इस दृश्य को जिसने भी देखा उसकी आंखों में आंसू आ गए, लेकिन वहां मौजूद लोगों ने पशु चिकित्सक डॉ.औंकार पाटीदार को फोन लगाया तो उनका फोन बंद आया, संयुक्त निदेशक को फोन लगाया तो उनके वीसी में होने से उन्होंने फोन नहीं उठाया।
घटना के दौरान ही वहां मौजूद लोकेश शर्मा, विनीत पोरवाल, नंदकिशोर कश्यप सहित कई लोगों ने डॉ.औंकार पाटीदार को को फोन लगाया, लेकिन फोन नहीं लगा। जैसे तैसे एक डॉ.विक्रमसिंह को फोन लगाया तो उन्होंने कहा कि चिकित्सालय में हमारे अधिकारी डॉ.पाटीदार बैठे है, आप उन्हें फोन लगाओं वह टीम को भेजेंगे।
ऐसे में वहां मौजूद लोग सारे माजरे को भंाप कर बिना समय गंवाए खंडिया कॉलोनी से एक सेवानिवृत कंपाउंर रामशंकर को बुलाकर लाए तब उन्होंने बच्चे को निकाला, तब तक बच्चा मर चुका था, समय रहते बच्चे को निकाल लिया गया, नहीं तो गाय भी मर सकती थी। ऐसे में जिला मुख्यालय पर सरकार ने बहुउदे्दश्य पशु चिकित्सालय भले ही खोल दिया हो, लेकिन यहां के चिकित्सक बेजूबान पशुओं के खिलाफ कैसे पेश आते है, यह पुरा माजरा गुरूवार की घटना को देखकर समझा जा सकता है। गनीमत रही की समय रहते रिटार्यड कर्मचारी मिल गया नहीं तो आज दो जान चली जाती। जिला मुख्यालय के ये हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता होगा। यह बताने की आवश्यकता नहीं है।
जो डॉ. औंकार पाटीदार व डॉ.विक्रमसिंह को कल ही बुला कर जवाब मागेंगे दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.मदनलाल खुडिया, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, झालावाड़।