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‘भाव में विशुद्धि ही धर्म है और भाव में कलुषिता आ जाना अधर्म’

locationझांसीPublished: Sep 01, 2018 08:48:14 am

Submitted by:

BK Gupta

‘भाव में विशुद्धि ही धर्म है और भाव में कलुषिता आ जाना अधर्म’

dharmsabha in karguan jain temple jhansi

‘भाव में विशुद्धि ही धर्म है और भाव में कलुषिता आ जाना अधर्म’

झांसी। जैन महिला संत आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि भाव में विशुद्धि ही धर्म है और भाव में कलुषिता आ जाना अधर्म है। जब तक अनुभव में नहीं आता तब तक सच्चा सुख नहीं। अत: खुद को ही तय करना है कि बाहरी संसार की तमाम वस्तुयें हमारे सुख का कारण नहीं। सुख का असली कारण हमारा ज्ञान है। आत्म भ्रांति दूर करने के लिये किसी औषधि अथवा चिकित्सक की जरुरत नहीं, उसके लिये सदगुरु की जरूरत होती है। वह यहां जैन तीर्थ करगुवां में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं।
ज्ञान का सदुपयोग करो
आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि पर द्रव्यों (संसारी वस्तुओं) से दृष्टि हटाओ तभी सुखी रहोगे। अत: जन्म एवं मरण के बीच में जो समय है उसी का सदुपयोग करो। मेरी सम्पत्ति भी ज्ञान हो और सम्पत्ति का स्वामी भी ज्ञान हो, यह कितना सुखद है। अज्ञानी जीव धन को संभालकर तिजोरी के भीतर रखते हैं किंतु ज्ञान का सदुपयोग 24 घंटे में कितनी बार करते हो यह विचार का विषय है। उन्होंने कहा कि दूसरों के बारे में विचार करना ज्ञान का सदुपयोग नहीं, दुरुपयोग है, किंतु आत्म तत्व के बारे में विचार करना ज्ञान का सदुपयोग है।
वीतराग में लगाना बुद्धि का सदुपयोग
आर्यिका पूर्णिमति माता ने कहा कि बुद्धि को विषय भोग में लगाना अशुभ उपयोग, धर्म में लगाना शुभ उपयोग एवं वीत राग में लगाना शुद्धोपयोग है। यहां तक पहुंचने के लिये अपने ज्ञान को सामाजिक प्रपंच में न लगाकर स्वाध्याय में लगायें तो सत्य क्या है, असत्य क्या है इसकी जानकारी स्वत: हो जायेगी। योगी भोजन करते समय भी कर्म निबंधन की कामना करते हैं किंतु अज्ञानी भजन करते समय भी कर्मबंध में रत रहते हैं।
ये लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर प्रारंभ में डा. विमला पाटनी दिल्ली, विनोद बडज़ात्या, पूर्वा बडज़ात्या रायपुर ने परिवार सहित आचार्य श्री के चित्र का अनावरण करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर धर्मसभा का शुभारंभ कराया। तदुपरांत वर्षायोग समिति की ओर विनोद बडज़ात्या का तिलक एवं माला पहनाकर सम्मान किया गया। इस मौके पर संजय कर्नल, संजय सिंघई, रवीन्द्र रेलवे, अशोक रतन सेल्स, ऋषभ जैन, ललित जैन, प्रमोद जैन, डा. जिनेन्द्र जैन, सीए सुमित जैन, शांति कुमार जैन चैनू आदि मौजूद रहे। संचालन प्रवीण कुमार जैन ने किया। बाद में सभी के प्रति आभार सुभाष सत्यराज ने व्यक्त किया।

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