ग्रामीणों ने बताया कि गरनावद में लगने वाले शिविरों में सांसद और विधायक को गांव तक सड़क बनाने के लिए कई बार कहा, विधायक ने २०१७ तक सड़क बनाने का वादा भी किया, लेकिन अभी तक गांव तक सड़क नहीं बन सकी। जिससे ग्रामीणों को विशेषकर बारिश के दिनों में आने-जाने में परेशानियों को देखते हुए ग्रेवल सड़क बनाने का बीड़ा उठाया है। वहीं खेतों में फसलों में पानी देने से भी रास्ता जाम हो जाता है। गांव में आस-पास के छात्र पढऩे आते है एवं गांव के छात्र गरनावद पढऩे जाते है, बारिश और अन्य दिनोंं में लोगो को किचड़ में होकर आना जाना पड़ रहा है। इस के कारण मरीजों के लिए परेशानी बढ़ जाती है।
लोगों का कहना है की वर्तमान में 2018 चल रहा लेकिन सरकार अभी गांवों को सड़क से जोडऩे के लिए 2001 की जनसंख्या के हिसाब से काम कर रही है। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अनिल गर्ग ने बताया कि गांव की जनसंख्या भले ही वर्तमान में साढ़े तीन सौ हो गई है। सरकार गांवों को सड़कों से २००१ की जनसंख्या के हिसाब से जोड़ रही है। जिससे मेहंदिया खेड़ी को अभी तक नहीं जोड़ा जा सका। ३० हजार रुपए में बन जाएगी कच्ची डगर ग्रामीणों ने बताया कि गांव की ३५० से अधिक जनसंख्या है। सभी से ग्रामीणों ने ३० हजार रुपए एकत्र किए एवं जेसीबी मशीन चालक को दिए, वो मलड़ा गांव के ट्रैक्टरों में डाल रहा है, इसके बाद ग्रामीण सड़क पर उस मलड़े को फैला रहे है। बाद में जेसीबी मशीन व ट्रैक्टर के कुलपे से उसकी कुटाई कर रहे है। जिससे मलवा अच्छी तरह से बैठक लेकर सड़क मजबूत हो सकें।