कालीसिंध थर्मल की पहली यूनिट रविवार शाम 5.30 बजे 65 मीटर पर बॉयलर की ट्यूब लीकेज होने से बंद हो गई है।अधिक ऊंचाई पर होने से अब वहां जगह बनाना इंजीनियरों के लिए मुश्किल हो रहा है, यहां बेडा लगाना भी मुश्किल हो रहा है। इस यूनिट के प्लेटन सुपरहिटर में लीकेज आया है। जिसे सही करना बड़ा ही मुश्किल है। थर्मल प्रशासन दूसरी यूनिट को सही नहीं करवाया पाया इतने में मंगलवार को दूसरी यूनिट में फिर1.30 बजे बॉयलर में लीकेज होने से यूनिट ठप्प हो गई है।
दूसरी यूनिट को शुरू हुए करीब 5 वर्ष ही हुए है। ऐसे में बार-बार तकनीकी खामी आना भी सवालिया निशान उठ रहे हैं। जानकारों ने बताया कि अभी तीन दिन सही होने में लग सकते है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि यदि विदेशी कंपनी की बजाए देश में मौजूद भेल जैसी नामी कंपनियों से थर्मल का काम कराया होता तो कोई भी तकनीकी खामी आने पर इनता खर्चा नहीं होता तथा समय की भी बचत होती।
सूत्रों ने बताया कि थर्मल को एक बार में लाइट अप करने में करीब 20 लाख का खर्चा आता है, ऐसे में तीन दिन से प्रथम व एक दिन से दूसरी यूनिट बंद होने से अब फिर से चालू करने व मरम्मत में करोड़ों रूपए का खर्चा होगा।
तीन दिन में 19 करोड़ से अधिक का नुकसान-
कालीसिंध थर्मल की पहली इकाई तीन दिन से बंद है। ऐसे में एक यूनिट से 24 घंटे में 144 लाख यूनिट उत्पादन होता है। ऐसे में कालीसिंध थर्मल को एक दिन में कराड़ों का नुकसान हो रहा है। एक यूनिट की लागत करीब 4.6 रूपए मानी जाती है तो भी थर्मल को एक दिन में करीब 662.4 लाख का नुकसान होता है, ऐसे तीन में थर्मल को करीब 19 करोड़ 87 लाख का नुकसान हो रहा है। वहीं दूसरी यूनिट के भी बंद होने से प्रति दिन 144 लाख यूनिट का नुकसान शुरू हो गया है।
थर्मल की दोनों यूनिट ट्यूब लीकेज होने से बंद हो गई है। पहली यूनिट रविवार को व दूसरी यूनिट मंगलवार को बंद हो गई है। मरम्मत के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। टयूब लीकेज को रोकना किसी के हाथ की बात नहीं है, इस पर कंट्रोल नहीं रहताहै, ये तो लीकेज होने के बाद ही पता चलता है। दो-तीन दिन में सही करवा ली जाएगी।
केएल मीणा, चीफ इंजीनियर, कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट,झालावाड़।