बम्पर उत्पादनव्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष गेहूं का जबरदस्त उत्पादन होने के बावजूद बाहों में लगातार तेजी का रुख जारी है। इस वर्ष किसानों को दोहरा फायदा मिल रहा है, गेहूं के साथ ही किसानों को भूसे के भी अच्छे दाम मिल रहे हैं जिससे गेहूं उत्पादकों की इस बार बल्ले बल्ले हो रही है। मंडी में गेहूं की जबरदस्त आवक होने से पूरे परिसर में हर तरफ गेहूं के ढेर दिखाई दे रहे हैं। गल्ला व्यापारियों का कहना है कि गेहूं की अच्छी पैदावार होने के साथ ही गुणवत्ता भी बहुत ही बढिय़ा है जिससे इसकी बाहर काफी मांग हो रही है।गेहूं के आपूर्ति प्रभावित रहेगीजानकार लोगों ने बताया कि रूस कई खाद्यान्नों, कच्चे तेल, औद्योगिक धातु का बहुत बड़ा निर्यातक है और इस युद्ध के कारण इनकी आपूर्ति खतरे में पड़ है जिससे वैश्विक स्तर पर इनके दाम आसमान छूने लगे हैं। रूस और यूक्रेन का गेहूं निर्यात भी प्रभावित हुआ है और ऐसी आशंका है कि आने वाले समय में भी गेहूं के आपूर्ति प्रभावित रहेगी। चीन और भारत के बाद रूस ही सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। गेहूं के निर्यात के मामले में यह शीर्ष स्थान पर है, गेहूं निर्यातक देशों में यूक्रेन का पांचवा स्थान है। वैश्विक स्तर पर इसकी बढ़ती कीमतगल्ला व्यापारी विजय क्विंटल राठौर ने बताया कि भारत में वर्ष 21 एवं 22 के दौरान सरकार ने गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है, लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी बढ़ती कीमत देख कर भारी मात्रा में गेहूं का निर्यात करने की तैयारी है, गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2022 व 2023 के लिए 2015 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है और किसान आम तौर पर इसी डर से गेहूं बेचने को तरजीह देते थे लेकिन अब बाजार में एमएसपी से अधिक कीमत मिल रही है। कारोबारियों ने बताया कि एम एसपी के ऊपर गेहूं के भाव का होना यह दर्शाता है कि सरकार को किसानों से इस बार बहुत ही कम मात्रा में गेहूं मिल पाएगा। गेहूं का निर्यात गल्ला व्यापारी विजय कुमार मूंदड़ा व अंकुर शाह ने बताया कि भारत मुख्य रूप से नेपाल, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका और यमन को गेहूं का निर्यात करता है। रूस और यूक्रेन के युद्ध रत होने से गेहूं की वैश्विक आपूर्ति खतरे में आ गई है और इसी के कारण अन्य देशों में भी गेहूं का निर्यात करने के लिए संबंधित देशों और निर्यातकों से बातचीत कर रहा है। वैश्विक स्तर पर गेहूं के दाम 10 साल के उच्चतम स्तर पर हैं। दाम आसमान छूने लगेगल्ला कारोबारियों ने बताया कि दुनिया भर का 30 प्रतिशत गेहूं सप्लाई करने वाले यूक्रेन और रूस के युद्ध के चलते भारत में भी गेहूं के दाम आसमान छूने लगे हैं। आमतौर पर गेहूं की आवक के समय दाम कम होते हैं जबकि मंडी में जैसे-जैसे अधिक मात्रा में गेहूं आ रहे हैं, वैसे दामों में जबरदस्त उछाल आ रहा है। [typography_font:18pt;” >झालावाड़. झालरापाटन. हरिश्चंद्र कृषि उपज मंडी में गेहूं के दामों में जबरदस्त उछाल आने के साथ ही गेहूं 2300 रुपए प्रति क्विंटल पर बिका। वैश्विक स्तर पर गेहूं के दाम 10 साल के उच्चतर स्तर पर पहुंच गए हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का असर भारत में भी गेहूं की कीमतों में देखा जा रहा है। रूस यूक्रेन युद्ध अब आम लोगों की जेब ढीली कर रहा है जिससे स्थानीय बाजार में भी गेहूं के दाम में जबरदस्त उछाल आ रहा है। मंडी में एक माह में ही गेहूं के दामों में लगभग 300 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल की तेजी देखी गई। 5 अप्रैल 2022 को मंडी में गेहूं के दाम 2030 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल थे जो बढ़कर 5 मई 2022 यानी कि बुधवार तक 2300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। व्यापारियों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का असर सिर्फ दोनों देशों की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया को इस जंग के परिणाम आर्थिक रूप से भुगतने पड़ रहे हैं। आवक बढ़ रहीगल्ला व्यापारी अशोक मेहता ने बताया कि मंडी में दिन-प्रतिदिन गेहूं की आवक बढ़ रही है। भारत से हल्का माल तीन नंबर गेहूं का एक्सपोर्ट होता है वही एक नंबर और दो नंबर गेहूं की खपत हमारे देश में ही हो जाती है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात खुल जाने के बाद गेहूं के दाम में बढ़ोतरी हो रही है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सीजन में होने के बाद भी गेहूं के दामों में एक माह में 300 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल की तेजी देखी गई। इससे उन किसानों को फायदा हो रहा है जो अब अपनी फसल बाजार में बेचेंगे। कई किसानों ने बीच में मौसम खराब होने के कारण आनन-फानन में अपनी उपज बेच दी है इसे लेकर वह पछता रहे हैं।