झांसी

अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में जनजागरण की इन्होंने दी प्रेरणा

अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में जनजागरण की इन्होंने दी प्रेरणा

झांसीOct 26, 2018 / 09:44 pm

BK Gupta

अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में जनजागरण की इन्होंने दी प्रेरणा

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में शुक्रवार को आयोजित विशेष कार्यक्रम में प्रख्यात पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी को उनकी जयंती पर भावपूर्वक याद किया गया। वक्ताओं ने स्टूडेंट्स का आह्वान किया कि वे विद्यार्थी जी के आदर्शों को आत्मसात कर समाज को सही दिशा देवें। इस मौके पर जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के पूर्व प्रमुख डा.सी.पी. पैन्यूली ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थीजी ने अपनी लेखनी का इस्तेमाल सदैव समाज के हित में किया। उन्होंने जहां समाज के विविध वर्गों को आपस में जोड़ने का कार्य किया, वहीं अंग्रेजों के विरोध में जनजागरण कर लोगों को आजादी के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा भी दी। अंग्रेजी हुकूमत की जुल्म भरी कार्रवाइयां भी उनके पत्र ‘प्रताप’ की आवाज को मद्धिम नहीं कर सकीं।
समाज सुधार में रहा अग्रणी योगदान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेश निगम ने कहा कि विद्यार्थीजी की कथनी करनी में तनिक भी अंतर न था। उन्होंने उच्च विचारों और आदर्शों से पूरे समाज का बखूबी नेतृत्व किया। स्वतंत्रता संग्राम के साथ ही साथ समाज सुधार में भी उनका अग्रणी योगदान रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के समन्वयक डा. कौशल त्रिपाठी ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी ने पूरे मनायोग से अपनी भूमिका को अंजाम दिया। उन्होंने ब्रिटानिया हुकूमत की कार्रवाइयों से भयभीत हुए बिना अपने कार्य को अनुशासित और विशिष्ट प्रतिबद्धता के साथ अंजाम दिया। इसी वजह से उन्होंने पत्रकारिता ही नहीं अपितु राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई।
महात्मा गांधी भी उनके प्रशंसक थे
इससे पहले जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक राघवेंद्र दीक्षित ने गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन से जुडे़ विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे आजीवन समाज और देश की बेहतरी की अदम्य इच्छा लेकर कार्य करते रहे। उनके उच्च आदर्शों से जहां एक ओर देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए संघर्षरत क्रांतिकारी प्रभावित थे, वहीं दूसरी ओर अहिंसा और सत्य के परम आराधक महात्मा गांधी भी उनके कार्यकौशल के प्रशंसक थे। विद्यार्थीजी ने अपने आदर्शों को खुद करके दिखाया यही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशिष्टता थी।
महान सुधारवादी थे
कार्यक्रम के प्रारम्भ में जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक उमेश शुक्ल ने गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन से जुड़े विविध प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। शुक्ल ने कहा कि विद्यार्थी जहां एक ओर धर्मपरायण और ईश्वर भक्त थे, वहीं दूसरी ओर वे महान सुधारवादी भी थे। उन्होंने कांग्रेस के नरम दल और क्रांतिकारियों के बीच सेतु के रूप में काम किया। शहीद भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों ने विद्यार्थी जी के समाचार पत्र ‘प्रताप’ में छद्म नामों से लेख लिखे। शुक्ल ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन और उच्च विचारों से प्रेरणा लेकर समाज को सही दिशा देने का काम करें। इस कार्यक्रम में विद्यार्थी मोहित प्रजापति ने भी विचार रखे। इस कार्यक्रम में सतीश साहनी, डा. उमेश कुमार, जय सिंह, अभिषेक कुमार, जयराम कुटार समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।

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