झालावाड़. रक्तदान के लिए आमजन की सोच में बदलाव आवश्यक है। आज भी चिकित्सालय में भर्ती मरीज के परिजनों की भीड़ तो लग जाती है मगर बात जब रक्तदान की आती है कोई आगे नहीं आता है। रक्त न तो किसी फैक्ट्री में तैयार होता है और न कहीं इसकी आपूर्ति होती है। हर स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए। एक बार करके देखिए, अच्छा लगेगा। रक्तदान के प्रति भ्रांति है कि रक्तदान से कमजोरी आती है, जबकि ऐसा नहीं है। एक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन माह में रक्तदान कर सकता है। रक्तदान करने के बाद शरीर में रक्तसंचार सुचारू रहता है। रक्तदान से न तो कमजोरी आती है और न रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। 18 से 50 आयु का कोई भी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।
गर्मी में समस्या
मई व जून माह में हर वर्ष की तरह कुछ ग्रुप में खून की कमी हो जाती है। ब्लड बैंक में खून लेने के लिए हर कोई पहुंंचता है मगर जब खून देने (रक्तदान) की बारी आती है तो हर कोई पीछे हट जाता है। ऐसे में रक्तदाता बहुत कम होने से गर्मी में नेगेटिव ग्रुप का रक्त कम रहता है। सर्दी की अपेक्षा गर्मी में खून की खपत अधिक होती है, स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के आयोजन कम होते हैं। कॉलेजों व अन्य शिविरों की कमी होने से गर्मी में रक्त की कमी हो जाती। ऐसे में नेगेटिव ग्रुप के मरीजों को रक्त चढ़ाने में परेशानी होती है।
इन पर है भरोसा
रक्तादाता समूह के जय गुप्ता का कहना है कि हमारे ग्रुप से जुड़े सभी व्यक्ति साल में कम से कम 4-5 बार रक्तदान करते हैं। 72 घंटे में जितना रक्त निकाला जाता है उतना ही बन जाता है। अभी हर दिन में करीब 40-45 ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं जिनके परिजन या तो पहले ब्लड दे चुके हैं या मरीज के साथ कोई नहीं है।
गर्मी में समस्या
मई व जून माह में हर वर्ष की तरह कुछ ग्रुप में खून की कमी हो जाती है। ब्लड बैंक में खून लेने के लिए हर कोई पहुंंचता है मगर जब खून देने (रक्तदान) की बारी आती है तो हर कोई पीछे हट जाता है। ऐसे में रक्तदाता बहुत कम होने से गर्मी में नेगेटिव ग्रुप का रक्त कम रहता है। सर्दी की अपेक्षा गर्मी में खून की खपत अधिक होती है, स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के आयोजन कम होते हैं। कॉलेजों व अन्य शिविरों की कमी होने से गर्मी में रक्त की कमी हो जाती। ऐसे में नेगेटिव ग्रुप के मरीजों को रक्त चढ़ाने में परेशानी होती है।
इन पर है भरोसा
रक्तादाता समूह के जय गुप्ता का कहना है कि हमारे ग्रुप से जुड़े सभी व्यक्ति साल में कम से कम 4-5 बार रक्तदान करते हैं। 72 घंटे में जितना रक्त निकाला जाता है उतना ही बन जाता है। अभी हर दिन में करीब 40-45 ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं जिनके परिजन या तो पहले ब्लड दे चुके हैं या मरीज के साथ कोई नहीं है।
इतनी है उपलब्धता
ओ पॉजिटिव- 152 यूनिट
बी पॉजिटिव- 05
ए पॉजिटिव- 45
एबी पॉजिटिव-20
बी नेगेटिव- 0
ए नेगेटिव-2
ओ नेगेटिव- 0
एबी नेगेटिव- 0
(जबकि जरुरत पढऩे पर नेगेटिव रक्त के लिए रक्तदाता नहीं मिलने पर परेशानी होती है)
ओ पॉजिटिव- 152 यूनिट
बी पॉजिटिव- 05
ए पॉजिटिव- 45
एबी पॉजिटिव-20
बी नेगेटिव- 0
ए नेगेटिव-2
ओ नेगेटिव- 0
एबी नेगेटिव- 0
(जबकि जरुरत पढऩे पर नेगेटिव रक्त के लिए रक्तदाता नहीं मिलने पर परेशानी होती है)
ब्लड बैंक में वर्षभर औषतन 300-350 यूनिट रक्त संग्रहण रहता है लेकिन मई-जून में हर बार कमी हो जाती है। आमजन में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
डॉ. सुमित राठौर, ब्लॉक बैंक प्रभारी, मेडिकल कॉलेज एवं एसआरजी चिकित्सालय, झालावाड़
डॉ. सुमित राठौर, ब्लॉक बैंक प्रभारी, मेडिकल कॉलेज एवं एसआरजी चिकित्सालय, झालावाड़