शाम करीब चार बजे किसानों की रैली मिनी सचिवालय पहुंची। यहां किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष दलाराम बटेश्वर ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश में 2050 तक के अन्न भंडार किसानों ने भर रखे हैं, लेकिन किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। मूल्य नहीं मिलने से किसान आर्थिक कर्जे में डूब रहा है। उन्होंने सरकार से सोयाबीन खरीद का समर्थन मूल्य 8000 रुपए क्विंटल घोषित करने की मांग की।
अखिल भारतीय सीमांत प्रमुख कैलाश गंदोलिया ने कहा कि किसानों के सामने रबी सीजन में सबसे बड़ी चुनौती होती है, जब फ सलों को पानी की जरूरत होती है तब न तो पानी मिलता है और न ही बिजली। जब उद्योगों को 24 घंटे बिजली मिलती है तो किसानों को भी 24 घंटे थ्री फेज बिजली मिलनी चाहिए। जिलाध्यक्ष राधेश्याम गुर्जर ने कहा कि गारंटी के साथ सोयाबीन का 6 से 7 हजार रुपए का भाव मिलना चाहिए। सरकार ने किसानों को लगातार थ्री फेज बिजली देने का वादा किया था, लेकिन छह घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। ट्रांसफ ार्मर की पेंडेसी बढ़ती जा रही है। सभा को प्रांत प्रचार प्रमुख आशीष मेहता, प्रांत महामंत्री अंबलाल शर्मा, प्रांत मंत्री जगदीश खाती ने भी संबोधित किया।
जिले में ये भी समस्याएं
किसान संघ का कहना था कि झालावाड़ जिले की कई तहसीलों में अभी भीी समस्याएं है। पिड़ावा तहसील के 56 गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाएं। पिड़ावा मंडी को सुचारू रूप से चालू की जाएं। रायपुर तहसील में चंवली बांध की खराब नहरों को सही कर खेतों तक पाइप लाइन से पानी पहुंचाया जाएं। मंडी को स्वतंत्र मंडी का दर्जा दिया जाएं। गागरीन बांध से सुनेल क्षेत्र के किसानों को सिंचाई का पानी उपलब कराया जाएं। मनोहरथाना में नई मंडी में सुविधाएं दी जाएं। झालरापाटन तहसील में कालीसिंध बांध से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाएं। डग में सिंचाई के नए विकल्प तलाश कर पानी उपलब्ध कराया जाएं।
रैली के मद्देनजर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजीलाल मीणा के नेतृत्व में चार पुलिस उपाधीक्षक, 10 थानों का पुलिस जाप्ता और आरएसी की एक बटालियन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात रही।