सरकारी नौकरी में पहले स्काउट-गाइड को राज्य और राष्ट्रपति पुरस्कार के प्रमाण-पत्र पर नौकरी मिलने में सहायता मिलती थी। इसके नंबर/प्रतिशत इसमें जुड़ा करते थे पर वर्ष 2004 से यह भी लगभग बंद हो चुका है।कार्यालय में न चपरासी न सहायक कर्मचारी। स्काउट-गाइड तो छोड़ो, इस काम में लगे स्टाफ तक को चाय तक स्वयं के खर्च पर पीनी पड़ रही है।
गाइड विभाग
गाइडर-222
बुलबुल- 1464
गाइड-4102
रेंजर- 774
कुल-6570 स्काउट विभाग स्काउटर-1000
कब- 5208
स्काउट-22464
रोवर- 1920
कुल- 30624 घट रहा रूझान-
स्काउट-गाइड के प्रति युवाओं का रूझान घटता जा रहा है। किसी भी तरह का फायदा न मिलना भी शायद इसकी एक वजह हो सकती है। इस पीड़ा को समझा गया, तब ही तो पिछले दिनों स्काउट गाइड के राज्य मुख्य आयुक्त निरंजन आर्य ने आश्वस्त किया कि स्काउट गाइड युवाओं को नौकरियों में लाभ मिलें, इसका प्रस्ताव बनाया जा रहा है। आर्य ने कहा था कि प्रदेश में स्काउट-गाइड के प्रति युवाओं का रूझान कम है, जिसका एक कारण नौकरियों में भी इसका लाभ नहीं मिलना है।
सूत्रों का कहना है कि झालावाड़ जिले में अधिकांश स्कूलों के संस्थाप्रधान रूचि नहीं ले रहे हैं। न सप्ताह में दो बार बैठक का चलन है, न ही इनको महत्ता मिल रही है। असल में इनको ही बोझ समझा जाने लगा है। पूरे साल में स्कूलों में स्काउट-गाइउ के लिए कार्यरत टीचर को मिलता है तो सिर्फ ढ़ाई सौ रूपए और वो भी डे्रस मद में। इसके चलते कोई रूचि नहीं दिखाते हैं।
जिले में करीब आठ लोगों ने राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त कर रखा है। लेकिन इसका फायदा मिलता ही नहीं है। पहले राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त स्काउट गाइड को नौकरी व अन्य जगह फायदा मिलता था। लेकिन अब नहीं मिल रहा है।
रवि मोदी, राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त,झालावाड़।
बजट नहीं मिल रहा है, पहले नौकरी में वेटेज मिलता था, अब नहीं मिल रहा है। स्कूलों में स्थानातंरण आदि में मौका मिलता था, अब उसे भी हटा दिया है। इस लिए बच्चों का रूझान कम हो रहा है।
रामकृष्ण शर्मा, सीओ, स्काउट,झालावाड़।