकडाउन में माल की डिमांड कम होने से कोटा स्टोन का माल बाहर बहुत कम जा रहा है।
फैक्ट फाइल
– जिले में कोटा स्टोन खदानें-50, इनमें काम करने वाले मजदूर करीब 25 हजार
– जिले में कोटा स्टोन इकाईयां-1100, इनमें काम करने वाले मजदूर करीब 11000
– जिले में सेंड स्टोन की खदानें- 15, इनमें काम करने वाले मजदूर करीब-1000
कोरोना के कारण ऐसे प्रभावित हुआ काम-
लॉकडाउन से पूर्व- 600 गाड़ी माल जा रहा था बाहर
लॉकडाउन के बाद अब-150 गाड़ी माल ही जा रहा है
-पहले 25 हजार मजूदर काम कर रहे थे अब 3000 हजार मजदूर ही काम पर आ रहे हैं
– जिन्होंने झड़ाई कर ली वो ही काम चला रहे है, जिन्होंने झड़ाई नहीं कि वो अब नया काम शुरू नहीं कर रहे हैं
कोटा स्टोन को जीवनदान देने के लिए ये करें सरकार

– केन्द्र व राज्य सरकार कोटा स्टोन व्यापारियों को राहत पैकेज दें।
– व्यापारियों को नोमिनल दर पर 5 साल के लिए ऋण उपलब्ध कराएं
– कोटा स्टोन उद्योग को बचाने के लिए सरकार अगले दो साल तक माइंस व कोटा स्टोन इकाइयों में विद्युत रेट कम करें।
– मजदूरों को सूक्ष्म लघु उद्योगों में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले उद्योग है मालिकों के साथ-साथ सरकार मजदूरों के लिए ऐसे राहत पैकेज दें ताकि मजदूरों का पलायन रूके।
– राज्य सरकार सभी सरकारी कार्यों में टाइल्स के स्थान पर कोटा स्टोन को काम लें, ताकि इससे ज्यादा फायदा हो यह लंबे समय तक व टिकाऊ होता है।
-लॉकडाउन में बंद फैक्ट्रियों व माइंस में आए बिल माफ हो, स्थाई शुल्क हटाया जाए।
-केन्द्र सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में से एमएसएमई सेक्टर को जो राहत दी है वह मूर्त रूप लेकर धरातल उतारें, जो कमियां इसमें है उनको दूर करें तब कहीं एमएसएमई सेक्टर को जीवनदान मिलेगा।
20 प्रतिशत फैक्ट्री ही चालू हुई –
1.जिले में माइंस सरकार की गाइड लाइन के अनुसार चल रही है। 20 प्रतिशत फैक्ट्री ही चालू हुई है। बाजार में पहले की अपेक्षा 5 फीसदी ही माल जा रहा है। लॉकडाउन में खर्चे तो वही आए है ऐसे में सरकार को लॉकडाउन में बिजली माफ करें व 2 फीसदी अतिरिक्त शुल्क को हटाना चाहिए। बैंक में व्यापारियों के खातों की सीसी लिमिट 25 फीसदी बढ़ाई जाए, सरकारी काम में कोटा स्टोन को ही काम में लिया जाए।
विशाल मित्तल, अध्यक्ष कोटा स्टोन स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन,झालावाड़।
2.सरकार कोटा स्टाने के माइनिंग क्षेत्र के 25 किमी के एरिये को विशेष जोन घोषित करें। ताकि एक ही स्थान पर ट्रांसपोट, व पैकेजिंग आदि की सुविधा मिल सके। इसके लिए लोन आदि में रियायत दें ताकि अभी जिले में 25 हजार को रोजगार मिल रहा बाद में 50 हजार को मिल सके। माइंस की पर्यावरण स्वीकृति राज्य स्तर की बजाए जिला स्तर पर दिए जाने की स्वीकृति राज्य सरकार दें। पूर्व की भांति लीज सहमति दें ताकि बंद होने की कगार पर खड़े कोटा स्टोन को वरदान मिल सके। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए मजदूरों को लगाया जा रहा है। ताकि संक्रमण की आशंका नहीं रहें।
सुरेश गुर्जर, जिलाध्यक्ष लाइम स्टोन माइंस एसोसिएशन,झालावाड़।
3. मजदूरों की काफी परेशानी है,बाहर के मजूदर सभी जा चुके हैं। कोटा स्टोन जिन क्षेत्रों में जाता है वह सभी कोरोना हॉट स्पॉट बने हुए है, वहां अभी माल नहीं जा पा रहा है। 2 प्रतिशत माल ही जा रहा है। नुकसान तो काफी हुआ है,पहले जीएसटी, नोटबंदी की मार पड़ी, अब कोरोना ने कोटा स्टोन उद्योग की कमर तोड़ दी है। सरकार से मांग है कि लॉकडाउन में सरकार ब्याज माफ करें, एक साल के लिए उद्यमियों की ईएमआई आगे बढ़ाएं, बिजली के बिलों में रियायत दें तो संकट के समय में कोटा स्टोन उद्योग फिर से चल निकलेगा।
राजेन्द्र शर्मा, अध्यक्ष चन्द्रावती ग्रोथ सेंटर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, झालावाड़।

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