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इन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर पहुंचाने में दिया योगदान, पाया सम्मान

locationझांसीPublished: Aug 23, 2019 10:47:23 pm

Submitted by:

BK Gupta

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुशील प्रकाश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक संदेश पढ़कर सुनाया।

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इन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर पहुंचाने में दिया योगदान, पाया सम्मान

झांसी। स्वास्थ्य सेवाओं को जन जन तक पहुंचाने में आशा अहम भूमिका निभा रही हैं। वह समय-समय पर आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होकर अपने कार्य को और निखार सकती हैं। यह कहना है मुख्य विकास अधिकारी निखिल टीकाराम फुण्डे का। सीडीओ यहां पैरामेडिकल सभागार में आशा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर जिले के हर ब्लॉक की तीन-तीन आशा और आशा संगिनियों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुशील प्रकाश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक संदेश पढ़कर सुनाया।
प्रयासों को सराहा

अपर निदेशक डॉ॰ सुमन बाबू मिश्रा ने कहा कि कई गांवों में संसाधनों के अभाव होने के बाद भी आशाओं के अथक प्रयासों से स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाया जा सका। उन्होंने कहा कि आशा वह कड़ी हैं जो पंक्ति में पीछे बैठे व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ती है।
ये लोग रहे उपस्थित

इस मौके पर बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा, गरौठा विधायक जवाहर सिंह राजपूत, महापौर रामतीर्थ सिंघल, संयुक्त निदेशक डा रेखा रानी, जिला कार्यक्रम अधिकारी नरेंद्र कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी नंदलाल, एसीएमओ डा आर एस वर्मा, डा एन के जैन, सिफ़प्सा के मण्डल समन्वयक आनंद चौबे, डीपीएम ऋषिराज, डीसीपीएम प्रशांत वर्मा व सभी एमओआईसी, बीपीएम, बीसीपीएम, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डा विजयश्री शुक्ला द्वारा किया गया।
प्रथम पुरस्कार पाने वाली आशाएं

सुमन : जिले के पिछड़े इलाके बामौर के धनौरा गाँव की आशा सुमन को इस वर्ष बामौर ब्लॉक में प्रथम पुरस्कार मिला। सुमन वर्ष 2017 से आशा हैं। जॉइनिंग के एक वर्ष के भीतर ही उन्होने पहली पुरुष नसबंदी करवाई थी। 42 वर्षीय सुमन के पति नहीं हैं। वह बताती है कि गाँव में अकेली महिला का रहना और फिर पुरुषों से नसबंदी विषय पर बात करना आसान नहीं था।
मिथलेश : मोठ ब्लॉक के नदी किनारे बुढेराघाट गांव बसा है। यहां की मिथलेश कुमारी वर्ष 2006 से आशा हैं। वह बताती है कि बीहड़ इलाका होने से यहां जागरुकता बहुत कम थी। ग्रामीणों पर भ्रांतियां हावी थीं। इससे उबारना बहुत मुश्किल था। लेकिन अब उनकी बात हर ग्रामीण मानता है।
कुसुमलता : चिरगांव ग्रामीण क्षेत्र की आशा कुसुमलता ऐसी आशा है जिन्होंने 1700 की आबादी में से इस वर्ष 31 महिलाओं को नसबंदी करवाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी के साथ ही कहीं भी किसी को भी किसी तरह की मदद की आवश्यकता होती है तो वह वहां उपस्थित रहती है।
कमला : बबीना ब्लॉक के गणेशपुरा की आशा कमला यादव बताती हैं कि उनके क्षेत्र की एक महिला सविता को 4 वर्ष से कोई बच्चा नहीं था, कमला ने उनकी जांच कराई और एक वर्ष के बाद सविता गर्भवती हुई। जांच में कमला को पता चला कि सविता को जुड़वा बच्चे हैं। सविता का प्रसव सफल रहा। कुछ ही समय बाद सविता को रक्तस्राव होने लगा। इससे उसकी हालत बहुत बिगड़ गई। दिनरात प्रयास का परिणाम है कि सविता और उनकी दोनों बेटियां स्वस्थ हैं।
आयोजन में बंगरा के लारौन गाँव की उषा देवी गुरसराय के गौरपुरा गाँव की रानीदेवी, बड़ागाँव की घुघुवा की रामवती को भी प्रथम पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

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