जिले में एमजेएस में के तहत रूपपुरा बालदिया गांव में बहुत अच्छा काम हुआ था। यहां 21 जुलाई 2016 को को पहाडिय़ों पर राज्य स्तरीय वन महोत्सव मनाया गया था। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने भी भाग लिया था। यहां बड़े क्षेत्र में फैली हुई पहाडिय़ों पर मुख्यमंत्री जलस्वालम्बन अभियान के तहत वाटरशेड विभाग द्वारा 20 हैक्टेयर क्षेत्र में 8.28 लाख रुपए की लागत से 6000 मी. स्टेगर्ड ट्रंैच, 300मी डीप कन्टूर टैं्रच, 600 मी डीप कंटीन्यूवस कन्टूर टें्रच तथा 4 परकोलेशन टैंक बनाकर भूमि को उपचारित किया गया है। और पौधों को पानी देने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन इसके बाद भी पौधे सूख गए है। यहां 3 हजार 492 घनमीटर वर्षा जल का संरक्षण करने की योजना थी। यहां हरितावरण में वृद्धि करने तथा स्थानीय लोगों का चारा, ईंधन, ईमारती लकड़ी, फलदार पौधों की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा पशुचारण एवं अतिक्रमण से बचाने के लिए व विभाग को 20 हैक्टेयर चारागाह क्षेत्र में वृक्षारोपण के लिए तार फेंसिंग की गई थी।
राज्य स्तरीय वन महोत्सव में 21 प्रजातियों के 2100 पौधे लगाए गए थे। जिनमें नीम, अर्जुन, आम, आंवला, जामुन, अमरूद, पीपल, बरगद, गूलर, बिल्वपत्र, सागौन, मोहगनी, बांस, सेमल, देशी बबूल, बेर, महुआ, चूरैल, सिरस, मौलश्री, करंज आदि के पौधे लगाए गए थे, लेकिन इनमें से ज्यादातर पौधे अब सूख चुके हैं। इस क्षेत्र में प्राकृतिक रुप से रोंझ, देशी बबूल, चुरैल, पलाश, रोंझ, कीकर, खिरनी, धोंक,चुरेल, तेन्दू शतावरी, कड़वाला इत्यादि प्राकृतिक वनस्पतियां पहले से मौजूद है। तो यहां जरख, भेडिय़ा, लोमड़ी, सियार खरगोश आदि वन्यजीव भी इस पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते हैं। इस लिए इस क्षेत्र को प्राकृतिक रुप से विकसित करने के लिए वन महोत्सव मनाकर शुरुआत की गई थी, लेकिन यह फलीभूत नहीं हो सका है। वन महोत्सव के बाद भी बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए है, लेकिन पानी के अभाव में वह भी नहीं चल पाए है।
टैंकर से पौधों को पानी पिलाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन लंबे समय से टैंकर वाले का भी भुगतान नहीं हो पाया है। अभी करीब सवा लाख रुपए बकाया चल रहा है। ऐसे में अभी यहां पौधों को कोई पानी नहीं दे रहा है। तो चौकीदार भी नहीं होने से लोगों ने तारफेसिंग को नुकसान पहुंचा दिया है, आवारा मवेशी भी प्लांटेशन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में ऐसे में प्राकृतिक स्थल विरान होता जा रहा है।
एक तरफ तो सरकार पौधारोपण पर लाखों रुपए खर्च करती है। वहीं पौधों को पानी देने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने से हजारों पौधों सूखने की कगार पर है। यहां मनरेगा द्वारा मजदूरों को लगाकर पौधों को पानी देने की व्यवस्था की जा सकती है।
बालदिया में पांच वर्ष के लिए पौधे लगाए गए थे। 21 मार्च को पांच साल पूरे हो जाएंगे अब बजट नहीं है। ग्राम पंचायत को हैंड ओवर किया जाएगा, आगे की सारसंभाल ग्राम पंचायत ही करेगी।