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शासकीय या मालिकाना हक की जमीन?

locationबालाघाटPublished: Dec 25, 2015 07:07:00 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

शहर से पांच किलोमीटर दूर गर्रा के मशीनटोला में स्थित एक खाली भूमि को लेकर विवाद गहराता नजर आ रहा है।


बालाघाट. शहर से पांच किलोमीटर दूर गर्रा के मशीनटोला में स्थित एक खाली भूमि को लेकर विवाद गहराता नजर आ रहा है। दरअसल यहां के खसरा नंबर 177 की खाली भूमि को गर्रा निवासी सूर्यधर परिवार के नौ सदस्य अपने पूर्वजों की होना बताया है। जिन्होंने नक्सा-खसरा के साथ वारासिवनी एसडीएम हर्षिका सिंह को शिकायत कर जमीन दिलवाए जाने की मांग भी की है। वहीं अब गर्रा के कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा इस जमींन पर मिनी स्टेडियम का निर्माण किए जाने की तैयारी की जा रही है। जिससे यह असमंजस की स्थिति बन रही है कि उक्त विवादित जमींन शासकीय है या मालिकाना हक की जमीन है?
हॉलाकि इस मामले में एसडीएम के यहां आवेदन किया गया है। जिसकी जांच के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि उक्त विवादित जमींन का असली वारिस कौन है।
यह है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार खसरा नंबर 177 की जमींन वर्तमान के शासकीय अभिलेखों में स्कूल व खेल मैदान के नाम से 3.476 हैक्टेयर यानि 8 एकड़ 64 डिसमिल स्कूल की दर्शा रही है। वहीं सूर्यधर परिवार के सदस्यों के पास सन 1984 के पूर्व के खसरा-नक्शा दस्तावेज हैं, जिनसे उक्त भूमि सूर्यधर परिवार के पूर्वज (दादा) भाग्या गम्भीरया व तुकाराम गम्भीरया के नाम पर होना दर्शाया गया है। वर्तमान में पंचायत के जनप्रतिनिधियों द्वारा उक्त भूमि पर मिनी स्टेडियम बनाए जाने की तैयारी की जा रही है। जिस पर सूर्यधर परिवार के सदस्य आपत्ती जता रहे हैं।
इन्होंने की शिकायत
सूर्यधर परिवार के भवानी प्रसाद, सुखदेव, नागदेवे, वीरेन्द्र, देवेन्द्र, गजेन्द्र, हिरकुबाई व लक्ष्मीबाई ने बताया कि नियमानुसार उनके पूर्वजों की मृत्यु हो जाने के बाद उनको वह जमीन मिलनी चाहिए। इन्होंने बताया कि सन 1914-15 में खसरा नंबर 132/2 रकबा 8.64 एकड़ घास भूमि में दर्ज है। जिसका मालिक अनंतराम पटेल दर्शाया गया है। वहीं 1954-55 के राजस्व अभिलेख में यहां छोटे झाड़ का जंगल व घास दर्शाया गया है। 1955 के बाद खसरा नंबरों को नया कर खसरा नंबर 132/2 को 177 कर दिया गया है। सूर्यधर सदस्यों ने बताया कि राजस्व अभिलेखों के अनुसार 13.02.1950 के रजिस्टार कार्यालय वारासिवनी के रजिस्ट्री के इंडेक्स नंबर 2 में बेनाम पत्र 500 रूपए में भाग्या व तुकाराम के द्वारा गंभीरया व रामा पटेल महार से उक्त जमीन क्रय किया जाना दर्ज है। इन्होंने बताया कि इस हिसाब से भाग्या व तुकाराम द्वारा क्रय की जमींन उनके वारसान यानि सूर्यधर परिवार को मिलनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में खसरा व राजस्व अभिलेख परिवर्तन होने पर उक्त जमीन शासकीय चरनोई भूमि के नाम पर दर्शा रहा है। जिसकी सूक्ष्मता से जांच की जानी चाहिए।
इस पूरे मामले पर पटवारी व तहसीलदार का कहना है कि उक्त मामला एसडीएम कार्यालय में चल रहा है। वहां के निर्देशानुसार कार्य किया जाएगा। वहीं एसडीएम हर्षिका सिंह द्वारा मामले की जांच करवाए जाने की बात कह रही है।
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