scriptनागौरिया मठ में ब्रह्मोत्सव, भक्तों ने किए भजन-कीर्तन | Brahmotsav in Nagauriya Math Bhajan-Kirtan performed by devotees | Patrika News

नागौरिया मठ में ब्रह्मोत्सव, भक्तों ने किए भजन-कीर्तन

locationनागौरPublished: Jan 19, 2018 07:14:45 pm

Submitted by:

Dharmendra gaur

सूर्यप्रभा पर विराजे भगवान

Didwana

डीडवाना के नागौरिया मठ में ब्रह्मोत्सव के तहत सूर्यप्रभा वाहन पर निकलती भगवान की सवारी।

डीडवाना. शहर के नागौरिया मठ में भगवान जानकीवल्लभ के ब्रह्मïोत्सव के तहत शुक्रवार को भगवान सूर्यप्रभा वाहन पर विराजे। इस दौरान भगवान ने सूर्यप्रभा पर मंदिर परिसर का भ्रमण किया। कार्यक्रम में अनेक श्रद्धालुओं ने भगवान की सवारी के दर्शन किए और भजन-कीर्तन किए। मठाधिश्वर स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के सानिध्य में सुबह 8.30 बजे गरूड़ स्तम्भ पर ध्वजारोहण के साथ विधिवत रूप से ब्रह्मïोत्सव का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर सुबह 9 बजे भगवान का मनोहारी श्रृंगार किया जाकर सूर्यप्रभा वाहन पर विराजित किया गया। इस दौरान भगवान की सवारी ने मंदिर परिसर का भ्रमण किया। इस मौके पर भारी संख्या में मौजूद भक्तजन भजन-कीर्तन करते हुए सवारी के साथ चल रहे थे। जबकि महिलाएं व युवतियां मंगल-गीत गा रही थी। इससे पूर्व गुरुवार की शाम को विश्वकसेन पूजन हुआ।
आज शेष वाहन पर होगा भ्रमण
ब्रह्मोत्सव के तहत भगवान जानकीनाथ शनिवार को प्रात: 9 बजे शेष वाहन पर तथा रात्रि 8 बजे कल्पवृक्ष वाहन पर विराजित होंगे। इस दौरान भगवान की सवारी मंदिर परिसर का भ्रमण करेगी। जबकि 21 जनवरी को प्रात: 9 बजे भगवान जानकीनाथ की सवारी गरूड़ वाहन पर और रात्रि 8 बजे हनुमान वाहन पर मंदिर का भ्रमण करेंगी।
ब्रह्मोत्सव का महत्व अपार
इस मौके पर नागौरिया मठ के मठाधीश विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने भक्तों को ब्रह्मोत्सव का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि जिस शुभ तिथि को यह उत्सव पूर्ण होता है, उस शुभ तिथि को ही भगवान की प्रतिष्ठा हुई है। इसे ही ब्रह्मोत्सव कहा जाता है। अर्थात् परमात्मा के प्रकट होने वाले समय का यह उत्सव है। इस दौरान भगवान का विशेष अभिषेक, आराधना, पूजन, नैवेद्य, श्रृंगार, स्तुति पाठ आदि विशेष रूप से होते हैं। उन्होने कहा कि ब्रह्मोत्सव का सबसे पहले शुभारम्भ ब्रह्माजी ने पुष्कर राज में प्रारम्भ किया था। तब से मंदिरों में जो उत्सव होते हैं उन्हे ब्रह्मोत्सव के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मोत्सव मुख्यतया दिव्य देशों में ही मनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके दर्शन करने से भक्तों को अपार लाभ होता है। लक्ष्मी की प्राप्ति होती है एवं यज्ञ के दर्शन करने से सब बाधाएं एवं व्याधियां दूर होती है।

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