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जिगर के टुकड़ो की तडफ़ देख टूट रही शहनाज…

locationझालावाड़Published: Apr 17, 2018 07:06:07 pm

Submitted by:

jitendra jakiy

-मानसिक विमंदित बच्चों का अनिश्चित जीवन

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जिगर के टुकड़ो की तडफ़ देख टूट रही शहनाज…

जिगर के टुकड़ो की तडफ़ देख टूट रही शहनाज…

-नन्हों की हालत पर मां के दिल का हाल
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. गुजरात के बलसाड़ जिला मुख्यालय निवासी शहनाज २१ मई २०१० में शादी कर जब झालावाड़ आई तो उसने व उसके पति आरिफ ने अपनी संतानों को लेकर कई सपने संजोए थे। लेकिन नियति के खेल ने उनकी जिंदगी में अनसुलझे रंग भर दिए। शहर के नले मोहल्ले में रहने वाली शहनाज ने जब १७ मई २०११ में अपनी पहली संतान को जन्म देने के बाद सम्भाला तो नन्हा असामान्य था, वह जन्म के बाद बिलकुल भी नही रोया था। उस समय तो उसने नियति की मार समझ कर खुद को सम्भाल लिया लेकिन जब १३ जून २०१४ को दूसरा बच्चा भी मालिक ने मानसिक विमंदित भेजा तो वह टूट सी गई हालाकि मां का दिन कभी भी अपने जिगर के टूकड़े का दर्द नही देख सकता है और वह अपने बच्चो के हर दुखदर्द सम्भालने के लिए खूद की जिंदगी दांव पर लगा देती है।
-दोनो का दिमाग कमजोर, नही रहता शरीर बस में
शहनाज का सात वर्षीय बड़ा पुत्र अबुजर व छोटा चार वर्षीय हुमायु के दिमाग का विकास नही हो पाया इसलिए वह नार्मल जिंदगी नही जी पा रहे है। उन्हे अपने शरीर व आसपास का बिलकुल भी ध्यान नही रहता है इसलिए मंा की नजर चूकते ही अक्सर गिरते पड़ते जख्मी होते रहते है। विडम्बना है कि दोनो आपस में सामने आते ही एक दूसरे पर हमला बोल देते है और लड़ाई कर मारपीट करने लगते है। अक्सर दोनो बच्चों को बेहोशी के दौरे भी पड़ते रहते है। शहनाज की जिंदगी इसलिए रात दिन इन दोनो बच्चों के आसपास इन्हे सम्भालने में ही बीत रही है। वह ना तो कही जा पाती है और ना ही ढंग से सो पाती है क्योकि बच्चों के साथ कभी भी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
-यह कहना है चिकित्सकों का
शहनाज ने बताया कि बच्चों को गुजरात के व कोटा के न्यूरोलोनिस्ट को दिखाया तो चिकित्सकों का कहना है कि जन्म के समय बच्चों के दिमाग में पर्याप्त ऑक्सिजन नही पहुंच पाई, इसलिए इनके दिमाग का उचित विकास नही हो पाया। इस कारण शरीर व मन पर इनका नियंत्रण नही रहता। बच्चों की उचित देखभाल व सुरक्षा करते हुए ही इनकी जिंदगी आगे बढ़ सकती है।
-फिलहाल सहायता से राहत
नियति की मार झेल रहे इस परिवार का मुखिया आरिफ मजदूरी करता है और एक किराए के मकान में रहते है इन्हे कोई किराए से मकान नही देता क्योकि बच्चों की चीख-पुकार व असामान्य व्यवहार के कारण आसपास वालों को असुविधा होती है। इस परिवार की स्थिति का पता चलने पर शहर की सामाजिक संस्था सर्वोदय जन कल्याण संस्थान के सचिव आमीर खान ने अवश्य पहल की और जिला कलक्टर डॉ.जितेंद्र सोनी, समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक गौरी शंकर मीणा से मिल कर परिवार को सरकारी योजना पेंशन, भामाशाह काई आदि बनवाने का प्रयास किया। लेकिन बच्चों के अनिश्चित जीवन से शहनाज व उसका पति हमेशा तनावग्रस्त बने रहते है।

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