तब के बिना मुक्ति संभव नहीं तप की महिमा अपरम्पार है। जब भी मुक्ति मिलेगी तप के माध्यम से ही मिलेगी। विभिन्न प्रकार के तपों का आलम्बन लेकर जो समय-समय पर आत्मा की आराधना में लगा रहता है, उसे ही मोक्ष पद प्राप्त होता है। जब कोई परम योगी जीव रूपी लौह तत्व को सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और चारित्र रूपी औषधि लगाकर तप रूपी धौंकनी से धौंककर तपाते हैं, तब वह जीव रूपी लौह तत्व स्वर्ण बन जाता है। यह सदवचन करगुवां जी में धर्मसभा में बोलते हुए आर्यिका पूर्णमति माता जी ने कहे।
इन्होंने ने लिया आशीर्वाद इस मौके पर पहुंचकर पहुंचकर आर्यिका पूर्णमति माता के चरणों में श्रीफल भेंटकर किसान सम्मेलन के आयोजकों ने आशीर्वाद लिया। इस मौके पर आर्यिका पूर्णमति ने इस आयोजन की सराहना करते हुये कहा कि भजन करने के लिये भोजन की शुद्धि भी आवश्यक है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से लोगों को जहरीले एवं रासायनिक खादों से युक्त अन्न के सेवन से मुक्ति मिलेगी। इसे सरकार को अभियान चलाकर आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने पद्मश्री सुभाष पालेकर की खोज एक गाय के गोबर से 30 एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाने पर प्रसन्नता जताते हुए झांसी के भगवंतपुरा में चल रहे पशु कत्लखाने को बंद कराने का अनुरोध किया तथा कहा कि अहिंसा धर्म का पालन और सात्विक भोजन भारतीय संस्कृति को अमरता प्रदान करता है। इस मौके पर विधायक जवाहर राजपूत, संजीव श्रृंगीऋषि, प्रदीप सरावगी, संजय पचौरी, सुमन पुरोहित, आचार्य अविनाश, नीता खान, राष्ट्रीय समन्वयक गोपाल उपाध्याय, श्याम जी गुप्ता, कुंजबिहारी गुप्ता एड., डा. एसआर गुप्ता, शशांक त्रिपाठी, पूर्व क्षेत्राधिकारी कल्याण सिंह, ह्देश गोस्वामी, शशिप्रभा मिश्रा, चन्द्रकांत तिवारी, आरके खरे, वरुण जैन, खुशबू खान, बृजेंद्र तिवारी आदि मौजूद रहे। संचालन प्रवीण कुमार जैन ने किया। चन्द्रभान राय ने आभार व्यक्त किया।