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झांसी

मां-शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है स्तनपान, बचाता है इन जानलेवा बीमारियों से

स्तनपान सप्ताह की थीम है- स्तनपान-जीवन की नींव…

झांसीAug 02, 2018 / 12:22 pm

नितिन श्रीवास्तव

Breastfeeding useful for mother and child

मां-शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है स्तनपान, बचाता है इन जानलेवा बीमारियों से

झांसी. मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित कार्यशाला में नोडल अधिकारी डा॰ एनके जैन ने बताया कि स्तनपान सिर्फ शिशु स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि मां के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ ही उसका मौलिक अधिकार भी है। मां का दूध जहां शिशु को शारीरिक व मानसिक विकास प्रदान करता है वहीं उसे डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाता भी है।
कम हो सकती है शिशु मृत्यु दर

डा. जैन ने कहा कि यह साक्ष्य आधारित है कि जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से 20 फीसद शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 फीसद और 15 फीसद कमी लायी जा सकती है। लैंसेट की 2015 की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा तीन पॉइंट अधिक होती है, जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए मिलता है। इसके अलावा स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मौत को भी कम करता है।
शिशु व बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए इन बातों का रखें ख्याल-

1. जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराया जाए।

2. शिशु को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए।
3. शिशु के छह माह पूरे होने पर ही संपूरक आहार देना शुरू करें और शिशु के दो साल पूरे होने तक स्तनपान जारी रखा जाए।

क्या कहते हैं आंकड़े

नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार प्रदेश में एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.2 प्रतिशत है जो कि काफी कम है। छह माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसद है जो कि अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी कम है। झांसी की बात करें तो यहां एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर अभी मात्र 35.1 प्रतिशत ही है जबकि छह माह तक केवल स्तनपान की दर 52.4 फीसद है।
मां को दिया जाए पूरा सहयोग

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुशील प्रकाश का कहना है कि स्तनपान कराने वाली धात्री मां को प्रत्येक स्तर पर पूर्ण सहयोग प्रदान करके ही हम स्वस्थ शिशु की कल्पना कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि परिवार, समुदाय और कार्य स्थल सभी स्थानों पर मां को पूर्ण सहयोग दिया जाए तथा उसे छह माह तक केवल स्तनपान कराने हेतु प्रेरित किया जाए। इसके साथ ही आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी घर-परिवार में जाकर धात्री मां और शिशु को स्तनपान कराने में मदद करें। आंगनबाड़ी केंद्र पर या ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर सत्र के दौरान भी माताओं को स्तनपान के महत्त्व की जानकारी दे सकती हैं। विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान स्तनपान को हर स्तर पर बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा।

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