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अखिलेश की उम्मीदों को बीएसपी का झटका, बसपा का वोट भाजपा को ज्यादा हुआ ट्रांसफर

locationझांसीPublished: May 24, 2019 05:31:33 pm

Submitted by:

BK Gupta

अखिलेश की उम्मीदों को बीएसपी का झटका, बसपा का वोट भाजपा को ज्यादा हुआ ट्रांसफर

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अखिलेश की उम्मीदों को बीएसपी का झटका, बसपा का वोट भाजपा को ज्यादा हुआ ट्रांसफर

झांसी। बुंदेलखंड में मोदी मैजिक के चलते एक बार फिर चारों सीटें भाजपा की झोली में जा गिरीं। वहीं, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन कारगर नहीं हुआ। दोनों दलों के नेताओं को उम्मीद थी कि दोनों दलों का वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर होने से भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश की जा सकती है। यहां के आंकड़े बताते हैं कि वोट तो ट्रांसफर हुआ, लेकिन बसपा का वोट सपा को ट्रांसफर होने के बजाए भाजपाई झोली में जा गिरा। नतीजतन, झांसी में तो भाजपा प्रत्याशी की जीत का आंकड़ा साढ़े तीन लाख वोटों को पार कर गया।
झांसी सीट पर ये रहा हाल

वर्ष 2014 के चुनाव में झांसी में भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती प्रत्याशी थीं। तब उन्हें 575889 वोट मिले थे। वहीं यह चुनाव सपा-बसपा ने अलग-अलग लड़ा था। यहां पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डा.चंद्रपाल सिंह यादव 385422 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे। इसके अलावा बसपा प्रत्याशी के रूप में अनुराधा शर्मा ने 213792 वोट हासिल किए थे। इस बार सपा-बसपा के नेताओं को उम्मीद थी कि दोनों पार्टियों का वोट बैंक कमाल दिखाएगा। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। गठबंधन के तहत यह सीट सपा के खाते में आई थी। इस पर श्याम सुंदर सिंह प्रत्याशी बनाए गए। उन्होंने यहां पर 443598 वोट हासिल किए, जो कि 2014 के चुनाव के मुकाबले 58167 वोट ज्यादा मिले। उधर भाजपा प्रत्याशी के वोटों के ग्राफ में जबरदस्त उछाल आया। उमा भारती को यहां से 575889 वोट मिले थे, लेकिन 2019 में अनुराग शर्मा का आंकड़ा पहुंच गया 809272 तक पहुंच गया। ऐसा माना जा रहा है कि बसपा का वोट यहां सपा को कम और भाजपा को ज्यादा ट्रांसफर हो गया।
कांग्रेस की स्थिति रही जस की तस

झांसी संसदीय सीट पर कांग्रेस की स्थिति में ज्यादा फर्क नहीं आया। यहां से 2014 के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य प्रत्याशी थे। तब उन्हें करीब 84 हजार वोट मिले थे। इस बार यह सीट कांग्रेस ने जन अधिकार पार्टी को देते हुए उसके प्रत्याशी शिवशरण को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाया। उनकी स्थिति 2014 से ज्यादा भिन्न नजर नहीं आया। 2014 में करीब 84 हजार वोट हासिल करने वाली कांग्रेस यहां पर 86 हजार वोट ही हासिल कर सकी।
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