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जिस मंदिर में हुई थी रानी लक्ष्मीबाई की शादी, वहां पहुंचे प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक

locationझांसीPublished: Jun 21, 2019 07:24:01 am

– गणेश मंदिर में हुआ झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई का विवाह
– महाराष्ट्र समाज उठाता है मंदिर के व्यवस्थापन का जिम्मा
– सभागार के प्रथम तल पर भक्त निवास का कराया गया निर्माण
– प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक मंदिर में सभागार का किया उद्घाटन
 

Governor Ram Naik Ganesh in Mandir Jhansi

जिस मंदिर में हुई थी रानी लक्ष्मीबाई की शादी, वहां पहुंचे प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक

झांसी. सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की दीपशिखा रहीं महारानी लक्ष्मी बाई के विवाह के साक्षी के रूप में मौजूद झांसी के गणेश मंदिर में प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक पहुंचे। यहां उन्होंने महाराष्ट्र समाज के लोगों के बीच मराठी भाषा में संबोधित करके सबका दिल जीत लिया। राज्यपाल द्वारा मराठी में अपनी बात शुरू करते ही सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस मौके पर उन्होंने महाराष्ट्र समाज के लोगों को चरैवेति-चरैवेति का संदेश दिया।
सभागार का किया उद्घाटन

झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई का विवाह यहां के गणेश मंदिर में हुआ था। इस मंदिर के व्यवस्थापन का जिम्मा महाराष्ट्र समाज उठाता है। इसका संचालन महाराष्ट्र गणेश मंदिर कमेटी के तत्वावधान में किया जाता है। इस मंदिर परिसर में महारानी लक्ष्मीबाई के नाम पर सभागार के प्रथम तल पर भक्त निवास का निर्माण कराया गया है। इसी का उद्घाटन करने के लिए प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक यहां पहुंचे। सबसे पहले यहां पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में झांसी नगर निगम के मेयर रामतीर्थ सिंघल, बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के कुलपति वैशम्पायन व बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे के साथ ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
चरैवेति-चरैवेति का दिया संदेश

इस मौके पर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई के शादी स्थल गणेश मंदिर में आने का मुझे सौभाग्य मिला है। इस दौरान उन्होंने गणेश मंदिर की ऐतिहासिकता, आजादी के संघर्ष और महारानी लक्ष्मीबाई के उद्घोष ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’ का भी जिक्र किया। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच संबंधों की प्रगाढ़ता का भी उल्लेख किया। इसके अलावा उन्होंने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से लेकर वीर सावरकर आदि के आजादी के संघर्ष में योगदान के बारे में बताया। वहीं उन्होंने गणेश मंदिर, झांसी और बुंदेलखंड के विकास का भी भरोसा दिलाया। इस मौके पर राज्यपाल ने चरैवेति-चरैवेति को सफलता का सूत्र वाक्य बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग बैठे रहते हैं, उनका भाग्य भी बैठा रहता है। जो लोग सोते रहते हैं, उनका भाग्य भी सोता रहता है। जो लोग खड़े होते हैं, उनका भाग्य भी उठकर खड़ा हो जाता है और जो लोग चल पड़ते हैं, उनका भाग्य भी चल पड़ता है। जैसे मधुमक्खी को शहद इकट्ठा करने के लिए भिन्न-भिन्न पौधों तक जाना पड़ता है, जैसे पक्षी जो विभिन्न पेड़ों तक जाता है, वहीं तरह-तरह के फलों का रसास्वादन कर पाता है। इसी तरह से सूर्य भी गतिमान रहकर और सभी को ऊर्जा प्रदान करके ही जगतवंदे हो पाया। इसलिए प्रगति के लिए गतिमान रहना जरूरी है। चरैवेति-चरैवेति। बाद में राज्यपाल रामनाईक ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.सुरेंद्र दुबे द्वारा लिखिल पुस्तक मेरी झांसी का विमोचन किया।

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