scriptसरकारी विद्यालयों में उधार की ‘व्यवस्था | System of borrowing in government schools | Patrika News

सरकारी विद्यालयों में उधार की ‘व्यवस्था

locationझालावाड़Published: Mar 08, 2020 03:53:26 pm

Submitted by:

arun tripathi

जिले के कुछ विद्यालयों को फरवरी के अंत में मिली जुलाई में मिलने वाली कंपोजिट राशि, प्रधानाचार्य अपने स्तर पर कर रहे खर्चों के लिए जुगाड़़

सरकारी विद्यालयों में उधार की 'व्यवस्था

जिले के कुछ विद्यालयों को फरवरी के अंत में मिली जुलाई में मिलने वाली कंपोजिट राशि

अरुण त्रिपाठी
झालावाड़. जिले में सरकारी विद्यालयों के हालात बहुत बुरे हैं। एक तो वैसे ही इनमें अव्यवस्थाओं की भरमार है। ऐसे में सरकार की ओर से मिलने वाली कंपोजिट राशि जो जुलाई माह में ही खातों में डलवाई जाती है। इस बार सत्र के अंत तक भी पूरी नहीं मिल रही है। ऐसे में संस्था प्रधानों को अपने स्तर पर ही बिजली बिल सहित अन्य खर्चों के लिए व्यवस्था करनी पड़ रही है।
समसा की ओर से मिलने वाली इस कंपोजिट ग्रांट की राशि को पेयजल, बिजली और टेलीफोन बिल, स्टेशनरी, साफ.-सफाई, खेलकूद, मरम्मत व विद्यालय की सुविधाओं पर खर्च किया जाता है, लेकिन राशि नहीं मिलने से संस्था प्रधान व्यक्तिगत खर्च से बिलों का भुगतान कर रहे हैंं। विद्यालयों में परीक्षा के लिए खर्च करने के लिए बजट नहीं है, जहां पहले अद्र्ववार्षिक परीक्षाओं का आयोजन हुआ, जिसमें स्टेशनरी का बकाया और अब 5 मार्च से शुरू हुई 12 वीं की परीक्षाओं के लिए भी बजट का अभाव है।
प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हालात और भी बुरे बने हुए हैं, क्योंकि नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम में कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। अनुदान राशि अभी तक नहीं मिली है, जबकि मिलने वाली राशि को मार्च तक खर्च करना अनिवार्य है।
समय पर मिले अनुदान राशि
कंपोजिट ग्रांट की राशि स्कूलों को जुलाई में ही मिलनी चाहिए, जिससे सरकारी स्कूलों के बच्चों को उसका फायदा समय पर मिल सके, लेकिन विभाग एवं सरकार आंख बंद कर बैठे हैं, जिससे संस्था प्रधान अपनी जेबों से रुपए खर्च कर रहे हैं।
जिले में स्कूलों की स्थिति
जिले में प्राथमिक विद्यालय 747, उच्च प्राथमिक विद्यालय 594, माध्यमिक विद्यालय 32 और उच्च माध्यमिक विद्यालय 279 है।
उधार में ला रहे सामान
स्कूलों में कई तरह से आयोजन आए दिन होते हैं। इसके चलते बाजार से कई तरह की सामग्री खरीदना पड़ती है। समय-समय पर अधिकारियों द्वारा भी स्कूलों का निरीक्षण किया जाता है, उनकी आवभगत के दौरान चाय-नाश्ता सहित अन्य खर्चा होता है, ये खर्चे कंपोजिट ग्रांट की राशि नहीं समय पर नहीं मिलने के चलते या तो संस्था प्रधान को करने पड़ रहे है, या अन्य स्टाफ को।
सूत्रों ने बताया कि जुलाई 2019 को मिलने वाली कंपोजिट ग्रांट की राशि दिसम्बर माह में प्राथमिक विद्यालयों को 50 प्रतिशत, माध्यमिक विद्यालयों को 25 प्रतिशत, इसके बाद जनवरी में प्राथमिक स्कूलों को 25 और माध्यमिक स्कूलों को 25 प्रतिशत राशि का बिल बनाकर ट्रेजरी में भेजा गया है। वहां से 2 माह की देरी होने के बाद भी फरवरी के अंत में जाकर जिले के कुछ स्कूलों को राशि मिल पाई है।
-छात्र कोष की राशि से बिल आदि जमा करा देते हैं। बाद में राशि मिलने पर समायोजित कर देते हैं। अभी तो राशि की स्वीकृति जारी हो चुकी है।
परमेश्वर मीणा, प्रधानाचार्य, राआउमावि, अकलेरा
-अभी तक कम्पोजिट ग्रान्ट का पैसा नहीं आया है। जिसके चलते स्कूल में आने वाले सभी खर्च छात्र निधी से चलाएं जा रहे हैं। जब कपोजिट का पैसा आ जाएगा, तब छात्रनिधी में पैसा का समायोजन कर दिया जाएगा।
अशोक कुमार शर्मा, प्रधानाचार्य, राआउमावि, बकानी
-सीएसजी का बजट लंबे समय से नहीं आने से पानी, बिजली, स्टेशनरी सहित अन्य बिलों का भुगतान जमा कराने में परेशानी हो रही है। फिलहाल छात्रकोष व विकास शुल्क से इन बिलों का भुगतान कर रहे हैं। यह राशि आते ही इन मदों में वापस रकम जमा करा देंगे। बजट के लिए विभाग को पत्र भेज रखा है।
प्रभा सेन, प्रधानाचार्य, राउमावि, झालरापाटन
-इस वर्ष अभी तक कोई भी राशि नहीं आने से उधार लेकर ही काम चलाना पड़ रहा है।
राजेन्द्र सिंह मेडू, प्रधानाचार्य, राउमावि, सुनेल
-इस वर्ष अभी तक पूरे राजस्थान में बजट नहीं आया है। इसके लिए कई प्रयास किया जा रहा हैं, शीघ्र ही बजट आने की संभावना है।
रघुनंदन वर्मा, कार्यवाहक, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, सुनेल
-अभी तक कोई भी कम्पोजिट ग्रांट की राशि नहीं मिली है पिछले वर्ष मिली थी इस बार नहीं मिली। स्कूल का खर्चा विकास शुल्क व उधारी पर चल रहा है। राशि मिलने के बाद सभी उधारी को चुकाया जाएगा।
मणिधर शर्मा, प्रधानाचार्य, राउमावि, पिड़ावा
-विद्यालय में मिलने वाला वार्षिक अनुदान के तहत मिलने वाली 75 हजार की राशि में से फरवरी के आखरी सप्ताह में 18 हजार 7 सौ रुपए मिले हैं। इससे पूर्व विद्यालय के अन्य फंड व खुद की जेब से बिल जमा कराया जा रहा था।
पदम सिंंघवी, प्रधानाचार्य, राउमावि, गुराडिय़ाजोगा, भवानीमंडी
-27 फरवरी को हमारी मीटिंग हुई थी, जिसमें बताया गया था कि इस वर्ष की कंपोजिट राशि की 25 प्रतिशत रकम खाते में डल गई है, वहीं बकाया राशि भी मार्च के बाद तक डल जाएगी। कंपोजिट राशि के आभाव में हम बच्चों से विकास शुल्क लेते हैं, उसमें से खर्चों को वहन किया जाता है। विद्यालय में 1000 बच्चे होने पर 75 हजार रुपए के लगभग की राशि मिलती है, वहीं इससे ज्यादा होने पर ज्यादा मिलती है।
उमेश कुमार वर्मा, कार्यवाहक प्रधानाचार्य, राबाउमावि, डग
-जुलाई में मिलने कंपोजिट राशि अब तक शिक्षा विभाग से नहीं मिली है। ऐसे में अन्य फंड से विद्यालय के बिलों व अन्य खर्चों का भुगतान करना पड़ रहा है। यह राशि कब तक विद्यालय को मिलेगी, इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।
सत्येन्द्र कुमार शर्मा, राउमावि, प्रधानाचार्य, खानपुर
-चालू सत्र की कम्पोजिट ग्रान्ट राशि अभी नहीं मिली है। विद्यालय के खर्च के बिल कुछ तो पेंडिंग में ही रहते है, कुछ खर्च की राशि विकास फंड में से लेकर राशि मिलने पर समायोजन कर कार्य करते हैं।
सत्येन्द्रपाल, कार्यवाहक प्रधानाचार्य, राउमावि, मनोहरथाना
-मैं अभी फिल्ड में हूं, ऑफिस में होता तो देखकर जानकारी देता। बिलों पर साइन हो गए हैं, ब्लॉकों को राशि जारी हो गई है, वहां से राशि लेट आएगी। ट्रेजरी में बिल भेज रखे हैं, वहां की जानकारी तो ऑफिस से मिलेगी।
रंगलाल मीणा, जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो