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निरंतर खत्म होता जा रहा मदारीखां तालाब

locationझालावाड़Published: May 20, 2019 04:31:37 pm

Submitted by:

jitendra jakiy

-अतिक्रमण की भेंट चढ़े जलाशय

Madarikhana pond continuously going down

निरंतर खत्म होता जा रहा मदारीखां तालाब


निरंतर खत्म होता जा रहा मदारीखां तालाब
-अतिक्रमण की भेंट चढ़े जलाशय
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. रियासत काल में परम्परागत जल स्त्रोत रहे जलाशय अब आबादी की भेंट चढ़ कर अपना अस्तित्व नष्ठ कर रहे है। झालावाड़ में करीब एक दर्जन तालाब व तलाईयां स्थित है लेकिन निरंतर होते अतिक्रमण से यह सिमटते जा रहे है। और वह दिन दूर नही जब इनका अस्तित्व खत्म होकर मात्र चारो ओर इमारते खड़ी नजर आएगी। इस जलस्त्रोतो में पहले लोग कच्चे घर बनाते है फिर धीरे धीरे पक्का निर्माण कर मकान बना लिए जाते है। वही प्रशासन मूक बन कर देखता रहता है। राजनीति करने वाले भी इस बस्ती का भरपूर उपयोग करते है, अतिक्रमण के बाद बस्ती में पट्टे बनाकर वितरित करने में जुट जाते है ताकि वोट बैंक पक्का हो सके।
-तालाब के नाम से बनी बस्ती
शहर में स्थित मदारीखां तालाब का क्षेत्र अब मदारी खां बस्ती के नाम से जाना जाने लगा है। इस तालाब के परिसर में करीब डेढ़ हजार मकान बन गए व करीब 6 से 7 हजार लोग निवास कर रहे है। करीब एक दशक से इस तालाब पर अतिक्रमण होना शुुरु हुआ व विगत पांच वर्षो में तो तेजी से तालाब में मकान बनना शुरु हो गए जो वर्तमान में भी जारी है। रियासतकाल में शहर के बीच में स्थित होने से इस तालाब के पानी का शहरवासी भरपूर उपयोग करते थे। लेकिन वर्तमान में यह मात्र गंदगी से अटी एक छोटी तलाई के रुप में नजर आता है। अतिक्रमणों का दौर जारी रहने से वह दिन दूर नही जब इसका अस्तित्व पूरी तरह नष्ठ हो जाएगा व मात्र इसका नाम रह जाएगा। वर्तमान में यह नगर परिषद की जगह राजस्व विभाग के तहत आता है इसलिए भी लोग बेखौफ व धडल्ले से अतिक्रमण करने से बाज नही आते है।
-सड़क से नजर आता था तालाब
शहर के आम नागरिक सुरेश सेन ने बताया कि पहले मदारी खां तालाब राष्ट्रीय राजमार्ग से पूरा नजर आता था। बारिश के दिनों में तो निर्भय सिंह सर्किल तक इसका पानी फैला रहता था। देखते देखते ही यहां मकान बनते चले गए व तालाब की जगह अब बस्ती नजर आती है। प्रशासन को इसके लिए ठोस योजना बनाना चाहिए।
-सुरक्षा के लिए बनी थी पाल
शहर के बुर्जुग गोपाल लाल व्यास ने बताया कि रियासत काल में इस तालाब के किनारे पाल बनी हुई थी, घाट बने हुए थे। शहर के बीच में स्थित होने से इसके पानी का भरपूर उपयोग होता था। कालान्तर में इसकी पाल पर पहले अतिक्रमण हुआ इसके बाद धीरे धीरे तालाब को घेर लिया गया। सरकार को इसके लिए योजना बना कर कार्रवाई करना चाहिए।
-यह है तालाब का इतिहास
इतिहासकार ललित शर्मा ने बताया कि झालावाड़ नगर के मूल संस्थापक झाला जालिम सिंह ने जब सन् 1791 ईस्वी से इस क्षेत्र में छावनी स्थापित की तब उसने यहां अपने साथ चार सैनिक पल्लटनें सुरक्षा के लिए रखी थी। इनमें से एक सैनिक पल्लटन कन्हैया पल्लटन के नाम से थी। इसका अजीठन (मुखिया) मदारी खां पठान था। उसकी पल्लटन में 2200 सशस्त्र सैनिक थे, इसी मदारी खां ने छावनी की पूर्वी दक्षिण की ओर यह तालाब जल स्त्रोत के लिए बनवाया था। उस समय खंडिय़ा क्षेत्र तक जंगल हुआ करता था।
-सरंक्षण का प्रयास किया जाएगा
इस सम्बंध में झालावाड़ के उपखंड़ अधिकारी मोहनलाल प्रतिहार का कहना है कि शहर में स्थित मदारीखां तालाब व उसके किनारे पर अतिक्रमण हटाने के लिए समय समय पर कार्रवाई की जाती है। जलाशयों पर अतिक्रमण कर इनके अस्तित्व को बिगाडऩे वालों पर कार्रवाई की जाएगी। जलाशय के संरक्षण के लिए हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।
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