झालावाड़

शरीर तो सजा दिया लेकिन चेहरे बेनूर रहे…

-गढ़ भवन में संग्रहालय चमका, मुख्य द्वार उपेक्षित

झालावाड़Oct 22, 2019 / 04:11 pm

jitendra jakiy

शरीर तो सजा दिया लेकिन चेहरे बेनूर रहे…

शरीर तो सजा दिया लेकिन चेहरे बेनूर रहे…
-गढ़ भवन में संग्रहालय चमका, मुख्य द्वार उपेक्षित
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. गढ़ भवन की मुख्य इमारत का तो जीर्णोद्वार कर सौंदर्य कर दिया गया व राजकीय संग्रहालय संचालित कर दिया गया लेकिन गढ़ के तीनों मुख्य द्वार उपेक्षित होकर अपने जीर्णोद्वार की बाट जो रहे है। रिसासतकाल में दीवाली पर जहां एक ओर इन द्वारों की छटा देखते ही बनती थी, वहीं दूसरी ओर आज यह कचरा व गंदगी के पात्र बनकर उपेक्षित हो रहे है। गढ़ भवन में प्रवेश के तीन मुख्य द्वार बने हुए है। इसमें पूर्व दिशा का मुख्य द्वार नक्कार खाना, पश्चिम में मंगलपुरा द्वार व उत्तर दिशा में विलायती दरवाजा स्थित है। तीनों द्वारों की दुर्दशा हो रही है। रियासतकालीन लकड़ी के विशाल किवाड़ क्षतिग्रस्त होकर गिरने को आतुर है। इससे कभी भी नीचे से गुजरने वाले राहगीरों के साथ बड़ा हादसा हो सकता है।
-10 करोड़ में निखरा भवन व नाट्यशाला
गढ़ भवन परिसर में स्थित मुख्य इमारत व ऐतिहासिक भवानी नाट्यशाला के लिए 10 करोड़ की लागत से जीर्णाेद्वार व सौंदर्यकरण का कार्य किया गया। लेकिन गढ़ के तीनों मुख्य द्वारों की सुध नही ली गई। मात्र कुछ दीवारों पर प्लास्टर कर इतिश्री कर ली गई व दरवाजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। तीनो मुख्य द्वारों की दुर्दशा हो रही है व जीर्ण शीर्ण अवस्था में क्षतिग्रस्त हो रहे है। एक ओर से पुरात्तव विभाग प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने बात करता है वहीं सौदर्यकरण के बाद निखरते गढ़ भवन के सामने द्वारों की दुर्दशा वास्तविकता से रुबरु करा रही है।
-द्वारों की दुर्दशा की यह है स्थिति
गढ़ भवन के ठीक सामने मुख्य विशाल व भव्य नक्कार खाना द्वार स्थित है। इसमें ऊपर जाने के लिए किवाड़ टूटा पड़ा है इससे यहां अक्सर असामाजिक तत्व द्वार के झरोखें में बैठकर नशे का सेवन करते है। कक्षों में चारो ओर तम्बाकू, जर्दे के पाउच, बीड़ी व सिगरेट माचिस आदि का बड़ी मात्रा में कचरा व गंदगी फैली है। दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसका किवाड़ भी पहले आधा टूट कर अटक गया था। इस पर राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर के बाद इसे ठीक करवाया गया। वर्तमान में किवाड़ भी गल गया है।
-अस्तबल बन जाते है दोनो द्वार
गढ़ भवन के दक्षिण दिशा मंगलपुरा वाला द्वार व उत्तर दिशा में स्थित विलायती दरवाजा अक्सर घोड़े व गधों का अस्तबल नजर आता है। इसके कक्षों में इन पशुओं को देखा जा सकता है। कक्षों में भरी गंदगी व कचरा फैला पड़ा है इससे निकट से गुजरने वालों को बदबू का सामना करना पड़ता है।
-फिलहाल कोई योजना नही है
इस सम्बंध में राजकीय पुरातत्व व संग्रहालय प्रभारी संदीप सिंह जादौन का कहना है कि गढ़ भवन में करीब पांच करोड़ से संग्रहालय बन चुका है व भवानी नाट्यशाला में भी करीब पांच करोड़ से सौंदर्यकरण का काम चल रहा है। पहले इसी कार्य के दौरान मुख्य द्वारों की दीवारों पर भी प्लास्टर करवाया गया था। फिलहाल इन द्वारों के बजट के लिए कोई योजना नही बन पाई है। विभाग की ओर से इनके भी जीर्णोद्वार व सौंदर्यकरण करवाने का प्रयास किया जाएगा।

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