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सेवाएं पूरी लें रहे, बजट व सुविधाओं के नाम पर जीरो,स्काउट-गाइड कैसे बनेंगे हीरो

locationझालावाड़Published: Jan 16, 2022 09:49:27 pm

Submitted by:

harisingh gurjar

 
– सरकारी नौकरी हो या अन्य लाभ, पूरी तरह है इनसे दूर

Take full services, zero in the name of budget and facilities, how will a scout-guide become a hero

सेवाएं पूरी लें रहे, बजट व सुविधाओं के नाम पर जीरो,स्काउट-गाइड कैसे बनेंगे हीरो

झालावाड़.जीरो बजट में सरकार स्काउट -गाइड को हीरो बनाने का सपना संजो रही है। इनके हिस्से आने वाली सभी सुविधाएं धीरे-धीरे छिनती जा रही है। रेलवे की सीधी भर्ती में केवल चतुर्थ श्रेणी का पद या फिर कॉलेज एडमिशन में राष्ट्रपति पुरस्कार विद्यार्थियों को वरियता जरूर मिलती है। बाकी किसी तरह की न कोई राहत न रियायत। कोरोना में सेवा कार्य पर झालावाड़ के स्काउट-गाइड ने अच्छा कार्य किया।लेकिन उनके फायदे की बात आती है तो स्काउट गाइड अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
जानकारों ने बताया कि जिले में करीब 30624 स्काउट व करीब6570 गाइड है। यानी इनकी कुल संख्या 37194 है। पल्स पोलियो हो या समाज सेवा। कोरोना ही नहीं अनेक सामाजिक-सरकारी कार्यक्रमों में ये बिना किसी लोभ के सजगता से ड्यूटी दे रहे हैं। पौधारोपण समेत कई प्रकार के उपयोगी, जनहित के कार्यों में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बहरहाल इन पर खर्च होने वाली चवन्नी तक के लिए भामाशाह तलाशे जाते हैं। बात कड़वी लगे पर है सौ फीसदी सच।
ऐसे में स्वाधीरता दिवस हो या गणतंत्र दिवस,इनको स्टेडियम तक जाने के लिए वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया जाता, जबकि पीटी में शामिल होने वाले बच्चों को स्कूलों सेबस मुहैया होती है।
पहले मिलती थी सुविधा अब बदं-
सरकारी नौकरी में पहले स्काउट-गाइड को राज्य और राष्ट्रपति पुरस्कार के प्रमाण-पत्र पर नौकरी मिलने में सहायता मिलती थी। इसके नंबर/प्रतिशत इसमें जुड़ा करते थे पर वर्ष 2004 से यह भी लगभग बंद हो चुका है।कार्यालय में न चपरासी न सहायक कर्मचारी। स्काउट-गाइड तो छोड़ो, इस काम में लगे स्टाफ तक को चाय तक स्वयं के खर्च पर पीनी पड़ रही है।
फैक्ट फाइल-
गाइड विभाग
गाइडर-222
बुलबुल- 1464
गाइड-4102
रेंजर- 774
कुल-6570

स्काउट विभाग

स्काउटर-1000
कब- 5208
स्काउट-22464
रोवर- 1920
कुल- 30624

घट रहा रूझान-
स्काउट-गाइड के प्रति युवाओं का रूझान घटता जा रहा है। किसी भी तरह का फायदा न मिलना भी शायद इसकी एक वजह हो सकती है। इस पीड़ा को समझा गया, तब ही तो पिछले दिनों स्काउट गाइड के राज्य मुख्य आयुक्त निरंजन आर्य ने आश्वस्त किया कि स्काउट गाइड युवाओं को नौकरियों में लाभ मिलें, इसका प्रस्ताव बनाया जा रहा है। आर्य ने कहा था कि प्रदेश में स्काउट-गाइड के प्रति युवाओं का रूझान कम है, जिसका एक कारण नौकरियों में भी इसका लाभ नहीं मिलना है।
संस्था प्रधान नहीं ले रहे रूचि-
सूत्रों का कहना है कि झालावाड़ जिले में अधिकांश स्कूलों के संस्थाप्रधान रूचि नहीं ले रहे हैं। न सप्ताह में दो बार बैठक का चलन है, न ही इनको महत्ता मिल रही है। असल में इनको ही बोझ समझा जाने लगा है। पूरे साल में स्कूलों में स्काउट-गाइउ के लिए कार्यरत टीचर को मिलता है तो सिर्फ ढ़ाई सौ रूपए और वो भी डे्रस मद में। इसके चलते कोई रूचि नहीं दिखाते हैं।
नहीं मिल रहा फायदा-
जिले में करीब आठ लोगों ने राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त कर रखा है। लेकिन इसका फायदा मिलता ही नहीं है। पहले राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त स्काउट गाइड को नौकरी व अन्य जगह फायदा मिलता था। लेकिन अब नहीं मिल रहा है।
रवि मोदी, राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त,झालावाड़।
सरकार तक पहुंचाएंगे बच्चों की शिकायत…
बजट नहीं मिल रहा है, पहले नौकरी में वेटेज मिलता था, अब नहीं मिल रहा है। स्कूलों में स्थानातंरण आदि में मौका मिलता था, अब उसे भी हटा दिया है। इस लिए बच्चों का रूझान कम हो रहा है।
रामकृष्ण शर्मा, सीओ, स्काउट,झालावाड़।
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