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निरक्षरता के अभिशाप को अंगूठा दिखा, कम्प्यूटर पर दौड़ती बालिकाओं की अंगुलियां

locationझालावाड़Published: Sep 09, 2019 10:11:19 am

Submitted by:

jitendra jakiy

-महिला शिक्षण विहार में जगी शिक्षा की अलख

The curse of illiteracy shows a thumb, the fingers of the girls runnin

निरक्षरता के अभिशाप को अंगूठा दिखा, कम्प्यूटर पर दौड़ती बालिकाओं की अंगुलियां


निरक्षरता के अभिशाप को अंगूठा दिखा, कम्प्यूटर पर दौड़ती बालिकाओं की अंगुलियां
-महिला शिक्षण विहार में जगी शिक्षा की अलख
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. राजस्थान के एक मात्र महिला शिक्षण विहार में समाज की मुख्य धारा से जुडऩे के लिए क्षेत्र में गरीबी, अशिक्षा का अभिशाप झेल रही आदिवासी बालिकाएं अब निरक्षरता के कलंक को दरकिनार कर कम्प्यूटर के की बोर्ड पर अंगुलियां दौड़ा कर शिक्षा की अलख जगा रही है। विश्व साक्षरता दिवस की पूर्व संध्या पर महिला शिक्षण विहार में स्थित कम्प्यूटर कक्ष में अपने भविष्य के लिए सुनहरे सपने संजोएं कम्प्यूटर के की बोर्ड पर अंगुलियां दौड़ाती पांच बालिकाएं अपने लक्ष्य में मग्र नजर आई। पूछने पर उनकी आंखों में चमक उभरी। सबसे पहले बारां जिले के आदिवासी क्षेत्र के गांव गाडऱी निवासी पलक ने कहा कि उसके परिवार की माली हालत खराब है वह पढऩा चाहती है इसलिए अब कम्प्यूटर सीख कर व पढ़ाई कर डॉक्टर बनने की तमन्ना है। इसके निकट बैठी जिले के मनोहरथाना क्षेत्र के गांव बलदेव पुरा निवासी रीना लोधा का कहना था कि मुझे तो अब पुलिस बनना है। शायद उसके क्षेत्र में अपराधो का बोलबाला है इसलिए वह पुलिसकर्मी बन कर ग्रामीणों को बाहुबलियों के आतंक से छुटकारा दिलाने की इच्छा रखती है। जिले के बकानी क्षेत्र के गंाव सीमलखेड़ी की रहने वाली उर्मिला ने कहा कि वह अध्यापिका बन कर हर बालिका को शिक्षित कर स्वावलम्बन बनाने का सपना संजोएं है। बारां जिले के आदिवासी क्षेत्र के गांव पेहनावदा निवासी मनीषा डॉक्टर बनकर अज्ञानता के कारण क्षेत्र में कुपोषित व इलाज के अभाव में दम तोड़ते ग्रामीणों को बचाने के लिए जीना चाहती है। जिले के भालता की रीना सेन अपने दिल में समाजसेवा का जज्बा पाले हुए है। अपने दिल के उद्गार बताने के बाद तुरंत बालिकाएं फिर से कम्प्यूटर पर काम करने में जुट गई।
-यह भी संजों रही है सपने
महिला शिक्षण विहार में इस वर्ष प्रवेश करने वाली बारां जिले के आदिवासी क्षेत्र के गांव मामोनी की ज्योति सहरिया, गंाव गांगरी सटोरी की मनीषा, गांव गंगरेटा की सुनीता, गांव जेसवा की संजना व पाटनउद्दा की मुकेशी भी पढ़ाई कर व कम्प्यूटर सीखकर स्वावलम्बी बन कर समाज में कुछ करना चाहती है।
-12 साल से चल रहा है विहार
राजस्थान में गरीब तबके की 15 से 35 आयु वर्ग की बालिकाओं को शिक्षा से जोड़कर स्वावलम्बी बनाने के लिए कक्षा 1 से 10 वीं तक अध्ययन कराने के लिए सबसे पहले 1994 में जालौर में ऐसी बालिकाओं के लिए आवासीय शिक्षण विहार शुरु किया गया था। इसके बाद 1997 में झालावाड़ में महिला शिक्षण विहार शुरु किया गया। इस दौरान 1999 में जालौर में स्थित महिला शिक्षण विहार बंद कर दिया गया। लेकिन झालावाड़ का चालू रहा। यहां के जिला प्रभारी अधिकारी साक्षरता डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि महिला शिक्षण विहार में अभी तक करीब एक हजार बालिकाओं ने शिक्षा ग्रहण की व स्वावलम्बन बन कर समाज में अपनी पहचान बनाए हुए है।
-तीन छात्राओं ने स्थापित किए आयाम
महिला शिक्षण विहार की दो छात्राओं ने जिले में कक्षा 10वीं ओपन में व एक छात्रा ने स्टेट ओपन में प्रथम स्थान प्राप्त कर नाम रोशन किया। इन तीनो छात्राओं को रविवार को होने वाले राज्य स्तर पर आयोजित समारोह में सम्मानित किया जाएगा। इसमें जिले के गांव मेहंदी की छात्रा राधा भील पुत्री नंदलाल ने 2016-17 में 77 प्रतिशत अंक प्राप्त कर व 2018-19 में गंाव अजमड़ा की सीया सहरिया पुत्री कमलेश ने 69 प्रतिशत अंक प्राप्त कर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। जिले के मनोहरथाना क्षेत्र के गांव ठीकरिया की सावित्री लोधा पुत्री बीरमचंद लोधा ने 2017-18 में 84 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पूरे राज्य मेंं प्रथम स्थान प्राप्त किया।
-बालिकाओं को ओर ज्यादा सक्षम बनाया जाएगा
इस सम्बंध में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश शर्मा का कहना है कि महिला शिक्षण विहार की बालिकाओं को शैक्षिणिक दृष्टि से ओर अधिक सक्षम व आत्म निर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा। क्योकि सशक्त नारी से ही सशक्त समाज का निर्माण होता है।
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