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गांवों का पुनर्वास नहीं हुआ, इस साल नहीं भरेगा रोशनबाड़ी बांध

locationझालावाड़Published: May 22, 2019 12:21:25 pm

Submitted by:

jagdish paraliya

लघु सिंचाई परियोजना का काम ९५ प्रतिशत पूरा

Villages do not rehabilitate, Roshanbadi dam will not be completed thi

गांवों का पुनर्वास नहीं हुआ, इस साल नहीं भरेगा रोशनबाड़ी बांध

सुनेल. कस्बे के समीप रोशनबाड़ी लघु सिंचाई परियोजना का काम ९५ प्रतिशत पूरा हो चुका है। इस वर्ष बरसात में इस बांध को भरा जाना था, लेकिन सबसे बड़ी बाधा गंावों का पुनर्वास नहीं होने की आ रही है। इसके चलते बंाध में इस साल पानी नहीं रोका जाएगा। ग्रामीणों का यहां पर पुनर्वास होना था, लेकिन न पुनर्वास हो पाया और न ही ग्रामीणों को प्लॉट मिल पाए हैं। इससे लोग प्रभावित हो रहे हैं। यह काम अगले साल तक पूरे होंगे। रोशनबाड़ी लघु सिंचाई परियोजना के तहत रोशनबाड़ी, उन्हैल, कांदलखेड़ी, कोटड़ा प्रताप, चंद्रपुरा, नूरपुरा गंाव डूब क्षेत्र में आ रहे हंै। इन गंावों का पुनर्वास नहीं हो पाया है।
फव्वारा सिंचाई होगी
रोशनबाड़ी लघु सिंचाई परियोजना के क्षेत्र में आने वाले गंावों में जल्द ही स्प्रिंकलर पद्धति से सिंचाई होगी। इसका ६५ फीसदी काम पूरा हो चुका है इससे किसानों को लाभ मिल सकेगा। वहीं पानी की बचत भी होगी। स्प्रिंकलर पद्धति का फायदा यह होगा कि पूरे साल किसान अपने खेतों में सिंचाई का पानी ले सकेंगे। स्प्रिंकलर पद्धति के तहत सिंचाई विभाग की ओर से बंाध से खेतों तक जमीन के अंदर लोहे के अलग-अलग साइज के पाइप डाले जा रहे हैं जो लोगों के खेतों के नजदीक से गुजरेंगे। इसके तहत ८ हैक्टेयर के बीच लोहे के पाइप में एक वॉल्व लगाया जाएगा।
२८०० हैक्टेयर क्षेत्र में होगी सिंचाई
लघु सिंचाई परियोजना के तहत नहरी तंत्र विकसित किया जा रहा है। इसमें पाऊखेड़ी, राजपुराबुजुर्ग, सुनेल, घाटाखेड़ी, रोशनबाड़ी, आकोदिया, चछलाई, चंद्रपुरा, काल्याखेड़ी, चछलाव, लालगंाव, खामणी, भटखेड़ा, कलोतिया गंावों में सिंचाई का पानी दिया जाएगा। ९ हजार ८ सौ ७२ लाख रूपए की लागत से बांध का काम अब अंतिम चरण में चल रहा है। लगभग २८०० हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।
दाईं मुख्य नहर की लंबाई ६.५० किमी होगी, बाईं मुख्य नहर की लंबाई ७.१४ किमी होगी इससे १४ गंाव लाभान्वित होंगे।
राजीव विजय, सहायक अभियंता
नहर में डाल रहे सीवरेज का पानी
झालरापाटन ञ्च पत्रिका. गोमती सागर तालाब के मोरीकुंडा से होकर निकली नहर में सीवरेज का पानी छोड़े जाने व इस पर अतिक्रमण करने को लेकर लोगो में रोष व्याप्त है। रियासत काल में गोमती सागर तालाब के मोरीकुंडा के यहां से ईमली दरवाजा, लंका दरवाजा, सूरजपोल दरवाजा होकर गोविंदपुरा तक नहर का निर्माण कराया गया था। इस नहर के पानी का उपयोग सिंचाई व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए किया जाता है। मोरीकुंडा से लेकर ईमली दरवाजा तक इस नहर पर जगह जगह लोगो ने अतिक्रमण कर शोचालय, पक्के कमरो, चार दीवारी का निर्माण करा लिया है जिससे इसकी चौड़ाई कॉफी कम हो गई है। कई लोगों ने अपने मकान के सीवरेज पाइप इस नहर में छोड़ रखे हैं जिससे सारा गंदा पानी इसमें जाने से नहर का पानी प्रदूषित हो रहा है।
गौतम मंडल अध्यक्ष बृजेश गौतम ने बताया कि नगरपालिका की और से अभी १५ लाख रूपए की लागत से मोरीकुंडा से लेकर ईमली दरवाजा तक क्षतिग्रस्त इस नहर की मरम्मत करवाई जा रही है। पालिका को मरम्मत के साथ ही इसमें डाले जा रहे गंदे पानी पर रोक लगाने के साथ ही अतिक्रमण भी हटाए जाने चाहिए।
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