एमजेएस में माइक्रो डेम बना दिया, किसानों को नहीं दिया मुआवजा
- दो साल से धक्के खा रहे किसान

झालावाड़. मुख्यमंत्री जलस्वावलंबन में भले ही करोड़ो रूपए का बजट आ रहा हो, लेकिन जिन किसानो की जमीन एमजेएस में माईक्रो डेम के लिए ली गई, उन्हें आज तक भी मुआवजा नहीं मिला है। ग्रामीण दो वर्ष से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। ग्रामीण ने बताया कि जमीन भी चली गई। लेकिन मिला कुछ नहीं। गुरुवार को भी ग्रामीण मिनी सचिवालय में जिला कलक्टर की जनसुनवाई में फरियाद लेकर आए। लेकिन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। कोरा आश्वासन। इस पर ग्रामीण बोले आश्वासन तो दो साल से मिल रहा है।
२०१६ में बना था डेम-
ग्रामीण शिवसिंह, नटवरसिंह, रामगोपाल व्यास आदि ने बताया कि डग क्षेत्र के धतुरिया गावं के पास कबीरी ग्राम में सिंचाई विभाग द्वारा माईक्रो डेम २०१६ में बनाया था। इसमें कबीरी व धतुरिया के २४ किसानों की भूमि डूब में आ गई थी। लेकिन दो वर्ष होने के बाद भी सिंचाई विभाग ने किसानों को मुआवजा नहीं दिया।
यहंा एक दर्जन किसान लाभ से वंचित-
लुहारिया ढ़ाणी के कारूङ्क्षसह ने बताया कि साढ़े पांच बीघा जमीन गई है। लेकिन सरकार ने अभी तक एक फूटी कोढ़ी भी नहीं दी है। घर चलाना मुश्किल हो रहा है। वहीं शिवसिंह ने बताया कि पांच बीघा जमीन गई है। तीन साल से एक ही बात बोल रहे हैं, कि मुआवजा दे रहे हैं। मानसिंह ने बताया कि मेरे साढ़े तीन बीघा जमीन थी। वह भी डेम में डूब में चली गई है। घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। अनाज भी बाजार से लाकर खाना पड़ रहा है। एक दर्जन किसान ऐसे है जिनकों को अभी तक कुछ नहीं मिला है। परेशानी का समाधान नहीं करने पर किसानों द्वारा १२ जून से धरने पर बैठने की बात कही है। वहीं ग्रामीणों ने धतुरिया पंचायत से लुहारिया तक सीसी रोड बनाने, बर्डिया लड़ा गांव में उपस्वस्थ्य केन्द्र खोलने की मांग की। हरनावदा गज्ज को जाने वाली आहू नदी की रपट को हाई लेवल की बनाने की भी मांग की।
खराबे का भी नहीं मिला मुआवजा-
किसानों ने २०१६ में सोयाबीन में हुए खराबे का अभी तक सरकार ने मुआवजा नहीं दिया है। वहीं जिन किसानों के पास दो से तीन बीघा ही जमीन थी, उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ज्ञापन देने वालों में रामगोपालव्यास, दरबारसिंह,बालूसिंह, देवीसिंह, ईश्वरसिंह, सरदार सिंह सहित कई लोग मौजूद थे।
पंाचीबाई की जमीन ही गायब हो गई-
जनसुवाई में आई पांचीबाई ने बताया कि उसकी सरोला क्षेत्र के मालनवासा में जमीन थी, लेकिन २० से उसकी जमीन का पता ही नहीं है। उनके बाद जमीन की नकल आदि है। लेकिन मौके पर पटवारी जमीन ही नहीं बता रहे हैं।२० साल से जमीन के लिए इधर-उधर अधिकारियों के चक्कर काट रही है। लेकिन कोई नहीं बता पा रहा है। जमीन मौके पर सीमाज्ञान नहीं होने से बुजुर्ग महिला के परिवार को मजदूरी के आश्रय ही जीवन यापन करना पड़ रहा है।
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