बावड़ी निखारने में जुटेगें श्रमवीर
झालावाड़Published: May 18, 2019 04:34:20 pm
-अमृतं जलम् अभियान का होगा आगाज-श्रमदान की आहूति देेगें शहरवासी
बावड़ी निखारने में जुटेगें श्रमवीर
बावड़ी निखारने में जुटेगें श्रमवीर
-अमृतं जलम् अभियान का होगा आगाज
-श्रमदान की आहूति देेगें शहरवासी
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. राजस्थाान पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान के तहत हमारे परम्परागत जल स्त्रोतों की सुध लेकर उनके जल को उपयोग के लायक बनाने जैसे सामाजिक सरोकार के इस अभियान का शुभारम्भ शहर में पंचमुखी बालाजी के निकट स्थित चंद्रावती बावड़ी पर रविवार सुबह 7.30 बजे से होगा। इस दौरान शहरवासी श्रमदान की आहूति देकर बावड़ी को चकाचक करेगें। इस पुनित कार्य में शहर की सामाजिक, धार्मिक संस्थाएं श्रमदान कर बावड़ी को निखारने का बीड़ा उठाएगी।
-श्रमदान की आहूति में इनकी भी रहेगी भागीदारी
राजस्थान पत्रिका के आव्हान पर हमारे परम्परागत जल स्त्रोतो को सहेजने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए शहर की विभिन्न संस्थाओं के श्रमवीर रविवार सुबह श्रमदान के इस पुनित यज्ञ में अपने श्रम की आहूति देगें। समाजोयोगी इस कार्य को करने का सौभाग्य गायत्री शक्ति पीठ परिवार, स्काउट गाइड संगठन, लायंस क्लब, रोटरी क्लब, भारत विकास परिषद, चंद्रावती प्रेस क्लब, पर्यटन विकास समिति, गढ़ पार्क सेवा समिति, झालावाड़ विकास मंच, जयराज पार्क सेवा समिति, वरिष्ठ नागरिक समिति, पेशनर्स समाज व नगर परिषद सहित कई धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं को होगा। इनके सदस्य व प्रतिनिधी इस पुनित कार्य में भाग लेगें। अपनी विरासत की दशा सुधारने की पहल में शहर के सभी आम जागरुक नगारिक भी आमंत्रित है।
-गौरवशाली रहा है बावड़ी का इतिहास
इतिहासकार ललित शर्मा ने बताया कि झालावाड़ राज्य के प्रथम महाराजराणा मदनसिंह झाला ने अपनी महारानी चंद्रावती, जिसका पूरा नाम सूरजकंवर चंद्रावत था। इसके नाम से उन्होने सन् 1838-1845 के बीच में इसका निर्माण करवाया था। उस समय इसके आसपास के क्षेत्र में इसी बावड़ी के पेयजल का उपयोग करते थे। धार्मिक कार्यक्रमों में भी इसके जल का उपयोग होता था। यहां से कलश आदि भरे जाते थे। इस भव्य व कलात्मक बावड़ी को बाद में निकट में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के कारण पंचमुखी की बावड़ी भी कहा जाने लगा था।